उत्तर प्रदेशः रेप आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को हाईकोर्ट से जमानत, कोरोना के आधार पर अंतरिम राहत
इससे पहले गायत्री प्रजापति की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी थी, उसके बाद उसने फिर से अर्जी देकर कहा कि वह गंभीर रोग से पीड़ित है और केजीएमयू के जिस विभाग में वह भर्ती है, वहां उसे कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है, क्योंकि वह वार्ड कोरोना वार्ड के नजदीक है।
दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद उत्तर प्रदेश के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अंतरिम जमानत दे दी। लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में भर्ती गायत्री प्रजापति ने कोरोना वायरस से संक्रमित होने का हवाला देकर जमानत की याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट के जस्टिस वेद प्रकाश वैश्य ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए 2 महीने की अंतरिम बेल मंजूर की है।
प्रजापति को कोर्ट ने सुनवाई के बाद दो महीने की अंतरिम जमानत की मंजूरी दी है। कोर्ट ने प्रजापति को पांच लाख रुपये के पर्सनल बांड और दो जमानतदारों की शर्त के साथ जमानत दी है। साथ ही कोर्ट की शर्त है कि प्रजापति अंतरिम जमानत के दौरान देश छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे। साथ ही अपना मोबाइल हर समय ऑन रखेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से गायत्री प्रजापति के वकील एस के सिंह ने केजीएमयू की ही रिपेार्ट का हवाला देकर कहा कि इसमें साफ लिखा है कि केजीएमूय में मरीजों को कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अधिक है। इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकारी वकील को पूरी स्थिति साफ करने का आदेश दे दिया।
इससे पहले गायत्री प्रजापति की पहली जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। उसके बाद उन्होंने अर्जी देकर कहा कि वह गंभीर रोग से पीड़ित हैं। लिहाजा इलाज कराने के लिए जमानत दी जाए। कोर्ट के ही आदेश पर प्रजापति का केजीएमयू में इलाज हो रहा है। अब इस बार प्रजापति ने दलील दी है कि केजीएमयू के जिस विभाग में वह भर्ती है, वहां उसे कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है, क्योंकि वह वार्ड कोरोना वार्ड के नजदीक है।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ 2017 में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था। केस में तीन जून, 2017 को गायत्री के अलावा छह अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसके बाद 18 जुलाई, 2017 को लखनऊ की पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने सातों आरोपियों पर केस दर्ज किया था।
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