शराब बनती जा रही है वैश्विक आपदा, इससे होने वाली क्षति रोकने के लिए बड़ा अभियान जरूरी
विभिन्न देशों में होने वाले अध्ययनों में यह महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि 50 प्रतिशत से अधिक यौन हिंसा और हमलों में शराब और नशीली दवाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
विश्व स्तर पर विभिन्न अध्ययनों से शराब से होने वाली अत्यधिक क्षति की नई जानकारियां मिलती जा रही हैं। इस बारे में तो दो राय हो सकती हैं कि शराब के उपभोग को कम कैसे किया जाए, पर इस बारे में तो लगभग सर्वमान्यता ही बनती जा रही है कि शराब से विभिन्न स्तरों पर बहुत तबाही जुड़ी है। अतः चाहे पूर्ण शराबबंदी की कानूनी बाध्यता करने में कुछ समस्याएं हों, पर इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार और जन-संगठनों दोनों को शराब विरोधी व्यापक अभियान निरंतरता से चलाना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की शराब और स्वास्थ्य स्टेटस रिपोर्ट (2018) के अनुसार विश्व में वर्ष 2016 में शराब से 30 लाख मौतें हुईं। वर्ष 2016 में शराब के कारण हुई मौतों में से 28.7 प्रतिशत चोटों के कारण हुईं, 21.3 प्रतिशत पाचन रोगों के कारण हुईं, 19 प्रतिशत हृदय रोगों के कारण हुईं, 12.9 प्रतिशत संक्रामक रोगों से हुईं और 12.6 प्रतिशत कैंसर से हुईं। 20 से 29 आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 13.5 प्रतिशत शराब के कारण होती हैं।
सड़क दुर्घटनाओं में शराब के कारण वर्ष 2016 में 370000 मौतें हुईं। इनमें से 187000 ऐसे व्यक्ति थे जो स्वयं गाड़ी नहीं चला रहे थे। शराब के कारण इस वर्ष 150000 आत्म-हत्याएं हुईं व 90000 मौतें आपसी हिंसा में हुईं। कम समय में अधिक पी लेने से कोमा में आने और मृत्यु तक का परिणाम हो सकता है।
इस रिपोर्ट ने यह भी बताया है कि 200 तरह की बीमारियों और चोटों में शराब का हानिकारक उपयोग एक कारण है। लिवर सिरहोसिस और अनेक तरह के कैंसर में शराब एक महत्त्वपूर्ण कारण है। पहले अधिक शराब पीने को ही मस्तिष्क की क्षति, याद रखने की क्षमता पर प्रतिकूल असर और डिमेनशिया से जोड़ा जाता था पर अब ऑक्फोर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के नए अनुसंधान (ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित) से पता चलता है कि अपेक्षाकृत कम शराब पीने से भी मस्तिष्क की ऐसी क्षति होती है।
यह तो सब जानते हैं कि शराब स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है, पर शराब उद्योग यह मिथक फैलाने के लिए प्रयासरत रहा है कि थोड़ी सी शराब पीने से नुकसान नहीं होता है। यह केवल एक मिथक ही है। सच्चाई हाल के अध्ययन में सामने आई है जो प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित हुआ।
लगभग 500 विशेषज्ञों के समूह के मुख्य लेखक मैक्स ग्रिसवोल्ड ने इस अध्ययन के निष्कर्ष के बारे में बताया है, “एल्कोहल की कोई ऐसी सुरक्षित मात्रा नहीं है। (न्यूनतम मात्रा से भी नुकसान होता है)। आगे जैसे-जैसे एल्कोहल का प्रतिदिन का उपयोग बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे स्वास्थ्य के खतरे भी बढ़ते जाते हैं।”
नशीली दवाओं, एल्कोहल और एडिक्टिव बिहेवियर के विश्वकोष के अनुसार मौत होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में से 44 प्रतिशत में एल्कोहल की भूमिका पाई गई है। दुर्घटना में मरने वाले 50 प्रतिशत तक मोटर साईकिल चालकों के शराब के नशे में होने की संभावना पाई गई है।
