नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर मीडिया में वायरल सफाई सरकारी नहीं, गृह मंत्रालय ने दिया जवाब
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सरकारी सूत्रों की तरफ से जारी सफाई गृह मंत्रालय ने जारी नहीं की है, यह खुद गृह मंत्रालय ने ही स्पष्ट कर दिया है। सूत्रों के हवाले से सामने आई यह सफाई मीडिया में गुरुवार शाम से वायरल हो रही थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि नागरकिता कानून को लेकर मीडिया में वायरल हो रही सरकारी सूत्रों के हवाले से दी गई सफाई सरकार की तरफ से जारी नहीं की गई थी। फैक्टचेकर डॉट इन ने इस सिसलिसे में गृह मंत्रालय को मेल भेजकर पूछा था कि मीडिया में जो सफाई वायरल हो रही है और जिसे सरकारी सूत्रों से प्राप्त बताया जा रहा है, क्या सरकार ने जारी की है। इस मेल के जवाब में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि, “इस किस्म का कोई दस्तावेज गृह मंत्रालय ने जारी नहीं किया है।”
गौरतलब है कि गुरुवार को शाम करीब 6.30 बजे न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने अपने ट्वीट में दस्तावेज पब्लिश किया। इस दस्तावेज़ को सरकारी सूत्रों से प्राप्त बताया गया।
इस दस्तावेज को तमाम न्यूज चैनलों और अखबारों आदि ने प्रसारित-प्रकाशित किया। न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने इस दस्तावेज को शुक्रवार को एक बार फिर जारी किया। इस दस्तावेज को प्रकाशित करते हुए बताया गया कि ‘ नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के मसले पर देश भर में हिंसक प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार ने जनता से बहकावे में न आने की अपील की है। सीएए और एनआरसी पर उठते सवालों का जवाब देकर सरकार ने शंकाओं का समाधान करने की कोशिश की है।’
इस दस्तावेज के मुताबिक ‘सरकार ने कहा है कि अभी राष्ट्रीय स्तर के लिए एनआरसी जैसी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। सरकार ने यह भी बताया है कि एनआरसी में मुस्लिमों से किसी से भी भारतीय होने का सबूत नहीं मांगा जाएगा, बस कोई पहचान पत्र दिखाना होगा।
इस दस्तावेज में सवाल-जवाब के रूप में नागरिकता कानून और एनआरसी से जुड़े मामले पर सफाई दी गई थी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से जारी कुछ सवालों के जवाब यहां हैं :
सवाल : क्या एनआरसी के जरिए मुस्लिमों से भारतीय होने का सबूत मांगा जाएगा?
जवाब : सबसे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी जैसी कोई औपचारिक पहल शुरू नहीं हुई है। सरकार ने न तो कोई आधिकारिक घोषणा की है और न ही इसके लिए कोई नियम-कानून बने हैं। भविष्य में अगर ये लागू किया जाता है तो यह नहीं समझना चाहिए कि किसी से उसकी भारतीयता का प्रमाण मांगा जाएगा।
एनआरसी को आप एक प्रकार से आधार कार्ड या किसी दूसरे पहचान पत्र जैसी प्रक्रिया समझ सकते हैं। नागरिकता के रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आपको अपना कोई भी पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज देना होगा, जैसा कि आप आधार कार्ड या मतदाता सूची के लिए देते हैं।
सवाल : अगर कोई व्यक्ति पढ़ा-लिखा नहीं है और उसके पास संबंधित दस्तावेज नहीं हैं तो क्या होगा?
जवाब : इस मामले में अधिकारी उस व्यक्ति को गवाह लाने की इजाजत देंगे। साथ ही अन्य सबूतों और कम्युनिटी वेरीफिकेशन (गांव-मुहल्ले के लोगों से पहचान) आदि की भी अनुमति देंगे। एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा।
सवाल : भारत में बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं, जिनके पास घर नहीं हैं, गरीब हैं और पढ़े-लिखे नहीं हैं, उनके पास पहचान का आधार नहीं है, ऐसे लोगों का क्या होगा?
जवाब : यह सोचना पूरी तरह से सही नहीं है। ऐसे लोग किसी न किसी आधार पर वोट डालते ही हैं और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। उसी के आधार पर उनकी पहचान स्थापित हो जाएगी।
सवाल : क्या एनआरसी किसी ट्रांसजेंडर, नास्तिक, आदिवासी, दलित, महिला और भूमिहीन लोगों को बाहर करता है, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं?
जवाब : नहीं, एनआरसी जब कभी भी लागू किया जाएगा, ऊपर बताए गए किसी भी समूह को प्रभावित नहीं करेगा।
सवाल : अगर एनआरसी लागू होता है तो क्या मुझे 1971 से पहले की वंशावली को साबित करना होगा?
जवाब : ऐसा नहीं है। 1971 के पहले की वंशावली के लिए आपको किसी प्रकार के पहचान पत्र या माता-पिता, पूर्वजों के जन्म प्रमाणपत्र जैसे किसी भी दस्तावेज को पेश करने की जरूरत नहीं है। यह केवल असम एनआरसी के लिए मान्य था, वो भी असम समझौता और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर। देश के बाकी हिस्सों के लिए एनआरसी की प्रक्रिया पूरी तरह से अलग है।
सवाल : जब कभी एनआरसी लागू होगा, तो क्या हमें अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए माता-पिता का जन्म विवरण उपलब्ध कराना होगा?
उत्तर : आपको अपने जन्म का विवरण जैसे जन्म की तारीख माह, वर्ष और स्थान के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त होगा। अगर आपके पास जन्म का विवरण उपलब्ध नहीं है, आपको अपने माता-पिता के बारे में यही विवरण उपलब्ध कराना है। लेकिन कोई भी दस्तावेज माता-पिता के द्वारा ही प्रस्तुत करने की अनिवार्यता बिल्कुल नहीं होगी। जन्म की तारीख और जन्मस्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज जमा कर नागरिकता साबित की जा सकती है।
हालांकि, अभी तक ऐसे स्वीकार्य दस्तावेजों को लेकर भी निर्णय होना बाकी है। इसके लिए वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार, लाइसेंस, बीमा के पेपर, जमीन या घर के कागजात या फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी इसी प्रकार के अन्य दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है। इन दस्तावेजों की सूची ज्यादा लंबी होने की संभावना है, ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक रूप से परेशानी न उठानी पड़े।
सवाल : क्या नागरिकता कानून किसी भी भारतीय नागरिक को प्रभावित करता है?
उत्तर : नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिक संशोधन कानून किसी भी देश के किसी भी नागरिक को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता। बलूच, अहमदिया, रोहिंग्या कभी भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते वे नागरिकता अधिनियिम, 1955 से संबंधित योग्यता को पूरा करें।
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