आंध्र प्रदेशः जगन मोहन को घेरने की चौतरफा तैयारी, निगाहें TDP, कांग्रेस पर, पवन कल्याण अहम फैक्टर

कर्नाटक और फिर तेलंगाना में शानदार चुनावी जीत ने कांग्रेस का मनोबल बढ़ा दिया है और आंध्र प्रदेश को लेकर भी उसमें आशाएं जगा दी हैं। आंध्र प्रदेश के विभाजन के कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में इसे यहां एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। लेकिन अब लोगों का मन बदल रहा है।

जगन मोहन को घेरने की चौतरफा तैयारी, निगाहें TDP, कांग्रेस पर, पवन कल्याण अहम फैक्टर
जगन मोहन को घेरने की चौतरफा तैयारी, निगाहें TDP, कांग्रेस पर, पवन कल्याण अहम फैक्टर
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सुरेश धरूर

अभिनेता से राजनीतिज्ञ बने पवन कल्याण कई तरीके से आजाद खयाल वाले हैंः वह लैटिन अमेरिकी क्रांतिकारी चे गुआरा की प्रशंसा करते हैं, पर विजयवाड़ा के पास अपनी गौशाला में गायों की पूजा करते हैं; एक तरफ, वाम क्रांतियों के वैश्विक इतिहास से अवाक् रहते हैं, तो दूसरी तरफ, बीजेपी के साथ भी आराम से चलते हैं।

इस 52 वर्षीय तेलुगु स्टार की युवाओं के बीच काफी फैन फॉलोइंग है। लोकसभा चुनावों के साथ ही होने वाले आंध्र चुनावों में पारंपरिक तौर पर तो मुकाबला वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के बीच माना जा रहा है, पर इस मुकाबले में पवन कल्याण महत्वपूर्ण फैक्टर हो सकते हैं। इन चुनावों में वाईएसआरसीपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए राजनीतिक पार्टियां पवन कल्याण की जन सेना पार्टी (जेएसपी) और टीडीपी के साथ हाथ मिला सकती हैं। राज्य में भारी जातिवादी वफादारी और फिल्म स्टारों के लिए मुखर फैन फॉलोइंग रही हैं। दो पार्टियां अगर साथ आती हैं, तो उसका चुनावों पर गहरा असर हो सकता है।

लेकिन एक बात ध्यान रखने की है। बीजेपी का जेएसपी के साथ पहले से गठबंधन है। वह टीडीपी के साथ चलने के लिए खास तौर पर इच्छुक नहीं बताई जाती। राजनीतिक विश्लेषक और लेखक के रमेश बाबू का मानना है कि 'वस्तुतः, बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व का मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी की तरफ दोस्ती और कृपा भरी प्रवृत्ति है। ऐसा इसलिए क्योंकि जगन भी उनसे बढ़िया संबंध रखना चाहते हैं।'

हालांकि 2019 चुनावों में पवन कल्याण की पार्टी ढेर रही और 175 सदस्यीय विधानसभा में उसे सिर्फ एक सीट मिली, युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता इस बार टीडीपी-जेएसपी गठबंधन के पक्ष में काम कर सकती है। 52 वर्षीय पवन तेलुगु स्टार और पूर्व केन्द्रीय मंत्री के चिरंजीवी के छोटे भाई हैं। उन्होंने 2014 आम चुनावों से पहले जन सेना पार्टी बनाई थी, पर चुनाव नहीं लड़ा था। इसकी जगह उन्होंने टीडीपी-बीजेपी गठबंधन के उम्मीदवारों का समर्थन किया था और इसके उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार भी किया था।


कर्नाटक-तेलंगाना से कांग्रेस का मनोबल ऊंचा

कर्नाटक और फिर, तेलंगाना में शानदार चुनावी जीत ने कांग्रेस का मनोबल बढ़ा दिया है और आंध्र प्रदेश को लेकर भी उसमें आशाएं जगा दी हैं। 2019 लोकसभा चुनावों में इसे यहां एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी रुद्रा राजू का मानना है कि '2014 में संयुक्त आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य बनाने की वजह से हमें लोगों का गुस्सा झेलना पड़ना था। लेकिन अब लोगों का मन बदल रहा है। वे हमारी पिछली मजबूरियों को समझते हैं।' पार्टी अगले चुनावों के लिए तैयार है और विभिन्न स्तरों पर कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भी है।

विभाजन के बाद से राज्य में तीन प्रमुख पार्टियां हैंः वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी। लेकिन तटीय आंध्र के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता कहते हैं कि 'अब बदलाव की हवा बह रही है और तेलंगाना में जो कुछ हुआ, उसी किस्म के परिणाम की हम उम्मीद कर रहे हैं।' पार्टी आर्थिक संकट, राजधानी के मसले पर उहापोह, भ्रष्टाचार, महज कुछेक निकट के लोगों को प्रश्रय और राज्य में निवेश आकर्षित करने में विफलता समेत विभिन्न एंटी इन्कम्बेन्सी मसलों के उभरने की उम्मीद कर रही है। यह सरकार की कारगुजारियों और टीडीपी-जन सेना पार्टी की राजनीतिक अवसरवादिता को उजागर करने के खयाल से हर दरवाजे तक पहुंचाने का अभियान चलाने की योजना बना रही है। विभाजन के वक्त आंध्र को विशेष दर्जा देने का भरोसा भी दिया गया था। वह पूरा नहीं हुआ है। पार्टी उसे भी मुद्दा बनाएगी।

