उत्तराखंडः बीजेपी नेता पुत्र के कॉलेज में करोड़ों का छात्रवृत्ति घोटाला, कोर्ट के आदेश पर दर्ज हो पाया केस
इस घोटाले में और भी बड़ी मछलियां हैं, मगर उनकी पहुंच के कारण एसआईटी उन पर हाथ डालने से कतरा रही है। कहते हैं कि अगर हरबंस कपूर विरोधी खेमे में नहीं होते तो शायद एसआइटी जांच की आंच उनके बेटे के कॉलेजों तक भी नहीं पहुंच पाती।
उत्तराखंड में 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में हाइकोर्ट के दबाव के कारण वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर के बेटे के 3 कॉलेजों के खिलाफ जालसाजी से अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के हिस्से की छात्रवृत्ति के करोड़ों रुपये हड़पने के मामले दर्ज किए गए हैं। इससे त्रिवेंद्र रावत सरकार के स्वच्छ प्रशासन के दावों की पोल फिर खुल गई है।
राज्य की त्रिवेंद्र रावत सरकार पिछले एक साल से नेता पुत्र के इस महाघोटाले से अनजान बनी हुई थी। वैसे, एसआईटी ने बीजेपी नेता के पुत्र के कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज कर ली है, लेकिन कॉलेजों के संचालक का नाम एफआईआर में शामिल नहीं किया गया। जिससे साफ है कि अभी भी उन्हें गिरफ्तारी से बचाने की कोशिशें जारी हैं।
वैसे, राज्य और केंद्र सरकारों के मंत्रियों के पुत्र-पुत्रियों के निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों को भी राज्य सरकार का संरक्षण मिला हुआ है। हाइकोर्ट के आदेशों के बावजूद उनके शुल्क नहीं घटाए गए हैं और छात्रों से वसूली गई बढ़ी हुई फीस नहीं लौटाई गई है। इसी बीच हाईकोर्ट के ही आदेश पर सरकार को छात्रवृत्ति घोटाले का मामला दर्ज करना पड़ा है। ये मामले तीन कॉलेजों- बीहाईव कॉलेज ऑफ एडवांस स्टडीज सेलाकुई, बिहाईव कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और बिहाईव कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के खिलाफ दर्ज हुए हैं। इन कॉलेजों के संचालक अमित कपूर हैं। उनके पिता हरबंस कपूर उत्तर प्रदेश और बाद में, उत्तराखंड में 8 बार विधायक रह चुके हैं। वह उत्तराखंड में विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
एसआईटी जांच में पाया गया है कि छात्रवृत्ति की धनराशि छात्रों के खातों के बजाय सीधे संस्थान को दी गई है, जो गलत है। जिन छात्रों के खाते बैंक में पाए गए हैं, उनमें एक ही नंबर दर्ज है। शैक्षणिक सत्र में अलग-अलग संस्थानों में एक ही छात्र का एक-दो बार एडमिशन भी पाया गया। थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर यह धोखाधड़ी सामने आई है। फर्जीवाड़ा तीनों कॉलेजों में पाया गया है।
छात्रवृत्ति घोटाले में अमित कपूर अकेले नेता पुत्र नहीं हैं। इससे पहले पिछले साल 7 मार्च को रुड़की के पूर्व बीजेपी विधायक सुरेश चंद जैन के भतीजे चौरब जैन भी गिरफ्तार हो चुके हैं। उनके संस्थान फोनिक्स ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, रुड़की में भी छात्रवृति घोटाले का आरोप है। मंगलौर में चल रहे एक अन्य संस्था के संचालक नूरुद्दीन एक नेता के भाई हैं। उन्हें भी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इस मामले में विख्यात शैक्षिक संस्था से संबंधित जाने-माने शिक्षाविद जोगेन्द्र स्वरूप के बेटे मानवेंद्र स्वरूप लगभग 40 दिन बाद जमानत पर रिहा हुए थे।
इसमें समाज कल्याण विभाग के दो आला अधिकारी- गीताराम नौटियाल और अनुराग शंखधर भी सलाखों के पीछे हैं। जानकारों के अनुसार, इस घोटाले में और भी बड़ी मछलियां हैं, मगर उनकी पहुंच के कारण एसआईटी उन पर हाथ डालने से कतरा रही है। कहते हैं कि अगर हरबंश कपूर विरोधी खेमे में नहीं होते तो शायद एसआइटी जांच की आंच उनके बेटे के कॉलेजों तक भी नहीं पहुंचती।
मामले को हाइकोर्ट ले जाने वाले रवींद्र जुगराण का कहना है कि अब भी बड़ी मछलियों को बचाया जा रहा है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना का कहना है कि स्वयं मुख्यमंत्री पर समय-समय पर आरोप लग रहे हैं, इसलिए उनसे निष्पक्ष जांच की आशा कम ही है।
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