उत्तरकाशी हादसाः ऋषिकेश एम्स ने जारी किया मेडिकल बुलेटिन, झारखंड-ओडिशा के मजदूरों को मिली छुट्टी
ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों की मानें तो सभी मजदूर स्वस्थ हैं। अस्पताल के सहायक प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि यहां भर्ती 41 श्रमिक 7 अलग-अलग राज्यों से हैं। सबसे अधिक संख्या में श्रमिक झारखंड, यूपी और बिहार से हैं। सभी को चिकित्सा मंजूरी मिल गई है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल से सुरक्षित निकाले गए सभी 41 मजदूरों के स्वास्थ्य को लेकर एम्स ऋषिकेश ने पहला मेडिकल बुलेटिन जारी किया है। ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों की मानें तो सभी मजदूर स्वस्थ हैं। अस्पताल प्रशासन के सहायक प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि यहां भर्ती 41 श्रमिक 7 अलग-अलग राज्यों से हैं। सबसे अधिक संख्या में श्रमिक झारखंड, यूपी और बिहार से हैं। सभी को चिकित्सा मंजूरी मिल गई है। झारखंड और ओडिशा के श्रमिकों को छुट्टी दे दी गई है।
इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन अन्य राज्यों के नोडल अधिकारियों के संपर्क में है। इसी बीच राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह आज 41 श्रमिकों का हालचाल जानने ऋषिकेश एम्स पहुंचे। एम्स की निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने सभी 41 मजदूरों से राज्यपाल को मिलवाया। राज्यपाल ने सभी श्रमिकों से एक-एक कर बातचीत की और उनका हाल जाना। इस दौरान राज्यपाल ने डॉक्टर से बातचीत कर श्रमिकों के स्वास्थ्य को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने श्रमिकों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करने के सख्त निर्देश भी दिये।
झारखंड सरकार ने सिलक्यारा टनल से रेस्क्यू किए गए झारखंड के 15 मजदूरों को एयरलिफ्ट कर राज्य लाने की तैयारी पूरी कर ली है। एक दिसंबर को इन्हें इंडिगो के फ्लाइट से रांची लाया जाएगा। इन सभी के शाम 8 बजे तक रांची पहुंचने की उम्मीद है। इन श्रमिकों के साथ उनके 12 परिजनों को भी फ्लाइट से ही लाया जा रहा है। ये लोग हादसे के बाद उत्तराखंड पहुंच गए थे। सीएम हेमंत सोरेन ने पहले ही सभी श्रमिकों को फ्लाइट से लाने का निर्देश दे रखा था।
श्रमिकों को लाने के लिए झारखंड के वरिष्ठ आईएएस भुवनेश्वर प्रताप सिंह की अगुवाई में श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के अफसरों की तीन सदस्यीय टीम बुधवार को ही उत्तराखंड पहुंची थी। वहीं, हादसे के तुरंत बाद झारखंड सरकार ने तत्परता दिखाते हुए एक टीम घटनास्थल पर भेजी थी। वहां झारखंड के मजदूरों के परिजनों को सूचना देने और उनकी सहायता करने के लिए हेल्पलाइन सेंटर भी खोला गया था। इस टीम के अफसरों ने सुरंग में फंसे मजदूरों से फोन पर बात भी की थी।
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