कोलकाता में 'नबन्ना अभियान' के दौरान राजभवन पर पथराव और जख्मी पुलिस वालों के मुद्दे पर राज्यपाल खामोश!

कोलकाता से निकलने वाले 'द टेलीग्राफ' ने पहले पन्ने पर ‘द डे ऑफ द लुम्पेन’ शीर्षक के तहत एक तस्वीर छापी है, जिसमें मंगलवार को ‘छात्रों’ द्वारा किए गए मार्च के बारे में लिखा है कि कैसे प्रदर्शनकारियों ने राजभवन को सचिवालय समझकर पथराव किया।

कोलकाता से प्रकाशित द टेलीग्राफ का पहला पन्ना
कोलकाता से प्रकाशित द टेलीग्राफ का पहला पन्ना
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ए जे प्रबल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर मंगलवार को छात्रों का नबन्ना मार्च कामयाब नहीं हो सका क्योंकि प्रदर्शनकारी सचिवालय के नजदीक तक ही नहीं पहुंच सके। इस प्रदर्शन में तमाम ऐसे लोग थे जो या तो अधेड़ उम्र के थे या फिर बेरोजगार युवा, और इनकी संख्या भी अपेक्षा से काफी कम थी। इस मार्च के दौरान हुई झड़पों में किसी प्रदर्शनकारी के तो जख्मी या चोटिल होने की सूचनाएं नहीं आईं, अलबत्ता कई पुलिस वालों को गंभीर चोटें लगी हैं। कोलकाता पुलिस ने ऐसे कई फोटो जारी किए हैं जिनमें पुलिसवालों को खून से लथपथ देखा जा सकता है। पुलिस ने दावा किया कि कम से कम 35 पुलिस वालों को गंभीर चोटें आई हैं।

इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के वी आनंद बोस ने राज्य सरकार को चेताया कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बल प्रयोग न किया जाए। मंगलवार शाम तक मीडिया रिपोर्ट्स में उनके बयानों का जिक्र था जिसमें उन्होंने छात्रों पर पुलिस बर्बरता की निंदा की। लेकिन प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए उत्पात और हिंसा पर राज्यपाल ने खामोशी बनाए रखी और कुछ नहीं कहा।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने राज्यपाल के इस रवैये पर सवाल उठाते हुए एक्स पर लिखा कि, “आखिर राज्यपाल किस आधार पर कह सकते हैं कि पुलिस ने ज्यादा बल प्रयोग किया? उनके द्वारा ऐसा पक्षपाती रवैया अपनाना कैसे स्वीकार किया जा सकता है। फिर भी इंडिया टुडे टीवी लगातार उनके बयान को स्क्रीम पर किसी न किसी तरह से लगातार दिखाता रहा।”


इस दौरान टीवी न्यूज 18 बांग्ला ने प्रदर्शनकारियों द्वारा राजभवन पर पथराव आदि करने के विजुअल्स दिखाए। प्रदर्शनकारियों के निशाने पर राजभवन के बाहर तैनात पुलिस वाले थे और प्रदर्शनकारियों ने राजभवन को ही सचिवालय यानी नबन्ना समझ लिया था। लोगों को इस बात पर हैरत है कि राज्यपाल ने जख्मी पुलिस वालों का हाल तक नहीं पूछा।

कोलकाता पुलिस ने इस दौरान ऐसी तस्वीरें आदि जारी की हैं जिनमें प्रदर्शनकारी पुलिस पर पथराव कर रहे हैं। पुलिस ने लोगों से ऐसे लोगों की पहचान करने की अपील की है। पुलिस ने हालांकि पूरे दौरान काफी एहतियात बरती, फिर भी पुलिस वालों को हिंसा का शिकार होना पड़ा। खासतौर से बिना हथियार वाले ट्रैफिर पुलिस के जवान प्रदर्शनकारियों के उत्पात का निशाना बने।


महुआ मोइत्रा ने एक्स पर लिखा, “अगर पश्चिम बंगाल बीजेपी शासित होता तो प्रदर्शन के दौरान पथराव करने वाले और पुलिस वालों को जख्मी करने वाले गुंडों के घरों पर अब तक बुलडोजर चल गया होता।”

महुआ मोइत्रा ने प्रदर्शन में शामिल कथित छात्रों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने लिखा कि जब एक प्रदर्शनकारी से पूछा गया तो इस 23 साल के लड़के ने खुद को 11वीं कक्षा का छात्र बताया और कहा कि वह बंगाली में बीटेक कर रहा है। एक और प्रदर्शनकरी से जब एक बांग्ला न्यूज चैनल ने पूछा तो उसने बताया कि उसने 2015 में हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की थी और वह अभी कॉलेज में तीसरे वर्ष का छात्र है। लेकिन वह यह नहीं बता पाया कि  वह कॉलेज किस विषय की पढ़ाई कर रहा है।

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