विष्णु नागर का व्यंग्यः भाड़ में गई धारा 370, इनकी ज्यादा खुशी तो कश्मीर की सुंदर लड़कियों को लेकर है!
धारा 370 हटाने के बाद इनके लोगों की नजर अब सीधे कश्मीर की सुंदर लड़कियों पर है! लेकिन 15 अगस्त, तुम लालकिले पर झंडा फहरने तक दुखी बिल्कुल मत होना, पीएम के भाषण से भले खुशी न मिले, मगर जिस जोश से बच्चे ‘भारत माता की जय’ कहेंगे, उससे तुम्हें जररू खुशी होगी।
आ गए मेरे 15 अगस्त, चलो अच्छा किया! वैसे तुम करते भी और क्या, तारीख और तवारीख से बंधे हुए जो हो। तुम्हें सहूलियत तो है नहीं कि न आओ तो न आओ या आगे-पीछे आओ या अचानक आकर, अचानक चले जाओ! न यह कह सकते हो कि ये नामाकूल, ये केसरिया झंडे-डंडे वाले जब तक सत्ता में रहेंगे, मैं आजादी का नाम बदनाम करवाने के लिए इनसे तिरंगा फहरवाने नहीं आऊंगा, वेरी सॉरी! इन्होंने किया ही क्या था आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए, जो आऊं?
चलो अच्छा किया, तुम आ गए। इनकी खुशी के लिए- और आ जाए तो इन्हें शर्म दिलाने के लिए भी- तुम्हारा आना जरूरी था। इन्हें तिरंगा न फहराने देते तो क्या पता हम भी धीरे-धीरे आजादी के दिन की इस रस्म और इसके महत्व को क्या पता भूल जाते, आजाद मुल्क के हैं हम, यह भूल जाते। यह लालकिला, जहां इस दिन तिरंगा फहराया जाता है, इनके निशाने पर आ जाता। यह भी किसी न किसी की जन्मभूमि बन जाता! ये किसी आदमी के सिर को किसी भगवान की जन्मभूमि साबित नहीं कर सकते वरना अब तक हम सब 'दुष्टों' के सिर किसी न किसी की जन्मभूमि बन चुके होते और उन्हें ढहाया जा चुका होता।
आओ तुम्हें शुरू में बता दें कि चले आए तो हो इस बार भी मगर आजाद भारत की पहली सरकार ने कश्मीर के लोगों को धारा-370 के जरिए शेष भारत से जोड़े रहने का जो वायदा किया गया था, उसे इन्होंने चुपके से तोड़ दिया है। कहते हैं कि यह रास्ते का एक रोड़ा था। इस वजह से कश्मीर का विकास नहीं हो पा रहा था। जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार वगैरह-वगैरह का तो बहुत विकास हो रहा है, जहां धारा 370 न लागू थी, न है, न होगी!
और बताऊं, हालांकि आज के दिन बताना ठीक नहीं लगता मगर बिना बताए रहा भी नहीं जा रहा कि इनकी, इनके लोगों की नजर अब सीधे कश्मीर की सुंदर लड़कियों पर पड़ रही है! दुखी मत होना और होना तो आज मत होना, लालकिले पर झंडा फहराये जाने तक तो बिल्कुल मत होना, दिल्ली के युवा शाम तक पतंग उड़ाते रहेंगे, तब तक मत होना। प्रधानमंत्री के भाषण से तो शायद ही तुम्हें खुशी मिले मगर जिस जोश से बच्चे 'भारत माता की जय' कहेंगे, युवा रंगबिरंगी पतंगें उड़ाते, पेंच लड़ाते दिखेंगे, यह देखकर तुम्हें भी खुशी होगी।
तो समझे न धारा 370 को हटाना इनकी खुशी का सबसे बड़ा सबब इसलिए है कि अब इन्हें, इनकी संतानों को कश्मीर की खूबसूरत जवान लड़कियां वैध ढंग से भोगने को मिलेंगी! इनका हरियाणवी मुख्यमंत्री, इनका यूपी वाला एमलए, इनकी एक कथित साध्वी, इनके कार्यकर्ता कह रहे हैं कि अब कश्मीरी लड़कियां हमारी बहन नहीं, दोस्त भी नहीं, प्रेमिका भी नहीं, सीधे बीवी बनेंंगी। समझ में आया न इसका मतलब, इनके दिमाग की सड़न! कह रहे हैं, दोस्तो, तैयार रहो,15 अगस्त के बाद किसी भी दिन कश्मीर तुम्हारी ससुराल बन सकती है। 'भोगने' को मिले तो इनका धर्म, इनकी जाति, इनका गोत्र, न पहले कभी आड़े आया था, न अब आता है। अरे जब पंडित परिवार कश्मीर से भागकर इधर आए थे, तब तुममें हिम्मत थी यह सब कहने की! अब भी है हिम्मत! इसी तरह मोदीजी आप कश्मीरियों का दिल जीतना चाहते हो? ठीक इसी तरह?
जिन्होंने अभी तिरंगा फहराया है लालकिले पर, उनके समर्थकों, उनके अनुयायियों की कुल लालसा स्त्री-भोग है। फिर भी तुम आ गए तो हम जैसे करोड़ों तुम्हारे सम्मान में, राष्ट्रगीत के सम्मान में, इस दिन के सम्मान में खुशी मनाएंगे मगर मन में गहरी उदासी भी होगी कि देखो, ये देश आज किन्हें हमने सौंप दिया है। और देखो किसी भाजपाई-संघी नेता ने, प्रधानमंत्री, पार्टी अध्यक्ष ने इन्हें फटकारने का नाटक तक नहीं किया, एमएलए साहब से किसी ने जवाब-तलब नहीं किया, साध्वी की जबान पर ताला नहीं लगाया! बीजेपी-संघ में ओछी-घटिया बातें करने की 'निजी' 'स्वतंत्रता' सुरक्षित है, पार्टी का तथाकथित अनुशासन, कानून-अदालत, शर्म कुछ भी इनके आड़े नहीं आता।इन्हें 15 अगस्त, 'स्वतंत्रता दिवस' इसीलिए खुशी देने लगा है। इसी खुशी में ये तिरंगा फहरा देते हैं!
क्या पता अगले स्वतंत्रता दिवस से पहले कुछ और भी बुरा हो, उससे अगले और उससे भी अगले पर और भी बुरा। इसलिए इस 15 अगस्त तुम आ गए, यह बहुत अच्छा किया! आते रहना इसी तरह कि क्या पता इन्हें तो नहीं मगर किसी दिन हमें शर्म आ जाए कि वे हमीं थे, जिन्होंने इन्हें एक बार नहीं, दो बार चुनकर, 15 अगस्त, तुम्हें मुंह दिखाने लायक तक नहीं छोड़ा था। वे हमीं में से कुछ थे, जिन्हें अचानक कश्मीर अपने उस उपनिवेश की तरह लगने लगा था, जिसे एक दिन अचानक आक्रमण करके जीत लिया गया है। अब वहां की खूबसूरत वादियों में हमारे बंगले होंगे, हमारे महल होंगे, महलों में हमारे हरम होंगे, जिनमें वहां की खूबसूरतियां कैद होंगी और किसी राजा, किसी बादशाह की तरह हम उनका आनंद जब चाहे लूटेंगे- बेखौफ!
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