पहलवानों के प्रदर्शन को पूरे देश से मिल रहा समर्थन, हर तरफ गूंज रही एक ही आवाज-'बृजभूषण को जेल में डालो'
पदकों से देश की झोली भर देने वाली बेटियों के हक में पूरे देश की आवाज यहां गूंज रही है। यह आवाज है माफिया बृज भूषण शरण सिंह को जेल की सलाखों के पीछे डालने की।
जब कमजोरों के जिस्मों पर
नफरत की सियासत रक्स करे
जब इज्जत लूटने वालों पर
खुद राज सिंघासन फक्र करे...
मशहूर वैज्ञानिक और उर्दू कवि गौहर रजा ने जंतर-मंतर पर जब अपनी यह नज्म पढ़ी तो वहां उठ रहे हर सवाल का मर्म अपने में यह समेटे हुए थी। जंतर-मंतर पर न कोई जाति है, न मजहब है और न क्षेत्र की दीवारें। पदकों से देश की झोली भर देने वाली बेटियों के हक में पूरे देश की आवाज यहां गूंज रही है। यह आवाज है माफिया बृज भूषण शरण सिंह को जेल की सलाखों के पीछे डालने की। इस आंदोलन को महज एक क्षेत्र और जाति तक समेट देने के हर सरकारी हथकंडे का भी यह एक जवाब है।
केंद्र की सत्ता में बैठे हुक्मरानों को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि ताकतवर माफिया बृजभूषण शरण सिंह के यौन शोषण का शिकार हुई महिला पहलवानों का आंदोलन अब हिंदुस्तान का आंदोलन बन चुका है। यह कोई सामान्य बेटियां नहीं हैं। देश ने दुनिया के मंच पर इन बेटियों को तिरंगा उठाए देखा है। इन बेटियों के पदक हासिल करते वक्त पूरा देश झूमा है। हर बाप ने अपनी बेटी को विनेश फौगाट और साक्षी मलिक जैसा बनाने के सपने देखे हैं। जंतर-मंतर पर सरकार की इंटेलिजेंस एजेंसियों के लोग हेड काउंट करते नजर आ रहे हैं। सरकार को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि जंतर-मंतर पर आ रहे लोग महज प्रतिनिधि हैं, जो अपने क्षेत्र और समाज के आक्रोश को वहां सुर देने आ रहे हैं। प्रदेशों की राजधानियों में, शहरों में, हाईवे और गांवों में लोग बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के समर्थन में बैठे हैं। यह बात जंतर-मंतर पर आने वाला हर शख्स कह रहा है। यहां व्यक्त हो रहे आक्रोश से एक बड़े आंदोलन की आहट भी साफ दिखाई दे रही है। नाराजगी गहरी है।
गौहर रजा कहते हैं कि यह बेटियां हमारी 5000 साल की तहजीब को बचाने निकली हैं। आज इनके खिलाफ अगर आवाज नहीं उठेगी तो न देश में कोई मेडल आएगा और न कोई खिलाड़ी आगे बढ़ेगा। हरियाणा से आए मनोज राठी कहते हैं कि पूरे हरियाणा को पता चल गया है कि बीजेपी सांसद ने गलत काम किया है। किसान आंदोलन में जितने ट्रैक्टर आए थे उससे दोगुनी संख्या में इस बार ट्रैक्टर दिल्ली को घेरेंगे। सत्ता में बैठे लोगों को गलतफहमी है कि लोग हमें वोट दे रहे हैं और हम जीत रहे हैं। इन्हें पता नहीं है कि पहलवान इस बार सरकार को लेकर बैठ जाएंगे। भीम आर्मी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि ये बहनें देश का स्वाभिमान हैं। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा अब खोखला साबित हो चुका है। अब वोट की ताकत से इनका इलाज करने का वक्त आ गया है। अपना इस्तीफा देकर मध्य प्रदेश के बड़वानी से आए पत्रकार विनोद खन्ना कहते हैं कि मुख्यधारा का मीडिया इस आंदोलन को जिस तरह नजरंदाज कर रहा है उसमें खुलकर समर्थन में आने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है। हरियाणा के यमुनानगर से आए संजीव वालिया कहते हैं कि गांव-गांव में घूम कर इन पहलवानों के लिए न्याय की आवाज बुलंद कर रहा हूं। वह कहते हैं कि बीजेपी और संघ के लोग यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि आंदोलन कर रहे लोग कुछ घरानों के हैं, जो अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं।
सरकार के लोगों द्वारा प्रदर्शन को एक जाति और क्षेत्र विशेष का करार दिए जाने को लेकर जंतर-मंतर पर काफी आक्रोश दिखा। लोगों का कहना है कि यह सही है कि हर बेटी किसी मां-बाप की बेटी होती है। किसी क्षेत्र-राज्य से आती है, लेकिन जब वह गले में मेडल डाल लेती और राष्ट्रधुन बजती है तब वह देश की बेटी हो जाती है। लोगों का कहना है कि शर्म की बात है कि एफआईआर तक दर्ज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। सुभाष चंद बोस की साथी रही कैप्टन लक्ष्मी सहगल की बेटी और कानपुर से पूर्व सांसद सुभाषनी अली कहती हैं कि कोई खिलाड़ी हिंदुस्तान में ऐसा नहीं है, जो इन बेटियों के साथ नहीं है। यौन शोषण का मामला पूरे देश की जनता का मामला है। