विष्णु नागर का व्यंग्यः प्रज्ञा-आकाश जैसे अपने नेताओं के कारनामे भूलने में मोदी जी संत स्वभाव के प्राणी हैं!
मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय के एक अधिकारी को पीटने पर पीएम मोदी वैसे ही नाराज हुए, जैसे कभी प्रज्ञा ठाकुर पर हुए थे। लेकिन मोदी जी का गुण है कि वह पार्टी के किसी नेता पर अगर गलती से नाराज होते भी हैं तो उस नाराजगी को जल्द भूल भी जाते हैं।
आप माफ करना मैं इस दृश्य को 'सुंदर' कह रहा हूं। एक अखबार में फोटो छपा है कि महाराष्ट्र के कांग्रेसी विधायक नितेश राणे एक बुजुर्ग से इंजीनियर को बाल्टी भर कीचड़ से लथपथा चुके हैं और इंजीनियर साहब, एमएलए साहब के सामने आज्ञाकारी की तरह सिर झुकाए इस तरह खड़े हैं, जैसे उनके गले में फूलमाला डाली जा रही हो और वह विनम्रता के भार से झुके जा रहे हों। उन बुजुर्ग इंजीनियर से भी अधिक एक बुजुर्ग सज्जन, राणे साहब के दूसरे समर्थकों की अपेक्षा इस व्यवहार से कुछ अधिक प्रसन्न हैं। बाकी तीस-चालीस समर्थक भी अप्रसन्न नहीं हैं, खुश हैं मगर इन बुजुर्ग समर्थक की प्रसन्नता तो अवर्णनीय है।
कहावत है कि जो दूसरों पर कीचड़ उछालता है, उस पर भी छींटे पड़ते हैं तो छींटे राणे साहब पर भी पड़े हैं मगर जितने ज्यादा छींटे पड़े, उतना एमपी-एमएलए साहबों के राजनीति में 'वैल्यू एडीशन' होता जाता है। राणे साहब फिलहाल गिरफ्तार हो चुके हैं मगर सांसद-विधायक की गिरफ्तारी उनके लिए पद्मश्री जैसा सम्मान है। वह छूट जाएंगे। उनके पिता उनसे अधिक रसूखदार हैं और शिवसेना से कांग्रेस और कांग्रेस से होते हुए अब बीजेपी में पदार्पित हो चुके हैं। इस हालत में नितेश जी को न्याय तो मिलकर ही रहेगा। इंजीनियर साहब को तो 'कीचड़-न्याय' मिल ही चुका है।
अभी हमारे मध्य प्रदेश के भाजपाई विधायक आकाश विजयवर्गीय अपने पिता के चरण चिह्नों पर चलते हुए एक अधिकारी को बैट से पीटकर अखिल भारतीय प्रसिद्धि पा चुके हैं। दिखावे के लिए प्रधानमंत्री उन पर भी उसी तरह भारी नाराज हुए हैं, जैसे कभी प्रज्ञा ठाकुर पर हुए थे मगर मोदी जी का एक बड़ा 'सद्गुण' यह है कि वह अपनी पार्टी के किसी नेता पर अगर गलती से नाराज हो भी जाते हैं तो नाराजगी को जल्दी भूल भी जाते हैं। इस मामले में वह संत-स्वभाव या कहो कि झोली वाले फकीर- स्वभाव के प्राणी हैं। एमएलए साहब का होने जैसा कुछ नहीं होगा, न होने जैसा कुछ हो भी सकता है। आम आदमी पार्टी के एक विधायक को जरूर ऐसे ही एक मामले में छह महीने की सजा हो चुकी है मगर हर ऐसा विधायक केजरीवाल की पार्टी का होता नहीं है!
वैसे अच्छा है, हमारे विधायक, विधायकी तो कर ही रहे हैं, पुलिस और न्यायालय का काम भी उत्तरदायित्व पूर्वक निबटा रहे हैं। आप उस दिन की कल्पना कीजिए कि इनके प्रयासों से एक दिन पुलिस महकमा और न्यायालय बंद हो जाएंगे तो इससे होने वाली बचत से मोदी महोदय कितना अधिक प्रसन्न होंगे! इससे सरकार के हजारों करोड़ बचेंगे। इस बचत से और सरकारी उद्यमों को बेचने से इतनी अधिक आमदनी हो जाएगी सरकार की कि हमारा देश आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और अधिक नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या पैदा कर सकेगा।
इनके माध्यम से सरकारी बैंकों को बर्बाद करके इन्हें विदेश जाने की स्वतंत्रता देने में भी और अधिक समर्थ हो जाएगा और 2022 से पहले ही इंडिया, 'न्यू इंडिया' बन जाएगा। सरकार इनके खिलाफ विदेश में अपने ढंग से मुकदमा भी लड़ेगी। वे नहीं आएंगे, तो भी उनके स्वागत के लिए जेलों में बेहतरीन प्रबंध करेगी, ताकि जेल में भी उन्हें घर जैसा वातावरण ही मिले। किसी तरह की तकलीफ न हो।
इसलिए जो होता है अच्छे के लिए होता है। विधायक तो खैर भरसक से अधिक योगदान पुलिस और न्याय व्यवस्था को 'दुरुस्त' करने में दे रहे हैं, जिसका दिलदिमाग खोलकर देशभक्त स्वागत भी कर रहे हैं, मगर जय श्रीराम वालों की न्याय चेतना का विकास और अधिक त्वरित गति से हुआ है। जो काम कांग्रेस समेत सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां 'मुस्लिम तुष्टिकरण' करके भी नहीं कर पाईं, वह काम जय श्रीराम वाले उन्हें बहुत तेजी से न्याय देकर कर रहे हैं।
सांसद-विधायक तो मारपीट करने, कीचड़ फेंकने की सीमा से आगे बढ़ते अभी नहीं लग रहे हैं मगर जय श्रीराम वाले तो सीमाहीन हैंं। वे तो मृत्युदंड तक दे देते हैं और सबसे अच्छी बात उन पर हमारे प्रधानमंत्री को गुस्सा नहीं आता! गुस्सा तब आना शुरू होगा, जब इनमें से कुछ को वे विधायक या सांसद का टिकट देकर जितवा भी देंगे! और अधिक ही प्रसन्न हुए तो स्टेंस कांड के बजरंगी हीरो प्रताप चंद्र सारंगी की तरह मंत्री पद से भी नवाज देंगे।
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