ऋण का मकड़जाल

विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अंधाधुंध तरीके से चीजें मुफ्त बांटने और राजकोषीय मुनाफाखोरी की वजह से आंध्र प्रदेश ऋण जाल में तेजी से फंसता जा रहा है और यह 10 लाख करोड़ से अधिक ही हो गया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी भले ही एनडीए का हिस्सा न हो, राज्य की खराब आर्थिक हालत को बीजेपी या एनडीए की ओर से मुद्दा नहीं बनाया जाता।

आरोप है कि केन्द्र मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के प्रति 'एकदम नरम और कृपा बरसाने वाला' है। 2019 में सत्ता में आने के बाद से उनकी पार्टी केन्द्रीय बीजेपी नेतृत्व को प्रभावित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और उसने विवादास्पद समेत सभी नीतिगत निर्णयों और कानूनों पर संसद के अंदर और बाहर केन्द्र का समर्थन किया है।

राजनीतिक विश्लेषक के रमेश बाबू कहते हैं कि 'उधार लेने की जिस किस्म की तेज गति है, उससे आंध्र उसी संकट की तरफ बढ़ता दिखता है जैसा कि श्रीलंका में हुआ।' एफआरबीएम (फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) के अनुसार, राज्य अपनी जीडीपी से 3.5 प्रतिशत अधिक उधार नहीं ले सकते। आंध्र सरकार की उधार लेने की सीमा 2023-24 में 30,500 करोड़ है लेकिन इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत तिमाही में ही वह 28,500 करोड़ ले चुकी थी। 31 मार्च, 2022 को राज्य की कुल देनदारी 4.90 लाख करोड़ थी जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 40.85 प्रतिशत है।


टीडीपी के प्रवक्ता एन विजय कुमार तो कहते हैं कि 'राज्य के निगमों द्वारा लिए गए ऋण और सरकारी जमीनों को गिरवी रखने और अन्य तरीकों के जरिये ली गई राशि को देखा जाए, तो कुल ऋण 10 लाख करोड़ को पार कर जाएगा।' नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) और क्रेडिट रेटिंग इन्फॉर्मेशन सर्विसेस ऑफ इंडिया लिमिटेड (क्रिसिल) राज्य की वित्तीय स्थिति को लगातार चेतावनी दे रहे हैं।

प्रशांत किशोर का मिशन

जने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का आंध्र में एक चक्र पूरा हो गया लगता है। वाईएसआरसीपी ने किशोर की टीम की 2019 में सेवाएं ली थीं और चुनाव में उसे भारी जीत मिली थी। किशोर की अभी हाल में विजयवाड़ा में टीडीपी सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू के साथ बैठक हुई है और राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि उनकी टीम आने वाले चुनावों में उनके साथ काम करेगी।

प्रशांत किशोर प्राइवेट जेट से विजयवाड़ा आए और उन्होंने चंद्रबाबू नायडू से उनके आवास पर तीन घंटे तक बातचीत की। हालांकि, किशोर ने इसे 'शिष्टाचार भेंट' बताया लेकिन टीडीपी सूत्रों ने कहा कि टीडीपी-जन सेना पार्टी गठबंधन की चुनावी रणनीति और अभियान के तरीकों पर आरंभिक बातचीत हुई।

रोचक बात यह है कि किशोर की बनाई कंपनी आई-पैक वाईएसआरसीपी के लिए अब भी काम कर रही है। इसने एक्स पर कहा कि '2024 में जब तक जगन मोहन रेड्डी प्रभावी जीत हासिल नहीं कर लेते, हम वाईएसआसीपी के साथ काम करने के लिए समर्पित हैं।' वैसे, प्रशांत किशोर ने हाल के दिनों में कहा है कि उन्होंने आई-पैक से अपने को अलग कर लिया है। वह इन दिनों अपने गृह राज्य बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। किशोर की कंपनी ने 2014 में नरेन्द्र मोदी के चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभाई थी। वह तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके के साथ भी काम कर चुकी है।

पूर्व पुलिस अधिकारी की पार्टी

मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी समेत कई प्रमुख लोगों के खिलाफ मामलों की जांच में शामिल रहे पूर्व सीबीआई अधिकारी वीवी लक्ष्मीनारायण ने जय भारत नेशनल पार्टी (जेबीएनपी) लॉन्च की है। वह सत्यम घोटाले और कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी वाले ओबालुपरम खनन घोटाले की जांच में भी शामिल रहे थे। 1990 बैच के इस आईपीएस अफसर ने कहा कि 'मेरी पार्टी भ्रष्टाचार समाप्त करने और युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है। शासन का हमारा मंत्र हैः अप्पू चेयम, थप्पू चेयम (न कोई ऋण, न कोई गलत काम)।'


जब वह सीबीआई के संयुक्त निदेशक थे, तब संयुक्त आंध्र प्रदेश में उनका नाम घर-घर में लिया जाता था। उस समय वह तब के सांसद जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कथित अवैध संपत्तियों की जांच का नेतृत्व कर रहे थे। इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट दाखिल होने पर जगन को गिरफ्तारी के बाद मई, 2012 में हैदराबाद केन्द्रीय जेल में जाना पड़ा था। वहां वह 16 महीने रहे थे। उसके बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।

मार्च, 2018 में लक्ष्मीनारायण ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। तब उन्होंने जन सेना पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। उन्होंने 2019 में विशाखापत्तनम से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए थे। बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और बीजेपी के साथ रिश्ते बनाने का प्रयास कर रहे थे।

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