यूपी: पेपर लीक आंदोलन में सक्रिय छात्र नेता ऋचा सिंह को योगी सरकार ने जेल में डाला
ऋचा सिंह की गिरफ्तारी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि ये सरासर विरोध की तमाम आवाजों को कुचलने की योगी सरकार की शर्मनाक करतूत है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का छात्रों और आंदोलनों पर कहर जारी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है। वह कल यानी 19 जून को बाकी छात्रों के साथ पीसीएस (प्रोविजनल सिविल सर्विसेज ) में पेपर लीक होने के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं और उन्हें सात-आठ लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। अभी मिली खबर के मुताबिक बाकी सब लोगों को छोड़ दिया गया, लेकिन ऋचा को जेल में डाल दिया गया है।
ऋचा की गिरफ्तारी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि ये सरासर विरोध की तमाम आवाजों को कुचलने की योगी सरकार की शर्मनाक करतूत है। पीएससी की परीक्षा में पेपर लीक होने की जिम्मेदारी उठाने और छात्रों की समस्या हल करने के बजाय मांग करने वाले छात्रों पर इस तरह का जुल्म करना सरासर अलोकतांत्रिक कदम है।
इस बारे में इलाहाबाद में आइसा के नेता सुनील ने बताया कि तकरीबन एक महीने से छात्र आंदोलन कर रहे हैं और आयोग से मांग कर रहे थे कि मुख्य परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाई जाए। लेकिन न तो आयोग ने कुछ सुना और न ही सरकार ने। 18 जून से पीसीएस की परीक्षा शुरू हो गई। 19 जून की परीक्षा में हिंदी निबंध का पेपर लीक हो गया यानी शाम की पाली का पेपर सुबह लीक हुआ तो छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। छात्रों ने इस बदइंतजामी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया और ऋचा सिंह के साथ बाकी लोग धरने पर बैठे। हालांकि परीक्षा रद्द कर दी गई थी, लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं थी। उसी दौरान बस में आग लगी और गिरफ्तारियां हुई।
इसी मामले में आज सुबह ऋचा सिंह को जेल में डाल दिया गया. जबकि बाकी गिरफ्तार लोगों को छोड़ दिया गया। गौरतलब है कि इस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष अविनीश यादव सहित बाकी तमाम पदाधिकारी अन्य मामलों में जेल में बंद है। इलाहाबाद समेत उत्तर प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों में छआत्र आंदोलन को बुरी तरह से दबाने,गिरफ्तारियां करने में योगी सरकार नए रिकॉर्ड बना रही है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाद एक बार फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय निशाने पर आया है।
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