वाघ-बकरी चाय समूह के मालिक पराग देसाई की आवारा कुत्‍तों के हमले में मौत, गिरने से चोट लगने के कारण गई जान

अमेरिका के लॉन्ग आइलैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद पराग ने अहमदाबाद लौटकर पारिवारिक व्यवसाय को बदलने में अग्रणी भूमिका निभाई। एक चाय का स्‍वाद परखने वाले के रूप में प्रसिद्ध पराग ने कई लोगों को उत्तम चाय तैयार करने की बारीकियों से परिचित कराया।

वाघ-बकरी चाय समूह के मालिक पराग देसाई की आवारा कुत्‍तों के हमले में मौत
वाघ-बकरी चाय समूह के मालिक पराग देसाई की आवारा कुत्‍तों के हमले में मौत
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नवजीवन डेस्क

महानगरों से लेकर छोटे शहरों में आवारा कुत्तों और मवेशियों की बढ़ती समस्या के कारण एक और दु:खद घटना सामने आई है। अहमदाबाद में वाघ बकरी चाय समूह के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई की कुत्तों के हमले के कारण गिरने से मौत हो गई है। गिरने से उन्हें गंभीर चोट लगी जिससे उनकी जान चली गई।

गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड के 50 वर्षीय कार्यकारी निदेशक पराग देसाई कथित तौर पर 15 अक्टूबर को सुबह की सैर के दौरान अपने घर के बाहर उन पर हमला करने वाले आवारा कुत्तों से बचने के प्रयास में फिसलकर गिर गए। ड्यूटी पर मौजूद एक सुरक्षा गार्ड ने तुरंत उनके परिवार को सूचित किया। इसके बाद देसाई को शेल्बी अस्पताल ले जाया गया।


बाद में उन्हें ब्रेन हेमरेज से जुड़ी सर्जरी के लिए ज़ाइडस अस्पताल में भेज दिया गया। दु:खद रूप से 22 अक्टूबर को इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। उनका अंतिम संस्कार सोमवार सुबह थलतेज श्मशान घाट पर किया गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी विदिशा और बेटी परीशा हैं।

अमेरिका में लॉन्ग आइलैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए पूरा करने के बाद, वह अहमदाबाद लौट आए और पारिवारिक व्यवसाय को बदलने में अग्रणी भूमिका निभाई। एक चाय का स्‍वाद परखने वाले के रूप में प्रसिद्ध पराग देसाई ने कई लोगों को उत्तम चाय और मिश्रण तैयार करने की बारीकियों से परिचित कराया।

उन्होंने अपने परदादा द्वारा स्‍थापित 1,500 करोड़ रुपये के समूह के बिक्री, विपणन और निर्यात विभागों की जिम्‍मेदारी संभाली। उन्होंने चाय लाउंज में ब्रांड का विस्तार किया और आइस्ड टी जैसे नए उत्पाद पेश किए। वह भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे उद्योग मंचों पर भी सक्रिय थे। व्यवसाय से परे, देसाई का परमार्थ पक्ष भी था। उन्होंने ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन और अहमदाबाद के एक प्रमुख पशु अस्पताल जीवदया चैरिटेबल ट्रस्ट जैसे संगठनों की काफी सहायता की थी।

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