उत्तराखंड के चमोली में ठंड से जम गए झरने और नदियां, माइनस में पहुंचा तापमान

ठंड में भले ही यहां लोगों की आवाजाही पर रोक रहती है, लेकिन कई साधु-संत इस दौरान धाम में ही निवास करते हैं और यहां तपस्या करते हैं। जोशीमठ तहसील प्रशासन ने अभी तक 12 साधु-संतों को शीतकाल में बदरीनाथ धाम में निवास करने की अनुमति दी है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

दिसंबर की शुरूआत के साथ ही उत्तराखंड में ठंड का असर बढ़ने लगा है। बीते दिनों राज्य के पर्वतीय जिलों में भारी बर्फबारी हुई, जिसका असर मैदानों तक में महसूस किया जा रहा है। पर्वतीय जिलों में लोग ठंड से राहत पाने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। लगातार बढ़ रही ठंड के बीच बदरीनाथ धाम ने भी बर्फ की चादर ओढ़ ली है। यहां इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। हाल ये है कि धाम के पास बहने वाली ऋषि गंगा पूरी तरह जम चुकी है। रात के वक्त मुसीबत और बढ़ जाती है। शाम गहराते ही यहां तापमान शून्य से नीचे पहुंच रहा है।

वैसे तो धाम के कपाट 19 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं, लेकिन यहां मास्टर प्लान के काम के लिए मजदूर अब भी निर्माण कार्य में जुटे हैं। बीकेटीसी के कर्मचारी और पुलिस के जवान भी इन दिनों धाम में ड्यूटी पर हैं। दोपहर में यहां चटख धूप राहत दे रही है, लेकिन सुबह और शाम ठंड का असर बरकरार है। जिससे यहां रहने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।


बता दें कि शीतकाल यानी दिसंबर से मई महीने तक बदरीनाथ धाम बर्फ के आगोश में रहता है। दिसंबर से फरवरी तक धाम से हनुमान चट्टी (10 किमी) तक बर्फ जम जाती है। ऐसे में यहां पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है। इस बार भी ठंड बढ़ने के साथ ही यहां ऋषि गंगा का पानी पहाड़ी पर ही जम गया है। हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

ठंढ का आलम ये है कि यहां पानी भी पाइपों में जम गया है। ठंड में भले ही यहां लोगों की आवाजाही पर रोक रहती है, लेकिन कई साधु-संत इस दौरान धाम में ही निवास करते हैं और यहां तपस्या करते हैं। जोशीमठ तहसील प्रशासन ने अभी तक 12 साधु-संतों को शीतकाल में बदरीनाथ धाम में निवास करने की अनुमति दी है।

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