विष्णु नागर का व्यंग्यः कोरोना, चीन, बेकारी- हर संकट का मोदी जी के पास हल, ड्रामा करो और तान कर सो जाओ!
जहां तक मुसलमानों का सवाल है, भक्त और गोदी चैनल इतने आत्मनिर्भर बन चुके हैं कि वे इन्हें देशद्रोही बनाए रखते हैं। वामियों को भी पिछले उसी श्रेणी में पहुंचा दिया गया है, इसलिए वे जेलों में हैं। जहां तक किसानों की बात है, उनके लिए पुलिस के चार डंडे काफी हैं।
प्रधानमंत्री जी ने लगता है कि राजनीति का अंतिम सत्य पा लिया है। वह सत्य यह है कि हाथी की तरह बाजार में चलते रहो, रास्ते की चें-चें, पें-पें की ज्यादा परवाह मत करो। अधिकतर विरोध ड्रामा होता है, यह दरअसल उसी ड्रामे का लघुकाय स्वरूप है, जो वह स्वयं प्रधानमंत्री बनने से पहले भी करते थे और अब पहले से बहुत ज्यादा करते हैं। योग तो शरीर के लिए जरूरी है मगर उससे ज्यादा आवश्यक है यह ड्रामा!
असल में स्वास्थ्य इसी ड्रामे से बनता है, नींद इससे अच्छी आती है। 2002 का दु:स्वप्न सिर पर पैर रख कर भाग जाता है और 2029 तक प्रधानमंत्री बने रहने के सपने रोज आते हैं। कोरोना से एक लाख रोज मरें या दस लाख, चीन चाहे पूरे भारत पर कब्जा कर ले, दस करोड़ चाहे बेरोजगार हो जाएं, इकोनॉमी चाहे 24 क्या माइनस पचास में चली जाए, नींद में खलल नहीं पड़ता। नींद की गोली नहीं लेनी पड़ती। दराज में पड़ी-पड़ी सड़ती रहती हैंं। आदमियों की तरह उनको सड़ाने का भी एक सुख है।
जहां तक विरोध की बात है, वीडियो, ट्विटर विरोध से किसी का न कुछ बनता है, न बिगड़ता है। यह विरोध उसी तरह का है, जैसा मोदी द्वारा मन की बात करके मोदी को दिया गया समर्थन होता है।इससे किसी का न कुछ बनता है, न बिगड़ता है। अगर कुछ बनता-बिगड़ता है तो वो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से बनता-बिगड़ता है। असली रणभूमि है- व्हाट्सएप। उस मोर्चे पर अपनी फौज मुकाबले में डटी रहे, चीन को हमारी अड़तीस हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा न करने दे तो आप विजेता हैं।
बाकी जिनका विरोध असली है, ड्रामा नहीं है, उन्हें इस तरह या उस तरह फंसाते रहो और अंदर करते रहो- खासकर वे जो वामपंथी झुकाव के हों या मुसलमान हों। यह मैसेज ऊपर से नीचे तक देते रहो कि कोई, कितनी भी ऊंगली उठाए, हमारा छोटा से छोटा बंदा कुछ भी कर दे, उसका कुछ नहीं बिगड़ना चाहिए।
और जहां तक मुसलमानों का सवाल है, भक्त और गोदी चैनलों के भोंपू इतने आत्मनिर्भर बनाए जा चुके हैं कि वे इन्हें देशद्रोही बनाए रखते हैं। बाकी वामियों को भी पिछले छह सालों में उसी श्रेणी में रखवा दिया गया है, इसलिए वे जेलों में बंद हैं। जहां तक किसानों की बात है, वे भी झंडा उठाते रहते हैं। इनसे निबटने के लिए पुलिस के चार डंडे और सरकार के दो खाली-पीली आश्वासन काफी हैं।ज्यादा करें तो दो-चार को ठांय -ठांय भी करवा दो। हो गया काम। हो गई किसानों की समस्याएं हल। बाकी पुलिस, सीबीआई, अदालत काफी हद तक बस में है ही। इसलिए डोंट वरी, बी हैप्पी।सोओ और सोने दो। जागने वालों को रोने दो। जागो तो इयर फोन लगाकर मोदी मंत्र का जाप सुनते रहो, झूमते रहो और आईने में अपनी शक्ल देख कर खुश होते रहो।
