'घर में घुसकर मारेंगे...' का नारा खोखला दावा, आंकड़े गवाह हैं आतंकवादी वारदातों में नहीं आई है कोई कमी
2019 में देश को भरोसा दिलाया गया था कि भारत अब किसी से डरने वाला नहीं है और वह मुंहतोड़ जवाब देगा। पाकिस्तान के अंदर बालाकोट हमले के बाद कहा गया था- घुसकर मारेंगे। दो साल बाद स्थितियां चिंताजनक हैं। आतंकी हमले लगातार हो रहे हैं।
अफगानिस्तान अब तलिबान के कब्जे में है। एक तरह से उसका मालिक- मुख्तार पाकिस्तान ही है। तालिबान और पाकिस्तान- दोनों के चीन से अच्छे और गहरे रिश्ते हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह सब भारत की सुरक्षा के खयाल से गहरी चिंता वाली बातें हैं।
ठीक है कि काबुल में कुछ विरोध प्रदर्शन हुए हैं और वहां महिलाओं ने भी ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाए हैं लेकिन विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जब तक चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कतर और तुर्की से तालिबान को अलग- अलग स्तर की मदद और समर्थन हासिल है, वह इन सबकी बहुत चिंता करने वाला नहीं है। तालिबान लगभग टहलता हुआ काबुल आया और उसने कब्जा कर लिया; लगभग तीन हफ्ते तक पंजशीर घाटी में संघर्ष चला, पर अमेरिकी जवानों के छोड़े हथियारों के बल पर और आईएसआई की देखरेख में यहां भी वह काबिज करने का दावा कर रहा है।
यह संकेत है कि वह फिलहाल तो पाकिस्तान के नियंत्रण में है। दुनिया के सभी प्रमुख देश तालिबान की अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात को मान्यता देने के अच्छे-बुरे परिणामों पर अत्यंत दुखदायी विचार-विमर्श कर तो रहे हैं लेकिन किसी भी फैसले का भारी मूल्य चुकाना होगा। तालिबान सरकार पर पाकिस्तान का वरदहस्त है, यह किसी से छिपा नहीं है। आईएसआई प्रमुख ने काबुलका दौरा भी किया है। भारत आगे की स्थितियों पर सांस रोककर प्रतीक्षा करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता। भारत ने तालिबान प्रवक्ता सुहेल शाहीन के इस वक्तव्य पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है कि तालिबान कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाएगा। लेकिन सभी राज्यों में बढ़े हुए खतरे और सीमा पार से घुसपैठ में संभावित बढ़ोतरी के संकेत तो चले ही गए हैं।
श्रीनगर में चिनार कोर के जीओसी ने कहा कि कश्मीर में हालात पूरी तरह नियंत्रण में है और चिंता की कोई बात नहीं है। कश्मीर का सुरक्षा प्रशासन दावा करता है कि घाटी में सक्रिय उग्रवादियों की संख्या अब सैकड़ा भर रह गई है जबकि यह किसी समय 3,500 के आसपास थी। वैसे भी, भारत सरकार आधिकारिक तौर पर दावा करती है कि कश्मीर अब पूरी तरह समन्वित है; कि सबकुछ शांतिपूर्ण है और पर्यटकों की भीड़ जिस तरह यहां लगने लगी है, वह बताती है कि यहां स्थितियां सामान्य हैं। वैसे, पर्यटकों की भीड़ की एक वजह यह भी है कि वे लोग भी यहां आ रहे हैं जो कोविड प्रतिबंधों के कारण विदेशी पर्यटक स्थलों पर नहीं जा पा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आशा दिलाने वाली बातें कही हैं और दावा किया कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वजह से सभी आतंकी हमले रुक गए हैं। लेकिन असलियत क्या है, यह सब जानते हैं।
(साथ में दी गई तस्वीरें देखें)
लेकिन यह भी ध्यान में रखने की बात है कि तालिबान के पास अब बेहतर हथियार हैं। आईएसआई की मदद की वजह से उसे इन हथियारों को लेकर ट्रेनिंग भी मिल जाएगी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तालिबान लगातार युद्धरत रहा है और अलकायदा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट से उसके संबंध जगजाहिर हैं और इसलिए वह पहले से बड़ा खतरा है। वैसे तो, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बल विस्फोटकों और कार बमों से निबटना सीख गए हैं, फिर भी उन्हें आशंका है कि इस बार उन्हें आत्मघाती आतंकवादियों से जूझना पड़ सकता है। ये भी खबरें हैं कि अलकायदा (अफगानिस्तान) का ऑनलाइन एडीशन- नवाई अफगान जिहाद (अफगानिस्तान की आवाज) हाल में नवाई गजावत-उल-हिंद (भारत की फतह की आवाज) में बदल गया है जो इसके मकसद का संकेत देता है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमांड का नया जनरल जिस तरह नियुक्त किया है, उससे भी विश्लेषक भ्रम में हैं। भारत के साथ लगती सीमा की देखरेख इसके जिम्मे ही है। इस पद पर इस साल तीसरी बार बदलाव किया गया है- पहली ने तो कमान सात महीने संभाली जबकि दूसरे ने सिर्फ दो महीने।
2019 में देशवासियों को भरोसा दिलाया गया था कि भारत अब किसी से डरने वाला नहीं है और वह मुंहतोड़ जवाब देगा। पाकिस्तान के अंदर बालाकोट हमले के बाद कहा गया था- घुसकर मारेंगे। दो साल बाद स्थितियां चिंताजनक हैं। भारत को अभूतपूर्व तरीके से अपने राजनयिक तथा सैन्य आक्रमणों की धार तीखी करनी होगी ताकि वह सुरक्षित रहे।
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