कच्चा तेल सस्ता, फिर भी 4 साल के सबसे ऊंचे दामों पर पेट्रोल-डीज़ल बेच रही मोदी सरकार, गैस भी हुई महंगी
तेल के दामों में आग लगी हुई है। पेट्रोल चार साल के सबसे ऊंचे दामों पर बिक रहा है, वहीं डीज़ल भी उसके पीछे-पीछे कीमतों की छलांग लगा रहा है। वहीं दिल्ली में सीएनजी- पीएनजी भी महंगी हो गई है
अच्छे दिनों का नारा देने वाली सरकार ने तेल कीमतों के जरिए हमारी आपकी जेबों में छेद कर दिए हैं। देश में पेट्रोल इतना महंगा है जितना चार साल पहले भी नहीं था। वहीं डीजल और सीएनजी-पीएनजी के दाम भी बढ़ गए हैं।
दिल्ली में सोमवार को पेट्रोंल 73.83 रुपए प्रति लीटर और डीजल 64.69 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया। कहा जा रहा है कि कच्चे तेल के दामों में आए उछाल की वजह से ऐसा हुआ है। लोगों को उम्मीद थी कि मोदी सरकार अपने वादे को पूरा करते हुए एक्साइज ड्यूटी में कटौती करेगी और पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत दिलाएगी। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा।
दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में तो एक लीटर पेट्रोल की कीमत 75 रुपये 26 पैसे जबकि डीजल की कीमत 64 रुपये 94 पैसे हो गई है। वहीं गाजियाबाद में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 75 रुपये 15 पैसे जबकि एक लीटर डीजल अब 64 रुपये 83 पैसे में मिल रहा है।
मुंबई में सबसे ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। मुंबई में एक लीटर पेट्रोल के नए दाम 81 रुपये 69 पैसे हैं, जबकि डीजल 68 रुपये 88 पैसे प्रति लीटर हो गया है। कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल 76 रुपये 54 पैसे प्रति लीटर हो गया जबकि डीजल के दाम 67 रुपये 38 पैसे प्रति लीटर तक जा पहुंचा है। चेन्नई में 76 रुपये 58 पैसे एक लीटर पेट्रोल की कीमत हो गई है, जबकि डीजल 68 रुपये 23 पैसे प्रति लीटर हो गया है।
इस साल की शुरुआत में तेल मंत्रालय ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की सरकार से मांग की थी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतें बढ़ने से आम लोगों पर पड़ने वाले बोझ से बचाया जा सके। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट में इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तेल की बढ़ती कीमतों पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि मई 2014 से अप्रैल 2018 के बीच कच्चे तेल की कीमतें 108 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 77 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई हैं, फिर आखिर क्यों आज पेट्रोल-डीजल के दाम मई 2014 से भी महंगे हैं?
उन्होंने मौजूदा सरकार के गरीब विरोधी और मध्य वर्ग विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि यही वर्ग है जिस पर महंगे दामों की सबसे ज्यादा मार पड़ती है।
दरअसल मौजूदा मोदी सरकार नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के बीच एक्साइज ड्यूटी में 9 बार इजाफा कर चुकी है। इसका नतीजा यह हुआ कि वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद भारत में पेट्रोल-डीजल महंगा होता रहा। पिछले साल अक्टूबर में सिर्फ एक बार एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी, और राज्य सरकारों को वैट में कटौती करने के लिए कहा गया। इसके बाद सिर्फ चार राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने वैट घटाया था।
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पेट्रोल-डीजलों की कीमतों में इजाफे के बाद घरों में गैस सिलेंडर की जगह इस्तेमाल होने वाली पाइप्ड नैचुरल गैस यानी पीएनजी और सीएनजी के दाम भी बढ़ा दिए गए। दिल्ली में पहले सीएनजी के दाम 39.71 रुपए प्रति यूनिट थे, जो पहली अप्रैल को बढ़कर 40.61 रुपए पहुंच गए। वहीं पीएनजी के दाम भी 25.99 रुपए से बढ़कर 27.14 रुपए पहुंच गए हैं।
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