मोदी को राजनीतिक कार्यक्रम रद्द करने की सलाह देकर फंसे उमर तो दी सफाई, बोले- विपक्ष से बैठक न करने को कहा था
उमरअब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी तक सभी राजनीतिक कार्यक्रम रद्द करने की सलाह दी थी। इस पर जब उनकी खिंचाई होने लगी तो उन्होंने सफाई दी की उन्होंने तो विपक्ष को भी बुधवार को हुई बैठक रद्द करने को कहा था।
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी तक सभी राजनीतिक कार्यक्रम रद्द करने की सलाह दी थी। उनकी इस सलाह पर सोशल मीडिया में बवाल मचा तो उन्होंने सफाई दी की उन्होंने तो विपक्ष को भी बुधवार को हुई बैठक रद्द करने को कहा था, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी और वे इसीलिए इस बैठक में शामिल नहीं हुए।
बुधवार सुबह जब खबर आई की पाकिस्तान ने एक भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन को अपनी हिरासत में ले लिया है, तो उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विंग कमांडर वर्धमान अभिनंदन के भारत वापस आने तक अपने सभी राजनीतिक कार्यक्रम रद्द कर देने चाहिए। अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "पीएम मोदी को तबतक अपने सभी राजनीतिक कार्यक्रम रद्द कर देने चाहिए, जबतक अभिनंदन सुरक्षित रूप से वापस नहीं लौट आते। यह सामान्य बात नहीं है कि जब हमारा पायलट पाकिस्तान के कब्जे में है और वे करदाताओं के पैसे से राजनीतिक भाषणबाजी कर रहे हैं।"
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को उम्मीद है कि पाकिस्तान हिरासत में लिए गए पायलट से वैसा ही व्यवहार करेगा, जैसा वह भारत के कब्जे में लिए गए उसके सैनिक के साथ उम्मीद करता है। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान, कृपया उनके (पायलट) साथ वैसा व्यवहार करे, जिस तरह के व्यवहार की उम्मीद आप अपने सैनिक के भारत के कब्जे में आने पर करते हैं।"
उमर अब्दुल्ला के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया ने उनकी खिंचाई शुरु कर दी। इस पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने तो विपक्ष सभी अपनी बुधवार की बैठक रद्द करने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने इसे नहीं माना। उन्होंने कहा कि इस बैठक में वे इसीलिए शामिल नहीं हुए।
उमर अब्दुल्लाह ने लगे हाथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि, “इमरान खान जी, दूसरे देशों को इस मामले में शामिल करने के बजाए और हवाई हमले का श्रेय लेने के बजाए आप विंग कमांडर अभिनंदन को वापस भेज दें, वह भी बिना विदेशी दबाव के। इस क्षेत्र की शांति के लिए स्टेट्समैनशिप की जरूरत है न कि ब्रिंकमैनशिप की।”
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