मुस्लिमों के लिए खतरनाक होता जा रहा है भारत, पीएम मोदी खुद भड़काऊ भाषणों से दे रहे हवा
रिपोर्ट के अनुसार सरकार की नीतियों के आलोचकों, खासकर मुस्लिमों का सरकारी तंत्र और कट्टरवादियों द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा हैI इस दौर में केवल बीजेपी नेताओं ने ही नहीं, बल्कि खुद प्रधानमंत्री ने भी ऐसे भाषण दिए, जो निश्चित तौर पर ‘भड़काऊ’ की श्रेणी में थेI
असम एक ऐसा राज्य है जहां की बीजेपी सरकार लगातार हिंदुत्व का एजेंडा जनता पर थोप रही है, और इसका विरोध करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता या फिर इसे उजागर करने वाले पत्रकार या तो मारे जा रहे हैं या फिर कैदी बनाए जा रहे रहे हैंI राज्य में कुछ महीने बाद चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में बीजेपी अपना एजेंडा तेजी से राज्य में लागू करती जा रही हैI हाल में ही राज्य के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने ऐलान किया कि राज्य के सभी मदरसों को हमेशा के लिए बंद किया जाएगा और इनके बदले सामान्य स्कूल स्थापित किये जाएंगेI इन मदरसों की संख्या 700 से भी अधिक हैI
असम के शिक्षा मंत्री के अनुसार मदरसों की तालीम शिक्षा मानकों के अनुरूप नहीं है और हमें भविष्य में मस्जिदों के इमाम से अधिक डॉक्टर, पुलिस, ब्यूरोक्रेट और शिक्षकों की आवश्यकता हैI इस वर्ष 21 अप्रैल से राज्य के सभी मदरसे हमेशा के लिए बंद कर दिए जाएंगेI राज्य में कांग्रेस के विधानसभा सदस्य वाजिद अली चौधरी ने इस कदम की कड़े शब्दों में निंदा की है और इसे मुस्लिमों के विरुद्ध उठाया गया कदम मानते हैंI
बीजेपी के नेता, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, क्या कहते हैं और क्या होता है, में हमेशा जमीन-आसमान का अंतर रहता हैI शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि भविष्य में मस्जिदों के इमाम के बदले शिक्षकों, डॉक्टरों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की जरूरत हैI दूसरी तरफ जब मुस्लिम पढ़-लिख कर प्रशासनिक सेवाओं में आते हैं, तब सुदर्शन टीवी पर यूपीएससी जेहाद दिखाया जाता है, जिसे केंद्र की बीजेपी सरकार भरपूर समर्थन देती हैI
कृषि कानूनों पर बड़े आन्दोलन हो रहे हैं और प्रधानमंत्री आन्दोलनकारियों को भ्रमित बता रहे हैंI प्रधानमंत्री बता रहे हैं कि कृषि कानूनों से उनका भला होगा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी मंडियों में कोई अंतर नहीं आएगाI मंत्री और सरकारी हो चुके मीडिया द्वारा लगातार बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री स्वयं बता रहे हैं कि किसान का भला होगा, तो फिर किसान और कितना भला चाहते हैं?
