उत्तर प्रदेश: देवबंद में हाथों में तिरंगा लेकर CAA और NRC के खिलाफ सड़क पर उतरीं हजारों मुस्लिम महिलाएं

CAA और NRC के विरोध में मंगलवार को तिरंगा हाथ मे थामे हुए हिंदुस्तान जिन्दाबाद के नारे के साथ देवबंद में बुर्का पहने हजारों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतरीं। इन औरतों के साथ बड़ी संख्या में बच्चें भी शामिल थे।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

CAA और NRC के विरोध में मंगलवार को तिरंगा हाथ मे थामे हुए हिंदुस्तान जिन्दाबाद के नारे के साथ देवबंद में बुर्का पहने हजारों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतरीं। इन औरतों के साथ बड़ी संख्या में बच्चें भी शामिल थे। कईयों ने बच्चों को गोद मे लिया हुआ था। ये महिलाएं देवबंद की कई गलियों से गुजरने के बाद ईदगाह मैदान में एकजुट हुईं और नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। खास बात ये कि इस प्रदर्शन में सिर्फ महिलाएं शामिल हुईं और इसे सफल बनाया चार अंजान छात्राओं ने।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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देवबंद के ईदगाह मैदान में हुई इस जनसभा की अध्यक्षता उसमान मंसूरपूरी की पत्नी आतिया उस्मान ने की और इसका संचालन जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी की बेटी खदीजा मदनी ने की। इस जनसभा में महमूद मदनी की बीवी रुकय्या मदनी भी शामिल हुईं। प्रदर्शन के दौरान औरते कई बार जज़्बाती हो गई और वो सरकार पर जमकर बरसीं। देवबंद के पूर्व विधायक माविया अली की बीवी जाहिरा फ़ातिमा और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रक्षंदा रूही ने इस प्रदर्शन के आयोजन में अग्रणी भूमिका अदा की।


प्रदर्शन में शामिल रही युवती अलमास फ़ातिमा के ने कहा कि भारत एक सेकुलर देश है और इसके संविधान से अलग कोई भी कदम इसकी सेकुलर नींव के लिए खतरा है। बदकिस्मती से सरकार को देश की भाईचारे वाले इतिहास और मिली जुली तहजीब की परवाह नहीं है और वो इसे तोड़ने पर उतारू है। फातिमा ने कहा कि हाल ही में 20 दिसंबर को यूपी पुलिस ने मुसलमानों के साथ बहुत जुल्म और ज्यादती की है, हमारे साथ लगातार भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो भी हो रहा है वह बहुत ही गलत है क्योंकि हमने इस देश को हमेशा जान से ज्यादा मोहब्बत की है। हमारे बुजुर्गों ने इसके लिए कुर्बानियां दी है। यह प्रदर्शन महिला एक्शन कमेटी के बैनर तले किया गया था और ये प्रदर्शन करीब चार घंटे चला।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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देवबंद में इस विरोध प्रदर्शन की रचना मुख्य तौर पर चार कॉलेज की छात्रों ने तैयार की जिन्होंने घर-घर पहुंचकर मुस्लिम महिलाओं को प्रेरित किया। इन्हीं में से एक मुंतहा अशरफ ने कहा कि देश के गृह मंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि वो अपने फैसले पर एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे तो हमारा जवाब यह है कि हम भी आधा इंच पीछे नहीं हटने वाले हैं, क्योंकि हम जान गए हैं हमारी लड़ाई मुल्क बचाने की है और इसके संविधान की हिफ़ाजत की है। यह लड़ाई हमारे मुल्क के मुस्तक़बिल की है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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मुंतहा के मुताबिक उन्हें प्रॉटेस्ट करने की प्रेरणा शाहीन बाग से मिली जहां औरते एक पखवाड़े से अधिक समय से लगातार धरने पर बैठी हैं और और दुनिया भर में इसकी चर्चा हो रही है। मुंतहा कहती हैं कि मोदी जी कह रहे हैं कि मुसलमानों को बहकाया जा रहा है और वो कानून को समझ नही पा रहे हैं जबकि सच यह है कि मुसलमानों की समझ मे ही पहली बार आया है। अब वो अपने हक के लिए आवाज उठाने के लिए खड़ा हुआ है। सीएए के बाद एनपीआर और उसके बाद एनआरसी सब मुसलमानों के खिलाफ साजिश है।

सिर्फ 18 साल की जुवेरिया मिर्ज़ा के मुताबिक सिर्फ शाहीन बाग के लिए यह कानून नहीं आया है, जाहिर है पूरे देश के लिए है। इसलिए सिर्फ शाहीन बाग ही क्यों इस तरह के प्रदर्शन सब जगह होने चाहिए। जुवेरिया ने कहा कि शांति पूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना हम सबका हक है। हम तो बस इतना चाहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री जी हमारी बात सुन और इस काले कानून को वापस लें अथवा इसमे मुसलमानों को भी शामिल करें। हम किसी भी हिन्दू के खिलाफ नहीं है, मगर मुसलमानों को भी दूसरे दर्जे का शहरी बनाने की साजिश न की जाएं।


मोदी सरकार से नजदीकी के चलते मुसलमानों की नाराजगी झेल रहे जमीयत उलेमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी की बेटी ख़दीजा भी इस प्रदर्शन में शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि मुल्क को आज़ाद कराने के लिए हमारे बुजुर्गों ने अंग्रेजों के सामने लड़कर कुर्बानियां दी है और आज हमारे साथ यह बर्ताव हो रहा है। यह हम खुलेआम कह रहे हैं। देश मे एक कौम पर ज़ुल्म हो रहा है और देश के सभी धर्म लोगो को मुसलमानों की हिमायत में आना चाहिए। ख़दीजा के अनुसार कानून के दायरे में रहकर अहिंसक तरीके विरोध करना सबका हक़ है जिसे हम करते रहेंगे।

देवबंद की पूर्व चेयरमैन और पूर्व विधायक माविया अली की बीवी जाहिरा फ़ातिमा ने भी सरकार पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी जी हमारे बच्चों के हिस्से की खुशी छीन रहे हैं। उनकी सरकार में लगातार मुसलमानों के साथ भेदभाव के मामले सामने आए है सीएए के ख़ौफ़नाक नतीजे होंगे।

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