वीडियो देखकर आंखें हो जाएंगी नम: तीन दिन से भूखा था युवक, खाना मिला तो आंखों से होने लगी आंसुओं की बारिश
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी था लेकिन बगैर किसी इंतजाम के इस तरह 21 दिन के लिए पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान करने पर सवाल उठ रहे हैं। हजारों कामगार जो मीलों अपने घर से दूर काम कर रहे थे उनके पास अपने घर वापस लौटने के अलावा कोई चारा न बचा।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी था लेकिन बगैर किसी इंतजाम के इस तरह 21 दिन के लिए पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान करने पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल हजारों कामगार जो मीलों अपने घर से दूर काम कर रहे थे उनके पास अपने घर वापस लौटने के अलावा कोई चारा न बचा। ऐसे में बड़ी संख्या में कामगार दूसरे शहर से अपने घर की तरफ जा रहे हैं। उनके लिए किसी तरह के साधन का इंतजाम नहीं किया गया। सभी पैदल ही 800-900 किमी की दूरी तय करने निकल पड़े हैं। ऐसे कामगारों का जमावड़ा दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर देखने को मिल रहा है। कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोगों को सड़कों पर देखा जा सकता है।
लॉकडाउन के बाद लोग बिना खाना-पानी के, बिना किसी साधन के पैदले ही मीलों अपने घर जाने को निकल पड़े हैं। ये लोग कई दिनों तक बिना खाने के भी रहने को मजबूर हैं। ऐसे ही एक वीडियो में बिहार जाने वाले एक युवक को दिखाया गया है, जो लगातार तीन दिन बिना खाने-पीने के चलता ही चला जा रहा था। इसी बीच रास्ते में जब उसे खाना मिला तो वह फफक कर रोने लगा। इस वीडियो को रचना सिंह नाम की एक महिला ने ट्वीट किया है। रचना ने खूद को समाजवादी पार्टी से जुड़ा कार्यकर्ता बताया है।
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि लाल टोपी पहने कुछ लोग घर जाते मजदूरों को रास्ते में रोककर खाना खिलाते हैं। देखने में ये समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता की तरह लग रहे हैं। वो रोते हुए लड़के से बात करते हैं और उसे चुप हो जाने को कहते हैं। लड़के को समझाते हैं कि वो लोग उनके साथ हैं, परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस वीडियो में रचना ने लिखा, “आज एक व्यक्ति पैदल चलकर बिहार जा रहा था। 3 दिन बाद जब खाना मिला तो रो पड़ा।” उन्होंने इस वीडियो में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव को भी टैग किया है।
फिलहाल तो ऐसी एक वीडियो आई है, लेकिन हजारों लोग हैं जो लॉकडाउन के बाद शहर से अपने गांव जाने को सड़क पर निकले हैं। हजारों लोग एक साथ इकट्ठा हैं। व्यवस्था नहीं होने की वजह से ये अपने घर जाने को मजबूर है। इतनी संख्या में एक साथ लोगों की भीड़ इकट्ठा होने से लॉकडाउन का मकसद भी सवालों के घेरे में है और कोरोना वायरस के तेजी से फैलने का डर भी बन गया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार (24 मार्च) को ऐलान किया था कि देश में 21 दिन का लॉकडाउन लगाया जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि जो जहां है, वहीं रहें। कोरोनावायरस को रोकने के लिए सभी को घर के अंदर रहना होगा। हालांकि, पीएम के इस ऐलान के कुछ ही घंटों के अंदर हजारों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर और दूसरे शहरों में बसे कामगार अपने-अपने गृह राज्यों के लिए निकल गए। बस-ट्रेन की सुविधा न होने के बावजूद वे पैदल ही निकल पड़े। पैदल राहगीरों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश-बिहार और पंजाब के हैं। हालांकि, अपने घरों तक पहुंचने के बावजूद कइयों को उनके गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा, क्योंकि गांव वालों को डर है कि कोरोनावायरस संक्रमण कहीं उनके इलाकों में न पहुंच जाए।
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Published: 28 Mar 2020, 5:00 PM