खरी-खरीः ‘महाराज जी’ के राज में जंगल राज, क्या जनता और क्या नेता, सबके संवैधानिक अधिकार समाप्त
‘महाराज जी’ की सरकार में कोई धरना-प्रदर्शन करे तो उसका जो हश्र हो सकता है, वह ‘महाराज’ कर रहे हैं। लोकतंत्र आपको इसकी इजाजत देता हो, ‘महाराज जी’ के ठेंगे से। पत्रकार तो पत्रकार, विपक्ष के नेता तक उनके खिलाफ मुंह नहीं खोल सकते। यह है ‘महाराज जी’ का उत्तर प्रदेश।
कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा रचित संविधान ने काम करना बंद कर दिया है। तो फिर सवाल यह है कि वहां किसका काननू चल रहा है! इसका सीधा उत्तर यही है कि उत्तर प्रदेश में ‘महाराज जी’ का ही काननू चल रहा है। भाई, यह ‘महाराज जी’ कौन! कोई और नहीं, स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को ही ‘महाराज जी’ कहा जाता है।
गोरखनाथ पीठ मठ के पुजारी स्नेह से योगी जी को ‘महाराज जी’ ही पुकारते हैं। अफसरशाही को तो आप जानते ही हैं। चाटुकारिता उनकी घुट्टी में मिली होती है। सुनते हैं कि लखनऊ में सचिवालय के बड़े-बड़े अफसर भी योगी जी को ‘महाराज जी’ ही पुकारते हैं। भला हमारे मंत्री इस कला में किसी से पीछे तो हो नहीं सकते। तो, वे भी प्रेमभाव में योगी जी को ‘महाराज जी’ ही कहने लगे।
अब स्वयं कल्पना कीजिए कि मंत्री, सचिव और संतरी तक जब सभी हमको या आपको ‘महाराज जी’ कहकर पुकारें तो क्या मनोवैज्ञानिक तौर पर हम-आप भी अपने को ‘महाराज’ नहीं समझने लगेंगे। इस इक्कीसवीं सदी में और लोकतांत्रिक व्यवस्था के बीच यदि योगी जी का व्यवहार ‘महाराज जी’ जैसा हो तो इसमें अचम्भे की क्या बात है।
अब ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति में उत्तर प्रदेश के कानुपर जिले में एक और ‘महारा1ज’ उत्पन्न हो गए। अरे भाई, आठ-आठ पुलिसकर्मियों को गोली से वही उड़ा सकता है जो स्वयं को ‘महाराज’ समझता हो। अब लीजिए, एक उत्तर प्रदेश और दो ‘महाराज’- एक गोरखपर वाले और दूसरे कानपुर वाले। जाहिर है, एक जंगल में दो शेर तो रह नहीं सकते। स्पष्ट है कि ऐसी परिस्थिति में ‘बड़े महाराज’ के आगे कानुपर वाले ‘महाराज’ का जो हश्र होना था, सो हुआ।
अब आप समझे विकास दुबे के साथ क्या हुआ। जब से विकास दुबे की झूठे ‘एनकांउटर’ में हत्या हुई है, तब से अब तक इस संबंध में पुलिस की प्रशंसा या उसकी आलोचना के अतिरिक्त कुछ और सुनाई ही नहीं पड़ रहा है। मानो विकास दुबे के साथ जो हुआ, उसके लिए केवल उत्तर प्रदेश पुलिस ही जिम्मेदार है। विकास दुबे की हत्या में मानो कोई राजनीतिक अंश था ही नहीं। यह हो ही नहीं सकता है।
दरअसल, ‘एनकाउंटर’ राज्य की नीति होती है, जिसको लागू करने के लिए पुलिस की सेवाएं ली जाती हैं। और इस कार्य को अंजाम देने के लिए बाकायदा ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ तैयार किए जाते हैं। क्या आप भूल गए कि योगी जी के सत्ता में आते ही प्रदेश में एनकाउंटर की बाढ़ आ गई थी। अर्थात, एनकाउंटर की इजाजत पुलिस को ऊपर से थी।
ऐसे में विकास दुबे के एनकाउंटर का फैसला उज्जैन और कानपुर के रास्ते में नहीं, अपितु लखनऊ में ही हुआ होगा। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि विकास दुबे के मारे जाने से न केवल ‘महाराज जी’ की नाक ऊंची हो गई बल्कि पूरे प्रदेश में यह गूंज हो गई कि अगर किसी ने सिर उठाया तो उसका हश्र विकास दुबे जैसा ही होगा।
याद रखिए, ‘महाराज जी’ कोई ऐसे-वैसे मुख्यमंत्री नहीं हैं। आप भारत के सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। भले ही योगी जी का उत्तर प्रदेश से सीधा नाता नहीं हो, पर हैं तो वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री। जी हां, योगी जी का जन्म उत्तराखंड में हुआ। शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई। पर योगी जी घर-बार छोड़ गोरखपुर पधार गए और वहां के गोरखनाथ मठ से जुड़ गए। शुरू से ही ‘दबंग’ व्यक्ति रहे होंगे, जल्द ही पीठ के गुरु की आंख का तारा हो गए। और उनकी मृत्यु के पश्चात गोरखनाथ पीठ के मुखिया एवं योगी हो गए।
आपका विश्व हिंदू परिषद और संघ से भी संबंध बढ़ता गया। राजनीति में भी आ गए। लोकसभा के लिए कई बार गोरखपुर से चुने गए। कहते हैं कि गोरखपुर में हुए एक हिंदू-मुस्लिम दंगे से भी उनका नाम जुड़ा। आपके बारे में प्रख्यात है कि आप मुसलमानों को जरा ‘कसकर’ रखने में विश्वास रखते हैं। योगी जी का एक भाषण कभी बहुत चर्चित हआ था, जिसमें वह यह कहते सुनाई पड़ रहे हैं- ‘अगर तुम (मुसलमान) एक मारोगे तो हम (हिंदू) सौ मारेंगे!’
मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में योगी जी पर हत्या के मामले में एक मुकदमा चल रहा था। उनके मुख्यमंत्री बनने के पश्चात उत्तर प्रदेश सरकार ने वह मुकदमा उठा लिया। ‘महाराज जी’ हैं तो फिर ‘महाराज’ ही, जो मर्जी सरकार की! उनके आगे कैसी कोर्ट-कचहरी और कैसा संविधान। तो, वह मुकदमा खतम, पैसा हजम।
अब आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसे ‘दबंग’ व्यक्ति के हाथों में सत्ता आने के पश्चात उत्तर प्रदेश की क्या दशा-दिशा होगी। अभी कहीं पढ़ रहे थे कि पत्रकार से लेकर नेतागण तक किसी ने योगी जी के खिलाफ जुबान खोली तो बस फिर एफआईआर और जल्द ही जेल की हवा। गोरखनाथ पीठ से जुड़े होने के कारण ‘महाराज जी’ को गौ-प्रेम अत्याधिक है। अतः जैसे ही ‘महाराज जी’ मुख्यमंत्री बने, लगभग संपूर्ण प्रदेश में भैंस तक का मांस बिकना पाप हो गया। गौ-हत्या तो महापाप थी ही।
‘महाराज’ ने इस मामले में प्रदेश को ऐसा कस दिया कि मानो उत्तर प्रदेश में गौ-राज हो गया। सड़क-सड़क, मोहल्ले-मोहल्ले और गांव-गांव में गायों के झुंड फैल गए। किसान दिन में खेती करते और रातों को खेत तकते। परंतु प्रदेश में ‘महाराज जी’ के राज में गाय का जो आदर-सम्मान होना चाहिए, वह संपूर्णतः हो रहा है।
योगी जी के प्रदेश में उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं खड़क सकता है। अगर आपको इस संबंध में कोई शक हो तो सीएए विरोधी आंदोलन में जो लोग आगे-आगे थे, जरा उनसे पूछिए। सदफ जाफर और एसआर दारापुरी- जैसे इस आंदोलन में हिस्सा लेने वाले दर्जनों लोगों ने केवल जेल की हवा ही नहीं काटी, बल्कि सरकार ने ऐसे पचास-साठ लोगों पर लाखों रुपये का जुर्माना भी दाग दिया। और तो और, ‘महाराज जी’ की सरकार के खिलाफ हिम्मत करने के जुर्म में लखनऊ में उनकी फोटो और नाम के साथ उनके खिलाफ बड़े-बड़े होर्डिंग लगा दिए गए। हाईकोर्ट ने हुकुम दिया कि बोर्ड हटाओ, तब सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर बोर्ड लगाए रखे गए।
‘महाराज जी’ की सरकार में कोई धरना-प्रदर्शन करे और उसका जो हश्र हो सकता है, वह ‘महाराज जी’ कर रहे हैं। लोकतंत्र आपको इसकी इजाजत देता हो, ‘महाराज जी’ के ठेंगे से। अरे, धरना-प्रदर्शन तो बड़ी बात ठहरी! आप योगी जी के खिलाफ एक ट्वीट कीजिए, देखिए एफआईआर दर्ज। दिल्ली के एक बड़े पत्रकार ने योगी जी के खिलाफ ट्वीट कर दिया, बस एफआईआर दर्ज हो गई।
एक नहीं, दर्जनों पत्रकारों पर पुलिस का दमन चल रहा है। पत्रकार तो पत्रकार, विपक्ष के नेता तक ‘महाराज जी’ के खिलाफ मुंह नहीं खोल सकते हैं। अभी हाल में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के मुखिया शाहनवाज आलम को जेल हो गई। उससे पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दो बार जेल भेज दिए गए।
यह है ‘महाराज जी’ का उत्तर प्रदेश। महाराजाओं के राज में लोकतंत्र की कल्पना तो की नहीं जा सकती। तो, ‘महाराज जी’ योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में भी उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र जैसा हो सकता है, बस वैसा ही लोकतंत्र चल रहा है। कांग्रेस का यदि योगी शासन पर यह आरोप है कि प्रदेश में जंगल राज है तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ आप बोल नहीं सकते हैं। क्या नागरिक और क्या नेता, सभी के संवैधानिक अधिकार समाप्त हैं। बस चारों ओर केवल ‘महाराज जी’ का डंका बज रहा है और योगी जी की जय-जयकार है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia