हरिद्वार कुंभ के दौरान हुए RTPCR टेस्ट घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में, दोषियों पर कार्यवाही का दिखावा कर रही है सरकार

हरिद्वार कुंभ के दौरान फर्जी आरटीपीसीआर जांच घोटाले का खुलासा हुए जमाना हो गया, मामले की जांच शुरु तो हुई, लेकिन यह ठंडे बस्ते में पड़ी है। कई-कई जांच अधिकारी बदले जा चुके हैं। सवाल है कि क्या कुछ खास लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं बीजेपी सरकार!

फोटो : सोशल मीडिया
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ज्योति एस

हरिद्वार कुंभ के दौरान सामने आई फर्जी कोरोना टेस्ट में करोड़ों की हेराफेरी के मामले की जांच अटक चुकी है। जांच अटके रहने की वजह है। इसमें कई बड़े लोगों की मिलीभगत की बातें सामने आने का अंदेशा है। इसी के चलते कभी एक तो कभी दूसरी वजह से इस जांच को ही लटकाए रखा जा रहा है।

सरकार और कुंभ मेला प्रशासन ने कुंभ में लाखों-करोड़ों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच का काम मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस को दिया था। नाम से मैक्स अस्पताल चेन के भ्रम में न पड़ें। यह मुख्यतः इंजीनियरिंग और कन्सल्टेंसी कंपनी है। यह हेल्थ और सेफ्टी प्रबंधन का भी काम करती है लेकिन इसका इस तरह की जांच से सीधा साबका कभी नहीं पड़ा है। कंपनी ने खुद भी उत्तराखंड हाईकोर्ट को बताया है कि वह सिर्फ थर्ड पार्टी है जिसने सैंपल कलेक्शन कर इसे रैपिड एंटीजन टेस्ट का काम राष्ट्रीय एक्रिडेटेड लेबोरेटरीज से कराया। ये लेबोरेटरी थीः दिल्ली की लालचंदानी लैब और हिसार हरियाणा की नलवा लैब। इस काम की मॉनिटरिंग खुद उच्च न्यायालय, नैनीताल कर रहा था, फिर भी सरकार ने इसके लिए न तो टेंडर निकाले, न कोई समिति बनाई जो इस काम की देखरेख करती। पहले से निर्धारित रेट पर कुंभ मेला सीएमओ की संस्तुति के आधार पर काम का आवंटन कर दिया गया।

जब कुंभ मेला की वजह से कोरोना पीड़ितों की संख्या अचानक बढ़ गई और लोगों की मौत होने लगी, तो इस मामले की जांच के आदेश दिए गए। आईएएस अधिकारी सौरभ गहवार ने तीन माह से अधिक समय तक इसकी जांच की। उन्होंने 2,200 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। इस पर कार्रवाई करने की जगह मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई। हरिद्वार के जिलाधिकारी ने इसका गठन किया है और अब तक चार जांच अधिकारी बदले जा चुके हैं। ताजा स्थिति यह है कि जो जांच अधिकारी अंतिम थे, उनका तबादला हो जाने पर करीब डेढ़ माह बाद अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में जांच अधिकारी की नियुक्ति की गई है। एसआईटी ने इस मामले में हरियाणा के एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तो की है, पर उसके बाद मामला बढ़ा नहीं है। इसकी रिपोर्ट की प्रतीक्षा हाईकोर्ट को भी है।

दरअसल यह मामला खुलता ही नहीं और यह जांच भी नहीं होती लेकिन पंजाब के फरीदकोट के एक ब्लॉक बीजेपी अध्यक्ष और बीमा एजेंट ने इस मामले की एक के बाद एक कई शिकायतें कीं। दरअसल, वे हरिद्वार आए नहीं थे, पर उनके फोन पर हरिद्वार में उनकी कोरोना जांच होने का एसएमएस संदेश आने लगा। उन्होंने सच्चाई जानने को आईसीएमआर में आरटीआई आवेदन लगाया। इसका जवाब देने के लिए आईसीएमआर ने उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जानकारी मांगी। वैसे, इस किस्म के फर्जीवाड़े की जानकारी कई स्तरों पर थी।


धर्मशाला रक्षा समिति के संरक्षक और अध्यक्ष रमेश चंद शर्मा कहते भी हैं कि कुंभ में आए श्रद्धालुओं की संख्या के अनुरूप जांच नहीं हुई और कई तरह की अनियमितताएं बरती गईं और शिकायत करने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। खैर। जब यह मामला मीडिया में उछला, तो उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और उस वक्त मुख्यमंत्री रहे तीरथ सिंह रावत के बीच वाक्युद्ध हो गया। दोनों रावत ने कहा कि यह सब उनके कार्यकाल में हुआ। जांच के आदेश त्रिवेन्द्र रावत के समय हुए जबकि जांच हुई तीरथ सिंह रावत के समय। एसआईटी जांच पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री रहते हो रही है।

एसआईटी जांच लटकी होने की भी वजह है। एसआईटी जांच करते-करते मध्य प्रदेश के मूल निवासी और मुंबई से अपना कारोबार कर रहे अनिरुद्ध गोयल तक पहुंच गई। हालांकि एसआईटी का कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है लेकिन जांच पर निगाह रख रहे एक अधिकारी ने बताया कि वह उसी गोयल परिवार से हैं जिन पर ब्राजील में कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति में फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। ब्राजील के स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार किया है कि 6 लाख लोगों की मृत्यु कोरोना की वजह से हुई है।

द वायर ने जांच के आधार पर रिपोर्ट छापी है कि हैदराबाद के वैक्सीन उत्पादक- भारत बायोटेक ने ब्राजील को 2 करोड़ डोज निर्यात करने के लिए एक भारतीय कंपनी का चयन किया जबकि इसका संयुक्त अरब अमीरात से पंजीकृत होना जरूरी था। हालांकि भारत बायोटेक इस समझौते में पार्टी नहीं थी लेकिन इसने दो फर्मों के साथ करार किया। इनमें से एनविक्सिया दुबई की कंपनी है। लेकिन इसने जिस रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग किया है, वह ग्वालियर में इनवेक्स हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड नाम से पंजीकृत है। इसका मुख्यालय मध्य प्रदेश के नीमच में है और इसका एक ऑफिस मुंबई के ठाणे में भी है। इस पूरे मामले की ब्राजील में संसदीय जांच हो रही है।

लेकिन यहां एसआईटी ने सम्मन भेजकर अनिरुद्ध गोयल को हरिद्वार बुलाया, उसके बाद से ही जांच की धार कुंद कर दी गई है। पहले तो हरिद्वार के तत्कालीन जिलाधिकारी सी. रविशंकर का तबादला कर दिया गया। फिर, नए जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने तत्कालीन सीडीओ आईएएस अधिकारी सौरभ गहरवार की जांच रिपोर्ट को गोपनीय मामला बताते हुए सार्वजनिक करने से इंकार दिया। हाल यह है कि कुर्की-सम्मन होने और गिरफ्तारी वारंट होने के बावजूद एसआईटी न तो मैक्स कॉरपोरेट के प्रोपराइटर शरद पंत और मल्लिका पंत के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकी है और न ही हिसार की नलवा लैब के नवतेज नलवा की गिरफ्तारी ही कर सकी है।


23 अगस्त को विधानसभा सत्र के पहले दिन इस मामले में खुद के विधायकों संग विपक्ष के हमले पर सरकार ने हो-हल्ला से बचने के लिए एसआईटी को आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दूसरे राज्यों में दबिश की सूचना दी। जोर देने पर सरकार ने कुंभ मेला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्जुन सिंह सिंगर सहित दो लोगों को निलंबित कर दिया। 27 अगस्त को विधानसभा सत्र समाप्त होते ही एसआईटी जांच ठंडी हो गई, आईओ का तबादला हो गया और मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया। वैसे, सरकार ने डॉ. सिंगर को चार्जशीट जारी कर दी है और उनसे जवाब मांगा है।

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