इस विश्वकोष के अनुसार घर में होने वाली दुर्घटनाओं में 23 से 30 प्रतिशत में एल्कोहल की भूमिका होती है। आग लगने और जलने से मौत होने की 46 प्रतिशत दुर्घटनाओं में एल्कोहल की भूमिका होती है।
यदि शराब न पिए हुए व्यक्ति से तुलना करें तो शराब पीने के बाद किसी व्यक्ति में आत्म-हत्या का खतरा सात गुणा बढ़ जाता है और अधिक मात्रा में शराब पीने के बाद यह खतरा 37 गुणा बढ़ जाता है (बोर्जे का अध्ययन, 2017)। एल्कोहल उपयोग डिसआर्डर के कारण अवसाद की संभावना कम से कम दोगुना बढ़ जाती है।
कुछ वर्ष पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अन्य रिपोर्ट तैयार करवाई थी जिसे हिंसा और स्वास्थ्य पर विश्व रिपोर्ट (हिंस्व रिपोर्ट) का शीर्षक दिया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्रेशन या अवसाद के लिए भी एल्कोहल एक महत्त्वपूर्ण कारक है। हिंस्व रिपोर्ट के अनुसार एल्कोहल और नशीली दवाओं के दुरुपयोग की आत्म-हत्या में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। संयुक्त राज्य अमेरिका में चार में से कम से कम एक आत्म-हत्याओं में एल्कोहल की भूमिका रिपोर्ट की गई है।
हिंस्व रिपोर्ट ने घरेलू हिंसा पर अनेक अध्ययनों के आधार पर बताया है कि जो महिलाएं अधिक शराब पीने वालों के साथ रहती हैं उनके प्रति पति या पार्टनर की हिंसा की संभावना कहीं अधिक होती हैं। इसी रिपोर्ट के अनुसार इन अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि शराब पीने वाले या पी रहे व्यक्ति हिंसा करते हैं तो उनके द्वारा की गई हिंसा अधिक भीषण होती है। इस रिपोर्ट में कनाडा के एक सर्वेक्षण के बारे में बताया गया है जिससे पता चला है कि यदि शराब न पीने वालों के साथ रहने वाली महिलाओं की तुलना अधिक शराब पीने वालों के साथ रहने वाली महिलाओं से की जाए तो दूसरी श्रेणी वाली महिलाओं पर पति या पार्टनर के हमले या हिंसा की संभावना पांच गुणा बढ़ जाती है। हिंसा रिपोर्ट के अनुसार यौन हिंसा के मामलों में हमलावर के संदर्भ में और जिस पर हमला हुआ है उसके संदर्भ में भी यह कहा जा सकता है कि एल्कोहल और नशीली दवा के उपभोग से बलात्कार सहित यौन हमले और हिंसा की संभावना बढ़ जाती है।
विभिन्न देशों में होने वाले अध्ययनों में यह महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि 50 प्रतिशत से अधिक यौन हिंसा और हमलों में शराब और नशीली दवाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। विशेषकर युवाओं की हिंसा के संदर्भ में हिंस्व ने कहा है कि हिंसा होने में या उसकी संभावना बढ़ाने में शराब की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। युवा हिंसा पर स्वीडन के एक अध्ययन ने बताया कि हिंसा करने वाले लगभग 75 प्रतिशत व्यक्ति और हिंसा की मार सहने वाले लगभग 50 प्रतिशत व्यक्ति हिंसा की घटनाओं के समय नशे में पाए गए।
हिंस्व रिपोर्ट ने कहा है कि किसी समुदाय में अपराध और हिंसा कम करने की रणनीति में शराब की उपलब्धि कम करने की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। अनेक क्षेत्रों का अनुभव रहा है कि शराब के नशे के विरुद्ध जन-अभियान चलाने से इसके उपभोग में उल्लेखनीय कमी लाना निश्चित तौर पर संभव है। यह ऐसा क्षेत्र है जो सरकारों और जन-संगठनों, विशेषकर महिलाओं और युवा संगठनां के सहयोग से बहुत सार्थक परिणाम प्राप्त कर सकता है।
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