बिहार के लाल का कमाल! खुद तो कामयाबी का स्वाद चखा ही, पूरे गांव को भी बना दिया 'केला हब'
बिहार के सीतामढ़ी के मेजरगंज के युवा किसान अभिषेक आनंद ने, न केवल खुद केले की खेती कर इसे व्यवसाय बनाया बल्कि कई किसानों को जोड़कर अपने गांव को केले का हब बना दिया।
कहा जाता है कि अगर आपदा आती है तो नए अवसर के रास्ते भी खुल जाते हैं। इसके लिए बस आपमें हिम्मत और मंजिल पाने की ललक होनी चाहिए। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बिहार के सीतामढ़ी के मेजरगंज के युवा किसान अभिषेक आनंद ने, न केवल खुद केले की खेती कर इसे व्यवसाय बनाया बल्कि कई किसानों को जोड़कर अपने गांव को केले का हब बना दिया। अब यहां के केले बिहार ही नहीं नेपाल तक जा रहे हैं।
वैसे, आम तौर पर कुछ दिनों पहले तक किसान खेती को आजीविका का साधन मानते थे, लेकिन सीतामढ़ी के खैरवा विश्वनाथपुर गांव के किसान अब कैश क्रॉप के जरिए व्यवसाय कर रहे हैं। किसान इस दौरान उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक तरीके से खेती अपना रहे हैं।
खैरवा विश्वनाथपुर के रहने वाले अभिषेक आनंद आज आठ एकड़ में न केवल स्वयं केले की खेती कर रहे हैं बल्कि गांव में आठ-दस किसान के साथ मिलकर 25 एकड़ से ज्यादा भूमि पर केले की खेती हो रही है। आनंद स्वयं केला चिप्स की प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर केले की चिप्स तैयार कर बाजार में बिक्री करवा रहे हैं, जिसकी बाजार में अच्छी मांग भी है।
स्नातकोत्तर (कृषि) की पढ़ाई कर चुके अभिषेक आनंद ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन होने के बाद वे गांव पहुंचे थे। करने को कुछ था नहीं। अभिषेक के पास समय तो काफी था, लेकिन ये नहीं समझ पा रहे थे कि खेती के ज्ञान का सही इस्तेमाल कहां किया जाए। इस बीच उन्हें केले की खेती करने की इच्छा हुई।
केला का बेहतर उत्पादन देने वाली तकनीकों की जानकारी के लिए उन्होंने अपने जिले के उद्यान विभाग के कार्यालय में संपर्क किया और फिर केले की खेती की शुरूआत की। शुरू में इन्होंने ढाई एकड़ में टिशू कल्चर तकनीक से केला की जी-9 किस्म की बागवानी शुरू की। इसके बाद आधुनिक तकनीक से की गई खेती से उत्पादन भी ज्यादा हुआ।
आज अभिषेक 150 टन केले का उत्पादन स्वयं कर रहे। कृषि की पढ़ाई कर चुके अभिषेक को केला की बागवानी से जुड़ने में ज्यादा मुश्किलें नहीं आई। आज अभिषेक आनंद अपने गांव के दूसरे किसानों के साथ जोड़कर केला की 25 एकड़ से ज्यादा भूमि पर आधुनिक तरीके से सघन बागवानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खेतों में सिंचाई के लिए टपक सिंचाई योजना का लाभ लिया गया है।
अभिषेक आईएएनएस को बताते हैं कि पहले बिहार के हाजीपुर और पूर्णिया में केले की खेती के रूप में जाना जाता था। सीतामढ़ी की पहचान ईख की खेती के लिए होता था, लेकिन आज मेजरगंज से केला राज्य के अन्य इलाकों के अलावा नेपाल तक जा रहा है। अभिषेक आज प्रोसेसिंग यूनिट लगा चुके हैं और केला चिप्स के एग्री बिजनेस के लिए अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं।
इन्होंने अपने प्रोडक्ट की अच्छी ब्रांडिंग भी करवाई है, जिससे मार्केटिंग में काफी सहयोग मिल रहा है। आज अभिषेक आनंद के फार्म पर उगने वाले केले से बने चिप्स की बाजारों में मांग बढ़ रही है। अभिषेक आनंद बताते हैं कि आज उनके साथ लोकल लेवल पर 8-10 किसान जुड़े हुए हैं, जिसमें 5 युवा किसान हैं। उन्होंने कहा कि आज केले की खेती से कई स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है।
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