उत्तराखंडः मंत्री के सामने जहर खाने वाले व्यापारी की मौत, जीएसटी-नोटबंदी से था परेशान
उत्तराखंड बीजेपी मुख्यालय में मंत्री के सामने जहर खाने वाले व्यापारी प्रकाश पांडे की अस्पताल में मौत हो गई है। पांडे ने मोदी सरकार की नोटबंदी और जीएसटी की वजह से तबाह होने की वजह से यह कदम उठाया था।
उत्तराखंड के बीजेपी कार्यालय में जनता दरबार के दौरान जहर खाने वाले ट्रांसपोर्ट व्यवसायी प्रकाश पांडे की मौत हो गर्इ है। पिछले तीन दिनों से पांडे का देहरादून के मैक्स अस्पताल में इलाज चल रहा था। पांडे के निधन पर राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने पांडे को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने का प्रयास किया था।
ट्रांसपोर्ट व्यापारी प्रकाश पांडे 6 जनवरी को राज्य बीजेपी मुख्यालय में आयोजित कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के जनता दरबार में जहर खाकर पहुंचे थे। उसने मंत्री के सामने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार की नोटबंदी और जीएसटी की वजह से उसका व्यवसाय तबाह हो गया और वह बुरी तरह से कर्ज में डूब गया है। पांडे ने आरोप लगाया था कि केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों से उसके व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ है और प्रदेश सरकार में भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस दौरान उसने यह भी बताया कि वह लंबे समय से बीजेपी से जुड़ा रहा है। मंच पर बैठकर लोगों की शिकायत सुन रहे मंत्री और अन्य लोगों के सामने जैसे ही उसने बताया कि उसने जहर खा लिया है तो वहां हड़कंप मच गया। आनन-फानन में पांडे को मंत्री की गाड़ी से ही अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसकी हालत खराब होने पर मैक्स अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया था। जहां इलाज के दौरान आज 9 जनवरी को उसने दम तोड़ दिया।
घटना की जानकारी मिलने पर काठगोदाम, नैनीताल के रहने वाले प्रकाश पांडे को देखने के लिए कई नेता अस्पताल पहुंचे। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अस्पताल जाकर पीड़ित का हालचाल लिया था और हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। हालांकि, इससे पहले अपनी समस्या के बारे में पांडे प्रधानमंत्री कार्यालय और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को कई पत्र लिख चुके हैं, लेकिन उन्हे कोई राहत नहीं मिली।
कृषि मंत्री के जनता दरबार में जहर खाकर पहुंचे पांडे ने रो-रो कर अपना हाल सबको बताया था। उन्होंने कहा था, “मुझे इस सरकार ने परेशान कर दिया है, नोटबंदी और जीएसटी के बाद मैं कर्जदार हो गया हूं।” पांडे ने आगे कहा, “पिछले पांच वर्षों से मैं सरकार तक अपनी समस्या पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन मुख्यमंत्री किसी काम के नहीं हैं… वह किसी की नहीं सुनते। मेरी तरह नोटबंदी और जीएसटी की वजह से तबाह हुए और भी कई लोग हैं। मैं अब जीना नहीं चाहता। मैंने जहर खा लिया है।”
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