जब चलीं शाहीन बाग में गोलियां तब संविधान की प्रस्तावना के साथ सांसदों के लिए संदेश लिख रही थीं महिलाएं

दिल्ली के शाहीन बाग में जिस समय एक सिरफिरे ने पिस्तौल से गोलियां चलाईं उस वक्त शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाएं संविधान की प्रस्तावना की कॉपी पर उन 311 लोकसभा सांसदों के नाम एक शांति संदेश लिख रही थीं जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में वोट दिया था।

फोटो : हिमानी सिंह
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नवजीवन डेस्क

विरोध के नए अभियान #TumKabAaoge के तहत महिलाओं ने इस संदेश को प्रीमएंबल फ्रॉम द पीपुल यानी लोगों की प्रस्तावना का शीर्षक दिया है। जिन लोकसभा सांसदों के यह संदेश भेजा जाना है उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र और गृहमंत्री अमित शाह के भी नाम हैं। संदेस के जरिए सांसदों को यह याद दिलाया जाना है कि नागरिकता संशोधन कानून पास करते समय सांसद संविधान की मूल आत्मा को भूल गए और इसकी प्रस्तावना में वर्णित बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन किया।

फोटो : हिमानी सिंह
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इस अभियान में शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन की प्रतीक बनीं दादियों ने संविधान की प्रस्तावना की 60 फीट लंबी प्रति तैयार की। उन्होंने प्रदर्शन स्थल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शाहीन बाग आकर सीएए पर चर्चा करने का आग्रह किया। इस दौरान एक बार फिर प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया और विचारों, अभिव्यक्ति, धार्मिक विश्वास आदि पर जोर दिया।

इस दौरान कई लोगों ने इस बात से निराशा जाहिर की कि सरकार सीएए विरोधियों से बात नहीं करना चाहती, लेकिन फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शाहीन बाग आकर सीएए पर चर्चा करने का आग्रह किया गया। कई अन्य इस बात पर भी निराशा जताई कि सरकार उन्हें अपना नहीं मानती है और इसीलिए उनसे उनकी ही मातृभूमि में नागरिकता साबित करने को कह रही है।

फोटो : हिमानी सिंह
फोटो : हिमानी सिंह

एक अन्य महिला ने लिखा कि, “हम भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सावित्री बाई फुले और करतार सिंह के बच्चे हैं। हम एनआरसी, सीएए और एनपीआर के खिलाफ हैं क्योंकि यह असंवैधानिक है।” वहीं प्रधानमंत्री को संबोधित एक अन्य संदेश में लिखा गया है कि हम बीते 50 दिन से यहां कंपाती सर्दी और तमाम दिक्कतों के बीच बैठे हैं और आपकी बेदिली से बेहद निराश हैं।

फोटो : हिमानी सिंह
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इस अभियान के तहत दिए जाने वाले संदेशों में यह भी लिखा गया है कि आखिर वे किस आजादी के नारे लगाते हैं। संदेश में कहा गया है कि संविधान की प्रस्तावना में जितने भी विचार हैं, वे उन सभी की आजादी की मांग करते हैं। कहा गया है कि “हमें उम्मीद है कि हमारे नेता वक्त निकालकर संविधान की प्रस्तावना और हमारे संदेश पढ़ेंगे और इन पर खुले मन से विचार करेंगे। इस अभियान का आयोजन ‘फ्रेंड्स ऑफ शाहीन बाग’ नाम के संगठन ने किया था।

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