CAA के खिलाफ कड़ाके की सर्दी में भी डटीं महिलाएं, ‘आधी आबादी’ के हौसले के सामने बेबस योगी सरकार

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पूरे उतर प्रदेश भर में जगह-जगह बढ़ते प्रदर्शनों से राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है और उन्हें इसका कोई तोड़ नजर नहीं आ रहा है।

फोटो: हुसैन अफसर
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हुसैन अफसर

नागरकिता संशोधन कानून संसद से पास होने के बाद से देश के कई शहरों में विरोध की आवाजें बुलंद हो रही है। हैरतअंगेज बात ये है कि इस बर्बरता और जुल्म का मुकाबला करने में बड़ी तादाद में महिलाएं सड़क पर उतरी हैं। इन महिलाओं को न मौसम की फिक्र है न कंपकपाती सर्दी का डर। वे बस निकल पड़ी है इस नारे के साथ कि जब तक यह काला कानून वापस नहीं होता विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे।

देश की राजधानी में शाहीन बाग की महिलाओं की आवाज ने आसमान में सूराख कर दिया है। चंद आवाजों के साथ शुरु हुई तहरीक में हजारों और अब तो लाखों लोगों के जुड़ने में देर नहीं लगी। अब हालत यह है कि सरकार खुद पसोपेश में है कि वह क्या करे।

शाहीन बाग की तरह अब पूरे देश में महिलाओं के छोटे और बड़े समूह खाने-पीने और आराम को छोड़कर सरकार से लोहा ले रहे हैं। शाहीन बाग की देखा देखी कई शहरों में महिलाएं जोश और जुनून के साथ विरोध प्रदर्शन कर रही है। और, उनकी इस कोशिश में लोग भी कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ हैं।

फोटो: हुसैन अफसर
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इन विरोध प्रदर्शनों की एक और खास बात यह है कि अब तक कौम पर अपना हक समझ हुक्मनामे जारी करने वाले उलेमाओं को इन विरोध प्रदर्शनों से दूर रखा गया है। या फिर यूं भी कहें कि उलेमा सरकार से गलबहियां होने के चलते खुद ही इन सबसे दूर हैं। यही वजह है कि महिलाओं के इस आंदोलन को सभी का समर्थन मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, जिसकी पहचान एक सुस्त और रिवायती शहर के तौर पर है, वह भी अब इन विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बनता जा रहा है। लखनऊ में हुसैनाबाद के एतिहासिक घंटाघर पर बेशुमार महिलाओं का हुजूम राज्य की योगी सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। और रोचक बात यह है कि इस हुजूम का कोई लीडर नहीं ,कोई रहबर नहीं, बस चंद महिलाएं हैं जो नाम और काम की फिक्र किए बिना इस तहरीक में खुद को खपाए दे रही हैं। उतर प्रदेश के दूसरे शहरों का भी यही हाल होता जा रहा है।

फोटो: हुसैन अफसर
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याद रहे पिछले महीने 19 दिसंबर को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को किस तरह पुलिस ने रौंदा था। शायद सफल न होने की टीस है जो इन महिलाओं के दिलों में घर कर गया। अब लखनऊ में महिलाओं के आंदोलन को करीब एक सप्ताह होने को आया है। दो दिन पहले रात के अंधेरे में पुलिस ने एक-बार फिर अपनी जोर-जबरदस्ती का प्रदर्शन किया और महिलाओं के लिए लाए गए कंबलों और खाने पीने के सामान को जब्त कर लिया था।

इस विरोध प्रदर्शन में शामिल सदफ जाफर, जो दो हफ्ते से ज़्यादा जेल में गुजार कर आई हैं, उनका मानना है कि योगी सरकार जिस तरह का भी जुल्म करे हम हार नहीं मानेंगे। उनके मुताबिक प्रशासन की तरफ से रात को बिजली बंद कर दी जाती है, छोटे-छोटे बच्चे खुले आसमान के नीचे अपनी मां के साथ रहते हैं। जबकि मौसम की शिद्दत और बगैर किसी शामियाने के किस तरह से रात गुजरती है, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।


हुसैनाबाद वक्फ के स्वामित्व और प्रबंधन पर सरकारी कब्जा है और यही वजह है कि यहां भी मनमानी का दौर जारी है। रात होते ही बिजली के खंभों की रोशनी गुल कर दी जाती है और महिलाओं की भीड़ को मोमबत्तियों और अलाव से रोशन करने की कोशिश शुरू हो जाती है। जिन महिलाओं का इस विरोध प्रदर्शन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा है उनके शौहर, भाई, बेटे और दूसरे रिश्तेदार दूर खड़े हो कर अपना ख़ामोश समर्थन दे रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन स्थल के आसपास अब महिला पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है और पुरुष सिपाहियों को कुछ दूर रखा गया है ताकि उन पर किसी भी किस्म का इल्जाम ना आए। प्रदर्शनकारियों में शामिल कुछ लड़कियां पुलिस के जवानों को फूल पेश कर रही हैं ताकि एकता का प्रदर्शन किया जा सके। पुलिस की टुकड़ियों में से कुछ तो गुलाब के फूल कबूल कर रही हैं और कुछ ढीठ बन कर इसे लेने से इनकार कर रहे हैं।

इन पुलिस टुकड़ियों में कुछ पुलिसकर्मी ऐसी भी हैं जो प्रदर्शनकारी महिलाओं का दर्द समझते हैं। अभी बीती रात अंधेरे में धरने पर बैठी महिलाओं को आरएएफ की टुकड़ियों ने घेर लिया और ये खबर फैलने लगी कि आज की रात उनको यहां से जबरदस्ती हटा दिया जाएगा, लेकिन सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा होते ही वहां और भी भारी संख्या में महिलाएं पहुंच गई, और जिस बात का डर था वो नहीं हो सका।

इस दौरान पुलिस ने सैकड़ों महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें इन महिलाओं को शांति व्यवस्था के लिए खतरा बताया गया है। एफआईआर में मशहूर शायर मुनव्वर राना की दो बेटियां सुमैया राना और फौजिया राना के नाम भी शामिल हैं। इस सिलसिले में नवजीवन से बातचीत में सदफ जाफर ने कहा कि “हैरत की बात ये है कि पुलिस रिपोर्ट की ख़बर सुनते ही औरतों में जबरदस्त जोश भर गया।“


सदफ कहती हैं कि रात-भर हम लोग अंधेरे में नारे बुलंद करते हैं और एक बड़ा मजमा डटा रहता है। उन्होंने बताया, “एक तो सर्दी और फिर अंधेरा, लेकिन यह सब हमारे जज्बात को सर्द करने में कामयाब नहीं हो रहे हैं। यहां अलाव जलाने की अनुमति नहीं है, हमको इन बेचारे पुलिसवालों और महिला पुलिसकर्मियों का भी ख्याल है, जो सर्दी की वजह से कांपा करती हैं। उन्होंने बताया कि जो रूखी सूखी हम सब खाते हैं, हमारी कोशिश होती है कि उनमें पुलिस को भी शामिल किया जाये।

धरने पर खाना और पानी, चाय वगैरा बड़ी मात्रा में है। कुछ सामाजिक संस्थाएं और दूर-दूर से लोग यहां पहुंच कर प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। यहां धरना देने वाली महिलाएं कथित उलेमा का नाम सुनते ही तेवरियां चढ़ा लेती हैं। उनका मानना है कि अगर धरना इन उलेमा के हाथ में होता तो अब तक कब का सौदा हो चुका होता। हैरत की बात ये है शहर लखनऊ के गोमती नगर इलाका में उजरियाओं की दरगाह में भी महिलाओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

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