याद कीजिये प्रधानमंत्री के नोटबंदी के ऐलान वाले भाषण को, जिसमें इसी प्रधानमंत्री ने काले धन के खात्मे, आतंकवाद की कमर टूटने, केवल 50 दिनों की परेशानी और अंतिम आदमी के भले का दावा किया था- क्या प्रधानमंत्री का एक भी दावा सही हुआ? नागरिकता कानून के लागू करने के बाद जब देश भर में आन्दोलन शुरू हुए, तब इसी प्रधानमंत्री ने कभी हवा में हाथ लहरा-लहराकर तो कभी ताली पीटकर यह बताया था कि इस देश में मुस्लिम भी उतने ही सुरक्षित हैं, जितने हिन्दूI प्रधानमंत्री ने उस समय भी कहा था कि आन्दोलन के लिए विपक्ष भड़का रहा हैI
पर, देश में मुस्लिमों की स्थिति तो दिल्ली दंगों की रिपोर्ट, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया में पुलिस की बर्बरता और लव जिहाद और गौ रक्षा के नाम पर मुस्लिमों की गिरफ्तारी और लगातार हत्या ही बता देती हैI दिल्ली दंगों के सरगना कपिल मिश्र, प्रवेश वर्मा और दूसरे लोगों का तो रिपोर्ट में जिक्र भी नहीं किया गया और मुजफ्फरपुर दंगों से बीजेपी नेताओं के नाम हटा दिए गए- प्रधानमंत्री जी अब पूरी तरह से खामोश हैंI प्रधानमंत्री जी भले ही खामोशी का चोंगा पहन लें, पर सभी इस मसले पर चुप हैं, ऐसा भी नहीं हैI
द साउथ एशिया कलेक्टिव नामक संस्था ने हाल में ही “साउथ एशिया स्टेट ऑफ माइनॉरिटीज रिपोर्ट 2020” को प्रकाशित किया है और इसके अनुसार भारत लगातार अल्पसंख्यक मुस्लिमों के लिए खतरनाक बनता जा रहा है और इन पर हिंसा और अत्याचार बढ़ते जा रहे हैंI कुल 349 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विशेष तौर पर मुस्लिम कार्यकर्ताओं की दयनीय स्थिति की भी चर्चा की गई हैI
रिपोर्ट के अनुसार अल्पसंख्यकों में मामले में दक्षिण एशिया के हरेक देश- भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की स्थिति एक जैसी है और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के सन्दर्भ में मानों इन देशों में ही आपसी प्रतिस्पर्धा रहती हैI साउथ एशिया फ्री मीडिया एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल इम्तियाज आलम के अनुसार इन सभी देशों में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों का लगातार उत्पीड़न किया जाता है और भारत की स्थिति इस सन्दर्भ में पाकिस्तान या अफगानिस्तान से किसी भी स्थिति में बेहतर नहीं हैI दक्षिण एशिया के लगभग सभी देशों में लोकतंत्र के नाम पर फासिस्ट सरकारों का कब्जा है, जो खासतौर से जनता के अभिव्यक्ति और आन्दोलनों के संवैधानिक अधिकारों का हिंसक हनन करने में लिप्त हैंI
रिपोर्ट के अनुसार भारत में जब केंद्र सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स लागू किया तभी निष्पक्ष सोच वाली जनता, निष्पक्ष मीडिया, शिक्षाविदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने समझ लिया था कि यह देश में अधिकतर मुस्लिमों को बेघर करने की कवायद हैI इसके बाद नागरिकता क़ानून पर देश भर में आन्दोलन किये गए, जिसके अनुसार केवल मुस्लिमों को छोड़कर शेष सभी अवैध तरीके से देश में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ करने वालों को नागरिकता दी जाएगीI इस दौरान सरकार की नीतियों के आलोचकों, विशेष तौर पर मुस्लिमों को सरकारी तंत्र और कट्टरवादी सरकार समर्थक समूहों ने उत्पीड़ित कियाI इस दौर में केवल मंत्री और बीजेपी के दूसरे नेताओं ने ही नहीं, बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री ने भी ऐसे भाषण दिए, जो निश्चित तौर पर “भड़काऊ भाषण” की श्रेणी में थेI
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत सरकार ने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन एक्ट का इस्तेमाल मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों के विरुद्ध एक हथियार के तौर पर किया और समाचार माध्यमों पर एक अघोषित सेंसरशिप थोप दीI फरवरी के दिल्ली दंगों में भी अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया और इसके बाद अप्रैल में तबलीगी जमात को केवल मुस्लिम होने के कारण, कोविड19 का दोषी करार दिया गयाI इसमें सरकार और मीडिया की भागीदारी एक जैसी हैI
दरअसल लगातार पिछले 6 वर्षों से प्रधानमंत्री जो कहते जा रहे हैं, समाज में उसका असर ठीक उल्टा हो रहा है, पर अभी जनता को यह समझ में नहीं आया हैI हां, किसानों को जिन्हें प्रधानमंत्री जी भ्रमित बता रहे हैं, उन्हें यह तथ्य ठीक से समझ में आ गया है तभी अब वो प्रधानमंत्री के वादे नहीं बल्कि लिखित कानून चाहते हैंI
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