विष्णु नागर का व्यंग्यः चौतरफा पाखंड पताका फहराने की बधाई, इसीलिए तो हम सच्चे भारतीय हैं!

प्रदूषण की बातें करना हमें अच्छा लगता है और क्यों न लगे, अच्छी बातें तो अच्छी लगनी ही चाहिए, मगर पटाखे चलाना हमें उससे भी अच्छा लगता है। जैसे मोदीजी को लोकतंत्र की बातें करना अच्छा लगता है, पाखंडियों को धर्म, ईमान और चरित्र की बातें करना अच्छा लगता है।

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

कल आप-हम दीपावली मना चुके, माफ कीजिए मगर बधाई आज आपको दे पा रहा हूं। हो सकता है, आज आपको इतनी फुर्सत हो। न हो तो भी कोई बात नहीं, परसों या जब समय मिले, तब बधाई ले लेना। लेखक की बधाई है, इसे स्वीकार जरूर कर लेना। पटाखों पर तो सरकार ने दिल्ली आदि में रोक लगा रखी थी, मगर भाइयों-बहनों चूंकि हम मध्यवर्गीय हृदय से सच्चे भारतीय हैं, हम पटाखे चलाए बगैर मान नहीं सकते।

प्रदूषण-वदूषण की बातें करना हमें सचमुच बहुत अच्छा लगता है और क्यों न लगे, अच्छी बातें तो अच्छी लगनी ही चाहिए न, मगर पटाखे चलाना हमें उससे भी अधिक अच्छा लगता है। जैसे मोदीजी को लोकतंत्र की बातें करना अच्छा लगता है, पाखंडियों को धर्म, ईमान और चरित्र की बातें करना अच्छा लगता है। वही हाल हमारा भी कुछ-कुछ है, क्योंकि हमारी नस्ल तो एक है- चाहे हमारा धर्म कोई भी हो और हम मोदी हों या उतने मोदी न हों! हम सब एक न एक स्तर पर मोदी हैं, पाखंडी हैं।सरकार भी, दूकानदार भी, हम सब भी। थोक के भाव सब के सब।

तो प्रतिबंध के बावजूद पटाखे चलाने में सफलता आपमें से जिन्होंने भी अर्जित की, उन्हें बधाई।पाखंड पताका हम सब ने मिलकर राष्ट्रीय ध्वज की तरह फहराई, इसकी बधाई, हालांकि कायदे से इसकी बधाई बनती नहीं है। बधाई वह दे, जो पाखंडी न हो यानी जो सच्चा भारतीय नहीं हो! और हम तो भाई सभी सच्चे, खरे, सौ टका भारतीय हैं। हैं कि नहीं? हैं। हां सच्ची बात तो बोलनी चाहिए न! इसके लिए मोदीजी से पूछने की जरूरत है क्या? वे झूठ बोलने से पहले हमसे पूछते हैं? बोलो, पूछते हैं?

और बधाई तो बनती है साहब इस मौके पर और भी कई। अमेरिकियों ने ट्रंप को हरा दिया और हमने बिहार में बीजेपी को यानी मोदीजी को जिता दिया। यह 'खुशखबरी' दीपावली से ठीक पहले मिली है तो इसकी भी बधाई लें। और इस बहाने मोदीजी ने लोकतंत्र को मजबूत करने की जो बधाई जनता को दी है, इसकी भी बधाई लें। मुझे तो उनकी ऐसी बातों पर हंसी आती है, मगर आपको न आए तो इसकी बधाई तो जरूर ही लें। हंसने की बात पर भी हंसी न आए तो इसकी बधाई तो कुछ ज्यादा ही बनती है।

और हां मोदीजी ने रोजगार का नाश भले त्वरित गति से और बड़े पैमाने पर किया हो मगर मानना पड़ेगा कि बंदा राम मंदिर तो दिला कर ही माना। मंदिर हो तो रोजगार का क्या काम, मंदिर ही रोटी है! बंदे ने इस बहाने 2024 का एजेंडा सेट कर लिया है, ताकि आप नौकरी न मांगो। और जो नौकरी देने की बात करे, उसे प्रेम से हरा सको। इसकी भी आपको बधाई!

वैसे आज तो मैं आपको एक हजार ऐसी बातों की बधाइयां दे सकता हूं। आप लेते-लेते थक जाएंगे।तो मान लो, उन सबकी बधाई भी मैंने आपको थोक में दे दी। मुश्किल यह है भाइयों-बहनों कि दीपावली के दिन तो बड़ी-बड़ी कंपनियों से लेकर बड़े-बड़े नेता तक सभी बधाई देते हैं तो एक-एक चीज की बधाई अलग-अलग देने का बोझ मैं आप पर नहीं डालूंगा! आज इस दुनिया में कितने लोग बचे हैं, जो आपका बोझ न बढ़ाएं! तो बुरा न मानें तो मुझे भी इसकी बधाई दें।

बधाई-बधाई का खेल बहुत हो चुका! कुछ ‘राष्ट्रविरोधी’ कह रहे हैं कि इस साल क्या बधाई लेना-देना! अभी तो कोरोना जी पधारे हुए हैं। ये महाराज जा ही नहीं रहे हैं। वो फिल्म याद आती है- 'अतिथि तुम कब जाओगे' ! ये उसी प्रकार के अतिथि हैं। जाने का नाम नहीं ले रहे। बताते हैं कि वैक्सीन आ गई और मान लो (वैसे अधर्म है ऐसा सोचना) कि मोदीजी ने सबको मुफ्त दे भी दी, यानी असंभव को संभव कर दिया तो भी बताते हैं, यह अतिथि इतने बेशर्म हैं कि नहीं जाने वाले। तो जब अतिथि, जबर्दस्ती घर का सदस्य बना बैठा हो और अपने आतिथ्य से एक-एक को अस्पताल पहुंचा रहा हो तो ऐसी दीपावली की कैसी बधाई!

कुछ कहते हैं कि जब करोड़ों लोग बेरोजगार हों, भूखों मर रहे हों, आत्महत्या कर रहे हों, तब कैसी दीपावली और कैसी बधाई! कैसे दीये और कैसा प्रकाशपर्व! जीवन में अधेरा और प्रकाशपर्व!अर्थव्यवस्था गड्ढे में है, मंदी है और दीपावली की शुभकामनाएं! मगर मित्रों, ये सब 'राष्ट्रविरोधी' बातें हैं, पाकिस्तान को खुश करनेवाली बातें हैं। मोदीजी को बदनाम करने की यह सोची-समझी साजिश है। इन अफवाहों पर मित्रों, भरोसा न करें। मोदीजी, सीतारमण जी, योगीजी, शाहजी आदि जो भी कहें, जो भी करें, उस पर भरोसा रखें और बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, लोकतंत्र सबका भरपूर आनंद लेते हुए बधाई दें और लें। लेनदेन ही जीवन का चरम सत्य है मित्रों!

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