विष्णु नागर का व्यंग्यः कर्नाटक की हार भांप चुके थे मोदी जी, झेंप मिटाने का भी कर लिया था इंतेजाम!
अब मोदी जी सोमवार से रोज हल्ला मचवाएंगे कि पीएम अमेरिका पर मेहरबानी करने जा रहे हैं, विश्व विजय करने जा रहे हैं। देखा, ये है असली जीत। इसके आगे कर्नाटक वगैरह की हार क्या है! यहां हल्ला मचेगा, मोदी जी राजकीय यात्रा पर जानेवाले हैं, जा रहे हैं, पहुंच गए।
मोदी जी के हर काम में रणनीति होती है। बंदा रणनीति के बगैर तो एक कदम भी नहीं चलता, मुस्कुराता तक नहीं, किसी की तरफ देखता तक नहीं। यूं हवाई अड्डे पर दूर-दूर तक कोई न हो तो भी हवा में हाथ हिलाता रहेगा, मगर आडवाणी जी हों या पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इग्नोर मारना तय किया है तो मार ही देता है, चाहे कोई कुछ भी कहता रहे!
इस बंदे के सोने-जागने सबमें रणनीति होती है, चाहे वह फेल ही क्यों न हो जाए। एक फेल, तो दूसरी शुरू। अब जैसे मोदी जी ने पहले ही समझ लिया था कि जी जान लगा देने के बावजूद कर्नाटक में चुनाव हार सकते हैं तो यूपी के नगर निकाय चुनाव के रिजल्ट भी इससे नत्थी करवा दिया। उधर कर्नाटक में वोट पड़ते ही वाशिंगटन और दिल्ली में एक ही दिन, एक ही समय घोषणा करवा दी कि महामहिम पहली बार अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं। अब एक-दो दिन बाद कर्नाटक की हार की बजाए वाशिंगटन जाने की दुंदुभी बजने लगेगी। इस बीच कोई और झमेला खड़ा करवा दिया जाएगा तो हार की चुभन का दर्द कम हो जाएगा। लोगों का ध्यान बंट जाएगा। खेला हो जाएगा!
इस बार वैसे अमेरिका जाने का मामला है भी खास। साहेब, वाशिंगटन पहुंचेगे तो उनका बाकायदा हवाई अड्डे पर स्वागत होगा। ऐसा नहीं कि आये होंगे कोई, यहां तो राष्ट्रपतियों-प्रधानमंत्रियों का तांता लगा रहता है। व्हाइट हाउस में उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। बाइडेन साहब उन्हें तोहफे देंगे,ये भी उन्हें तोहफे देंगे। इन्हें राष्ट्रपति के मेहमानखाने ब्लेयर हाउस में ठहराया जाएगा। डिनर दिया जाएगा। इनसे अमेरिकी संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करवाया जाएगा।
पिछले नौ साल में मोदी जी यूं तो कई बार अमेरिका गए हैं और जाते क्यों नहीं? यह उनका मक्का-मदीना है, वेटिकन सिटी है, यरूशलेम है, केदारनाथ मन्दिर है। नहीं बुलाया जाता था, तो भी जाते थे! संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के बहाने जाते थे। भारतीय मूल के लोगों में अपना ढिंढोरा पीट कर आते थे ,मियां मिट्ठू बन जाते थे। पिछले दो सालों में बेचारे का वहां जाना नहीं हो पाया था। तड़प रहे थे। अब वह घड़ी आई है,जिसका उन्हें पिछले नौ सालों से इंतज़ार था!
अब मोदी जी, सोमवार से रोज हल्ला मचवाएंगे कि प्रधानमंत्री जी, अमेरिका पर मेहरबानी करने जा रहे हैं, विश्व विजय करने जा रहे हैं। देखा,ये है असली जीत! इसके आगे कर्नाटक वगैरह की हार क्या है! यहां हल्ला मचेगा, मोदी जी राजकीय यात्रा पर जानेवाले हैं, जा रहे हैं, पहुंच गए। उनका कैसा भव्य स्वागत हुआ! न भूतो न भविष्यति! है किसी अखबार,किसी टीवी चैनल में यह हिम्मत है कि मोदी जी का हल्ला मचाने से अपने आपको रोक सके! रोज अमेरिका-भारत, बाइडेन-मोदी करने से बच सके! जो ऐसी हिम्मत कर सकता हो करके देख ले। उसकी हवा टाइट कर दी जाएगी!
अनेक निमंत्रणों का मोदी जी इंतज़ार नहीं करते। नहीं बुलाए तो भी पहुंच जाते हैं! अब जैसे गंगा ने इन्हें सपने में भी अपने पास बुलाया नहीं था। गंगा किसी को बुलाती नहीं। जिसको आना हो आए वरना भाड़ में जाए! जिस गंगा पर ऐसी श्रद्धा है लोगों की कि गंदी कर दी गई है, फिर भी लोग उसमें नहा कर पवित्र हो गया मानते हैं, वह क्यों बुलाए किसी को? उसे क्या लेना देना किसी मोदी से? उसे क्या पता कौन मोदी है और कौन मांगीलाल! उसके लिए सब बराबर हैं! मगर मोदी जी ने कहा कि गंगा मैया ने बुलाया है और पहुंच गए चुनाव लड़ने!
ऐसे ही वह पहले न्यूयार्क, वाशिंगटन वगैरह पहुंच जाते थे! यहां फालतू में अपना हल्ला मचवाते थे! एक बार तो हद हो गई कि 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने कहा है कि मोदी जी पृथ्वी की अंतिम आशा हैं, जबकि उस अखबार को भी नहीं मालूम था कि उसने ऐसा पाप किया है, उसका स्तर 'पांचजन्य' और 'आर्गेनाइजर' के स्तर पर आ चुका है, कि उसने मोदी जी पर एक पूरा पेज छापा है! तो ये आदमी है तो कमाल का, मोदी है तो मुमकिन है। कमाल अमेरिका में भी दिखा कर ही आएंगे!
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