अल्पसंख्यकों-दलितों के शोषण का केंद्र बना उत्तर प्रदेश, मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों से सवालों में योगी सरकार
उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के सीएम योगी आदित्यनाथ के दावों की पोल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों ने खोल दी है। आयोग के अनुसार बीते तीन साल में आयोग में अल्पसंख्यकों-दलितों पर अत्याचार के जितने मामले दर्ज हुए, उनमें से 43% अकेले उत्तर प्रदेश से हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में राज्य के कानून-व्यवस्था की हालत की पोल खुल गई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन सालों में उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यकों और दलितों पर अत्याचार में टॉप पर है। पिछले तीन सालों में आयोग में अल्पसंख्यकों और दलितों पर अत्याचार और शोषण के जितने मामले दर्ज हुए हैं, उनमें से 43 प्रतिशत अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। इन मामलों में प्रदेश में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी शामिल हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ और एनकाउंटर के लिए लगातार चर्चा में रहने वाली यूपी पुलिस अक्सर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के दावे करती है, लेकिन मानवाधिकार आयोगी की ताजा रिपोर्ट अलग ही तस्वीर पेश करती है। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2016 से 15 जून 2019 तक आयोग में अल्पसंख्यकों और दलितों के साथ शोषण के कुल 2008 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 869 मामले अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। ये जानकारी 16 जुलाई को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मिली है।
खास बात ये है कि इस दौरान प्रदेश में अल्पसंख्यकों के शोषण क मामलों में आंशिक कमी देखी गई। साल 2016-17 की तुलना में 2018-19 में अल्पसंख्यकों के शोषण से जुड़े मामलों में 54 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के 42 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2018-19 में ऐसे मामलों की संख्या घटकर 19 रह गई। अल्पसंख्यकों के शोषण के मामले तो जरूर कम दिख रहे हैं, लेकिन चिंताजनक बात ये है कि इस दौरान दलितों के शोषण के मामलों में 41% का इजाफा हुआ है। साल 2016-2017 में दलितों के शोषण के 221 मामले आयोग में आए थे जो 2018-2019 में बढ़कर 311 हो गए।
हालांकि देशभर में दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं। आयोग के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अल्पसंख्यकों के शोषण के मामले कम हुए हैं, लेकिन दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं। आयोग के अनुसार पूरे देश में 2016-17 में अल्पसंख्यकों के शोषण के 117 मामले दर्ज हुए थे। साल 2017-18 में ऐसे 79 मामले सामने आए। जबकि 2018-19 में अब तक केवल 5 मामले आयोग में दर्ज किए गए हैं। जबकि देश में दलितों के शोषण के मामलों में कुल 33 प्रतिशत की वृद्धि है। आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में दलितो के शोषण के 505 मामले दर्ज हुए थे। जो 2018-19 तक बढ़कर 672 हो गए। इस साल अभी तक दलितों से जुड़े शोषण के 99 मामले आयोग में दर्ज किए गए हैं।
राज्यवार देखें तो देश में ज्यादातर हिंदीभाषी राज्यों में ही अल्पसंख्यकों और दलितों के शोषण से जुड़े मामले देखने को मिल रहे हैं। अल्पसंख्यकों और दलितों के शोषण से जुड़े 64 फीसदी मामले उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा और मध्यप्रदेश से सामने आए हैं। राजधानी दिल्ली, गुजरात और उत्तराखंड को जोड़ने पर सभी हिंदीभाषी राज्यों में यह आंकड़ा 75 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।
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