यूपी में कर्मचारियों की हड़ताल के ऐलान से उड़ी योगी सरकार की नींद, लगाया एस्मा, लेकिन कर्मचारी अब भी अड़े
पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर यूपी के सरकारी विभाग हड़ताल करने जा रहे हैं। हालांकि योगी सरकार ने हड़ताल को रोकने के लिए एस्मा लगा दिया है। लेकिन कर्मचारियों के संगठनों ने सरकारी फरमान को दरकिनार कर हड़ताल करने का फैसला किया है।
यूपी में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर 6 फरवरी से राज्य के कर्मचारी हड़ताल करने वाले हैं। इस हड़ताल को लेकर योगी सरकार की नींद उड़ी हुई है। इस हड़ताल को रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं यहां तक की राज्य में एस्मा (यूपी अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम-1966) तक लगा दिया है।
खबरों के मुताबिक, मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय के साथ कर्मचारियों की वार्ता विफल होने के बाद यह फैसला लिया गया। कल देर रात योगी सरकार ने अधिसूचना जारी कर फिलहाल 6 महीने तक प्रदेश के सरकारी विभागों, निगमों और प्राधिकरणों में किसी भी तरह की हड़ताल को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अनूप चंद्र पांडेय ने इन शर्तों के उल्लंघन पर सेवा संघों की मान्यता खत्म करने की चेतावनी दी है।
वहीं योगी सरकार के चेतावानी के बावजूद कर्मचारी हड़ताल करने पर आमदा है। पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि सरकार के आदेश के बावजूद 20 लाख राज्य कर्मचारी और शिक्षक हड़ताल के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
पेंशन संघर्ष समिति के चेयरमैन रामभजन यादव का कहना है कि हड़ताल के दौरान में कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारियों द्वारा यूपी बोर्ड परीक्षा का भी बहिष्कार किया जाएगा। इसके साथ ही परिषदीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में दोपहर के भोजन भी नहीं बनवाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि 6 दिवसीय हड़ताल के दौरान बात नहीं बनी तो 12 फरवरी के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। उन्होंने कहा कि आगे चुनाव में ड्यूटी का बहिष्कार करने की भी योजना पर अमल किया जाएगा।
क्या है एस्मा?
एस्मा संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। इसके जरिये हड़ताल के दौरान लोगों के जनजीवन को प्रभावित करने वाली आवश्यक सेवाओं की बहाली सुनिश्चित कराने की कोशिश की जाती है। इसमें आवश्यक सेवाओं की एक लंबी सूची है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन (बस सेवा, रेल, हवाई सेवा), डाक सेवा, स्वास्थ्य सेवा (डॉक्टर और अस्पताल) जैसी सेवाएं शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में एस्मा लागू किया जा सकता है। एस्मा भले ही केंद्रीय कानून है, लेकिन इसे लागू करने की स्वतंत्रता ज्यादातर राज्य सरकारों पर निर्भर है। एस्मा लागू हो जाने के बाद हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है।
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