एक और आजमाया हुआ फार्मूला है कि अपनी गलती कभी मंजूर न करो। उसकी बात ही न करो, न करने दो किसी को। अपना बाजा चौबीस घंटे इतनी तेज आवाज में बजाते रहो, कि उसके अलावा किसी को कुछ सुनाई ही न दे, यहाँं तक कि उसकी अपनी आवाज भी। उधर झूठ के कारखानों में उत्पादन जारी रखो, मंदी मत आने दो ताकि बेरोजगार युवा बिजी रहेंं, भक्त व्यस्त और मस्त रहें।साथ ही कोई न कोई नया तमाशा, नया नारा भी देते रहो। उसके शोर में सब दब जाएगा।
फिर आराम से तकिये पर सिर रखकर लेटो रहो, बैठे रहो। यह तो मशहूर करवा ही दिया है कि प्रधानमंत्री जी 18-18 घंटे काम करते हैं तो सोने के काम में व्यस्त रहो। उससे त्रस्त हो जाओ, तो योग करने लगो, जिम को कृतार्थ करो। मोरों को दाना चुगाओ। इससे भी ऊब जाओ तो कभी पैंट-टीशर्ट पहनो, कभी धोती-कुर्ता, कभी सूट, कभी हैट, कभी महंगा चश्मा, कभी साफा, कभी लुंगी-कमीज धारण करके देखो। कभी ड्रम बजाओ, कभी कोई रोमांटिक गाना गाओ। अपने जैसे किसी फुरसती से वीडियो चैट करो।
इस बीच दिन में एक-दो बार राजनीति हिताय दिशा दान कार्यक्रम भी करते रहो। देश थोड़ा और बेच दो। अडाणी-अंबानी से केम छो कर लो। हिंदी बोल-बोल कर थक चुकी जबान को गुजराती बोल कर आराम दो। इनसे मित्रता की डोर को पुख्ता करने के लिए कहो कि बताओ तुम्हारे नेक्स्ट एजेंडे को बढ़ाने में तुम्हारी क्या मदद मैं कर सकता हूं। संकोच मत करो भाई। छोटे भाई कभी बड़े भाई से कुछ मांगने में संकोच करते हैं? तो तुम इतना संकोच क्यों करते हो!
तुम्हारी इसी बात पर मुझे गुस्सा आता है। दुनिया में तीन लोगों को मैं दुखी नहीं देख सकता। एक हैं ट्रंप भैया और दो तुम छोटे भैया। बड़े भैया संकोच नहीं करते। धमका कर भी जो लेना होता है, ले लेते हैं और दूसरी तरफ तुम हो। इतनी तो नई बहू भी नहीं शरमाती, जितना तुम। मेरा यानी तुम्हारा ही राज है। तुम तो सीधे मेरे ऑफिस फोन कर दिया करो। काम हो जाएगा।
इसी बीच किसी मंत्री, मुख्यमंत्री, किसी अधिकारी को हड़का दो। ट्रंप को फोन करो कि ‘देखो बड़े भैया, आप मेरी तकनीक अपनाओगे तो ये जो बिडेन है न इतनी बुरी तरह हारेगा कि कभी कोई डेमोक्रेट, कभी कोई रिपब्लिकन हारा नहीं होगा। वैसे तुम खुद भी बहुत होशियार हो, मगर उसमें मेरी होशियारी का तड़का भी लगा दोगे तो तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। ठीक है। तो अब आराम करूं, कोई जरूरत हो तो आधी रात को भी फोन कर देना, उठ जाऊंगा। और भैया आपने जो वो करने को कहा है, वो काम हो रहा है। एक-दो दिन में हो जाएगा। अफसरों को कानून-कायदे बघारने की आदत नहीं गई। कायरों की फौज हैं!’
बीत गए जी इस तरह लॉकडाउन में प्रधानमंत्री के सोलह घंटे। बहुत वर्कलोड था, मगर भगवान की कृपा से सब निबट गया।
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Published: 20 Sep 2020, 7:59 AM