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ की जगह अब वक्त आ गया है कि बीजेपी के गुंडों से अपनी बेटियों को बचाओ। स्वामी चिन्मयानंद, कुलदीप सिंह सेंगर से लेकर यौन शोषण के आरोपी हरियाणा सरकार में मंत्री संदीप सिंह के पीछे भी यह सरकार खड़ी है। यह बेटियां अपना भविष्य दांव पर लगाकर यहां बैठी हैं। वह कहती हैं कि इस आंदोलन के पीछे भी एक जाति का नाम लेकर समाज को तोड़ने का काम किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर बृजभूषण शरण सिंह के रैली करने के ऐलान को भी लोगों ने शर्मनाक करार दिया। लोगों ने कहा कि इस सरकार को शर्म आनी चाहिए कि अपनी सरकार के गुंडों से भी वह बेटियों की रक्षा नहीं कर पा रही है। राजस्थान से आई कविता श्रीवास्तव सवाल उठाती हैं कि इतना गंदा इंसान कुश्ती संघ का अध्यक्ष इतने साल तक कैसे बना रहा। वह कहती हैं कि बृजभूषण ने 12 साल तक लड़कियों का यौन शोषण किया है। वह किसी को गलियारे में पकड़ लेता था। उसके पास हस्ताक्षर करवाने जाने पर पकड़ लेता था। इन लड़कियों ने अपनी चुप्पी तोड़ी है इसके लिए इन्हें सलाम। वह कहती हैं कि अब बृजभूषण इंडिया गेट पर आकर अपनी बात कहने की बात कर रहा है। हमें इसे भगाना होगा। पलवल बार एसोसिएशन के प्रधान सुनील डागर कहते हैं कि हमारे रक्षक ही आज भक्षक बन गए हैं। खेत की बाड़ ही खेत को खाए जा रही है। पंजाब से आई पंजाब स्त्री सभा की हरजीत कौर कहती हैं कि इन बेटियों ने जो आवाज उठाई है उसके बाद बृज भूषण को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि फिर कोई बाहुबली बेटियों पर नजर न उठा सके। रेवाड़ी से आए ईश्वर सिंह कहते हैं कि यह सरकार आखिरी दम तक हमारा टेस्ट करना चाहती है। उसके लिए हम तैयार हैं। टेनी मिश्रा हों या बृज भूषण, यह सरकार आखिरी दम तक अपराधियों को संरक्षण देती है। हमारी महिला पहलवानों ने पूरे देश की महिलाओं को एक ताकत दी है। पूर्व ओलंपियन व भारतीय हॉकी टीम के कैप्टन रहे जालंधर से विधायक परगट सिंह कहते हैं कि यह किसी एक फेडरेशन या खिलाड़ी की बात नहीं है। यह संगठित माफिया है। यह भेडि़यों की तरह खिलाड़ियों को नोचते हैं।
पंजाब से आए अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग प्लेयर सुमित सिंह का कहना है कि अब यह बात सभी को समझ में आ रही होगी कि देश के लिए मेडल क्यों नहीं आ रहे। देश के खेलों की बर्बादी अब आपको समझ में आ रही होगी। सलेक्शन से लेकर ट्रायल तक हर स्तर पर यही हो रहा है। छोटे खिलाड़ी तो अपना कैरियर बर्बाद हो जाने के खौफ में अपनी जुबान नहीं खोलते। यदि देश में खेलों को बचाना है तो सभी को जागना होगा। बरेली से आए राजबहादुर शर्मा सवाल उठाते हैं कि पॉस्को एक्ट लगा होने के बावजूद बृजभूषण में ऐसा क्या है कि सरकार उसकी गिरफ्तारी तो दूर उससे बात करना तक मुनासिब नहीं समझ रही। सरकार को शायद यह बात नहीं समझ में आ रही है कि जब एक खिलाड़ी की आंख में आंसू आते हैं तो देश की सत्ता पर खतरा होता है। बिनैन खाप के प्रवक्ता सत्यवान कहते हैं कि बीजेपी और आरएसएस के लोग बिना लड़े महिलाओं को सम्मान देना नहीं जानते। वह यह भी बताते हैं कि कैसे गांव में पहलवानों के समर्थन में अनवरत धरना चल रहा है।
पूर्व मंत्री और फतेहाबाद से पूर्व विधायक प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा कहते हैं कि मोदी ने विनेश के मेडल जीतने पर उसे अपनी बेटी बताया था। बड़ी शर्म की बात है कि वही बेटी 27 दिन से धरने पर बैठी है और पीएम ने एक ट्वीट तक नहीं किया। इन बेटियों के हासिल किए गए मेडल की कीमत महज 15 रुपये बताने वाले बृज भूषण के बयान को भी लोगों ने शर्मनाक करार दिया। जंतर-मंतर पर गूंज रही इन आवाजों में किसान संगठन, खापें, सामाजिक संगठन, सियासी दल, छात्र व वकीलों समेत हर वर्ग की आवाजें शामिल हैं। उत्तर-दक्षिण,पूर्व और पश्चिम समेत कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां के लोगों का वहां आक्रोश नहीं फूट रहा है। क्षेत्र, जाति और मजहब की दीवारें वहां टूट चुकी हैं। बावजूद इसके सरकार के कानों में जूं नहीं रेंग रही है। यह दर्द बजरंग पुनिया की बातों में भी झलक रहा था। नवजीवन से विशेष बातचीत में बजरंग पुनिया ने कहा कि हमें यहां से उठना होता तो दो-चार दिन में हम उठ गए होते। अब तो यह आर-पार की लड़ाई है। देश की राजधानी में 27 दिन से बैठे होने के बावजूद प्रधानमंत्री की तरफ से एक ट्वीट तक न आने पर बजरंग पूनिया ने अपनी पीड़ा व्यक्त की।
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