विष्णु नागर का व्यंग्यः दास प्रथा से नाराज हनुमान ने रामजी से कहा- कभी मोदी, शाह या योगी को भी ट्राय करें!
उपेक्षा से नाराज हनुमानजी भगवान राम से कहते हैं कि दास प्रथा जाने कब खत्म हो चुकी है और आप चाहते हैं कि मैं अब भी आपका दास बना रहूं? आपको दास रखने का इतना ही शौक है तो आडवाणी, मोदी, शाह, आदित्यनाथ को ट्राय करके देखिये! ये एक घंटे में रफूचक्कर हो जाएंगे।
जिस प्रकार कांग्रेस द्वारा की गई उपेक्षा से क्रुद्ध होकर सरदार पटेल ने बीजेपी ज्वाइन कर ली, उसी तरह बीजेपी की उपेक्षा से नाराज होकर उन हनुमानजी ने भी, जिन्हें हम वाया हनुमान चालीसा, भगवान राम के दास रूप में जानते हैं- आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली है। उपेक्षा सबको बुरी लगती है, हनुमानजी को भी लगी तो किम आश्चर्यम्!
अब राम कह रहे हैं, आओ भरत सम मेरे भाई हनुमान, रामदुआरे के रखवारे, राम रसायन के वाहक, बल, बुद्धि, ज्ञान-गुण के सागर, सर्वसुख के दाता, अतुलित बल के स्वामी, आओ पवनपुत्र ,मेरे खातिर मेरे साथ रहो। मेरे बिना तुम्हारा गुजारा नहीं और तुम्हारे बिना मेरा भी नहीं। हम अलग होंगे तो हमारी जगहंसाई होगी। अयोध्या में जो विशाल राममंदिर बन रहा है, मैं वचन देता हूं कि चाहे जो हो जाए, अपने चरणों में तुम्हें जगह दिलवाकर रहूंगा। तुम जानते हो, राम का वचन खाली नहीं जाता। रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई।
इसके बावजूद हनुमानजी मानने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि बाकी सब ठीक है मगर आप ही बताइए कब तक आपके चरणों में पड़ा रहूं? इक्कीसवीं सदी आ गई है। दास प्रथा न जाने कब खत्म हो चुकी है और आप चाहते हैं कि अब भी मैं आपका दास बना रहूं? आपको दास रखने का इतना ही शौक है तो जरा आडवाणी, मोदी, शाह, आदित्यनाथ को ट्राय करके देखिये! ये एक घंटे में रफूचक्कर हो जाएंगे, पलटकर दुबारा नहीं आएंगे।
दूसरी तरफ मैं हूं। मैं लाखों वर्षों तक आपका दास बना रहा, मगर आज तक मिला क्या? इससे तो मोदी का दास बन जाता तो कम से कम खेल मंत्री बन जाता। मेरा तो कोई प्रमोशन ही नहीं हुआ। वही दास का पद। तुलसीदास ने तो सदा रहो रघुपति के दासा कहकर आपकी गुलामी का पट्टा मेरे नाम लिख दिया। लिखते रहें सौ तुलसीदास। अब मैं आपका ही नहीं, किसी का भी दासत्व स्वीकार नहीं करूंगा। जब सरदार पटेल, नेहरू का साथ छोड़ सकते हैं, तो मै क्यों आपका साथ नहीं छोड़ सकता?
आपके रहते मेरी उपेक्षा बीजेपी में पिछले तीस साल से हो रही थी मगर आपने एक बार भी मेरी तरफ उनका ध्यान दिलाया? कभी नहीं। फिर भी मैंने अभी तक धीरज रखा। अपने प्रभु की न्यायप्रियता पर भरोसा किया मगर आपने मुझे लाइटली लिया। यू ट्रीटेड मी लाइक डर्ट! आपने सोचा कि यह हनुमान तो मेरा युगों-युगों से दास है- ये जाएगा कहां? मुझे आपकी यह सोच अब अच्छी तरह समझ में आ चुकी है।
दिल्ली चुनाव में मौका मिला तो मैं पलटी मार गया, आपसे, बीजेपी से मुक्त हो गया, केजरीवाल का, ‘आप’ का हो गया। अब मैं अपने मंदिर में और आप अपने मंदिर में रहो। अब ऐसा तो होगा नहीं कि आपका साथ छोड़ देने के कारण मेरे भक्त मेरे मंदिर में आना छोड़ दें। हर मंगलवार को भीड़ लगाना छोड़ दें। मेरे पास छह दिन और एक मंगलवार है। आपके पास साल में सिर्फ एक मंगलवार यानी रामनवमी है और बाकी 364 दिन सामान्य हैं। मेरा महत्व आपसे अधिक नहीं तो कम भी नहीं!
मेरे केजरीवाल को तो पूरी हनुमान चालीसा याद है, जबकि आपके भाजपाइयों को रामायण तो छोड़ो, वंदे मातरम तक याद नहीं। आप अयोध्या मेंं मंदिर बनवाते रहो, हमारा तो कनाट प्लेस हनुमान मंदिर बना हुआ है और भी हजारों हैं, मोर दैन एनफ हैं! आप रहिए उधर, हम रहेंगे इधर। हम दलबदलू कपिल मिश्रा नहीं हैं। आप में हैं तो कट्टर सेक्युलर हैं, बीजेपी में आ गए तो भयंकर सांप्रदायिक हो गए। हमने अपनी पार्टी चुन ली है। देखना है कि भविष्य में राममंदिर पार्टी जीतती है या हनुमान चालीसा पार्टी।
वैसे आना हो तो आप भी इधर आ जाओ। भविष्य सेक्युलरिज्म का है, हिंदु सांप्रदायिकता का नहीं।कहो तो मैं केजरीवाल से बात करूं। देखो केजरीवाल ने मोदी -शाह जैसों को अपने काम के दम पर पटखनी दे दी है। भाजपाइयों के होश गायब कर दिए हैं। अभी भी वक्त है, आ जाइए।सेक्युलरिज्म का साथ दीजिए। आपको आपका हनुमान मिल जाएगा, मुझे मेरे राम। लेकिन एक बात साफ है, हनुमान अब आपके चरणों में नहीं रहेगा। मंजूर हो तो बात चलाऊं? सोच लो,आज नहीं, कल बता देना, मगर बता देना, कनफ्यूजन में मत रखना! प्रणाम।
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