कृषि कानूनों पर पीछे नहीं हटी सरकार तो यहीं बैठे रहेंगे, अगली वार्ता से पहले राकेश टिकैत का ऐलान
दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को आज मोदी सरकार ने 30 दिसंबर को बातचीत करने का न्यौता भेजा है। सरकार के इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार ने बिल वापस नहीं लिया तो हम यहीं बैठे रहेंगे।
मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते एक महीने से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच दो दिन पहले किसानों द्वारा बातचीत के लिए 29 दिसंबर के प्रस्ताव पर जवाब देते हुए सरकार ने आज 30 दिसंबर को बातचीत करने का न्यौता भेजा है। सरकार के इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि "सरकार ने बिल वापस नहीं लिया तो हम यहीं बैठे रहेंगे।"
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "हम 30 दिसंबर को बैठक में शामिल होंगे और जो प्रस्ताव हमने रखे हैं, उस पर बात करेंगे। वहीं अगर बात ठीक-ठाक रहती है तो अन्य मुद्दे भी बैठक में बताएंगे। बिल वापस नहीं लेंगे तो फिर बात करेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार को बात माननी पड़ेगी और कानून से पीछे हटना पड़ेगा। यदि सरकार बातें नहीं मानती तो हम यहीं बैठे रहेंगे।"
सरकार की तरफ से किसानों को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है, "इस बैठक में आपके द्वारा प्रेषित विवरण के परिपेक्ष्य में तीनों कृषि कानूनों और एमएसपी की खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।"
दरअसल किसानों ने सरकार से बातचीत करने के लिए 4 मुद्दों पर प्रस्ताव भेजा था, जिसमें पहला, तीन कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली प्रक्रिया तय करना था। वहीं दूसरा सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान तय करने की बात थी।
इसके अलावा प्रस्ताव में तीसरा मुद्दा 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020' में संशोधन था, जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं। और चौथा मुद्दा किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में जरूरी बदलाव था।
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