उत्तर प्रदेश: गौरक्षा के नाम पर योगी सरकार अब वसूलेगी ‘गो कल्याण सेस’, आपकी जेब पर पड़ेगा भार

गायों को सुरक्षा और सुविधा मुहैया कराने विफल रही यूपी की योगी सरकार 2019 चुनाव से पहले नया दाव चला है। दरअसल योगी सरकार ने सड़क पर घूमती गायों के लिए गोशाला के निर्माण और उनके रखरखाव को लेकर 0.5 प्रतिशत ‘गो-कल्याण सेस’ लागू किया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

योगी सरकार गाय सुरक्षा से जुड़े मामले को लेकर हमेशा सुर्खियों में रही हैं। फिर चाहे वो गौ रक्षा के नाम पर हिंसा हो या फिर सड़कों पर घूमते आवारा पशु हो। गायों को सुरक्षा और सुविधा मुहैया कराने विफल रही यूपी की योगी सरकार 2019 चुनाव से पहले नया दाव चला है। लेकिन इस चाल से अब जनता के जेबों पर बोझ बढ़ने वाला है। दरअसल योगी सरकार ने सड़क पर घूमती गायों के लिए गोशाला के निर्माण और उनके रखरखाव को लेकर 0.5 प्रतिशत ‘गो-कल्याण सेस’ लागू किया है। यह कर शराब, टोल प्लाजा और सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों से वसूल जाएगा। इस कर के द्वारा जो पैसा जमा होगा उसकी मदद से प्रदेशभर में गायो के लिए शेल्टर होम बनाया जाएगा, जिससे कि आवारा गायों को यहां रखा जा सके।

खबरों के मुताबिक, योगी सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक की। बैठक में मुनाफा कमाने वाले पब्लिक सेक्टर के 8 विभागों पर ‘गो कल्याण सेस’ लगाने का प्रस्ताव पास किया गया। इस सेस से मिलने वाली रकम पूरे प्रदेश में गायों के लिए अस्थायी शेल्टर बनाने और उनके रखरखाव में इस्तेमाल की जाएगी। इनमें 8 विभागों में एक्साइज, पब्लिक वर्क्स, स्टेट इंडस्ट्रियल डिवेपलमेंट कॉरपोरेशन और यूपी एक्सप्रेसेवेज इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी (टोल टैक्स) आदि शामिल हैं। बैठक में इसके अलावा आवारा घूमने वाले पशुओं को लेकर भी प्रस्ताव पास किया गया। इसके तहत तय हुआ कि ऐसे किसानों पर भी कार्रवाई की जाएगी, जो अपने पशुओं को सार्वजनिक स्थानों या दूसरे की संपत्ति में घूमने के लिए छोड़ देते हैं। ऐसे किसानों पर पुलिस, जिला प्रशासन या अर्बन बॉडी की ओर से जुर्माना लगाया जाएगा।

बता दें कि अवैध बूचड़खानों पर रोक लगाए जाने के बाद से यूपी आवारा मवेशियों की समस्या से जूझ रहा है। खबरों के मुताबिक, ग्रामीण उत्तर प्रदेश में मशेवियों के खेतों में घुसने से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। साथ ही कई सड़क हादसे भी हुए हैं। नए सेसके बाद प्रदेश में शराब के दाम बढ़ने की संभावना है। हालांकि अभी इस बात पर आखिरी मुहर लगना मुश्किल है कि किन-किन उत्पादों पर यह शुल्क बटोरा जाएगा।

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