उत्तर प्रदेश: ‘योगी बनाम प्रतियोगी छात्र’ हुआ माहौल, अखिलेश बोले- नौकरी बीजेपी के एजेंडे में नहीं
प्रतियोगी छात्रों ने सोमवार सुबह से यहां लोक सेवा आयोग के प्रवेश द्वार पर धरना प्रदर्शन शुरू किया। दिन ढलने के साथ हजारों की संख्या में छात्रों ने मोबाइल फोन की टार्च जलाकर एकता दिखाई।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस प्री और आरओ-एआरओ परीक्षा दो दिन में संपन्न कराने के निर्णय के विरोध में जारी छात्र आंदोलन के समर्थन में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि माहौल ‘योगी बनाम प्रतियोगी छात्र’ हो गया है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में अधिकारियों को निर्देश दिया कि पुलिस अधिकारी संयमित व्यवहार करें और छात्रों पर बल प्रयोग ना करें।
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने मंगलवार को पूछा कि 'क्या उत्तर प्रदेश के पास एक समय में परीक्षा कराने की बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव है कि पीसीएस समेत अन्य विशिष्ट परीक्षाएं दो दिन में करानी पड़ रही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आज प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवा की जुबान पर जो बात है वह यह है कि नौकरी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एजेंडे में है ही नहीं। उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा, नौकरी नहीं जिनका एजेंडा।’’
अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘बीजेपी के लोग जनता को रोजी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं ताकि भाजपाई सांप्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों साल रिक्तियां या तो निकलती ही नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवारवाले अब बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि नौकरी-पेशा, पढ़ा-लिखा मध्यम वर्ग अब भावना में बहकर बीजेपी के बहकावे में आने वाला नहीं है।
अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘अब ये लोग भी बीजेपी की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं हैं। ये लोग अब बांटने वाली सांप्रदायिक राजनीति को नकार कर जोड़ने वाली सकारात्मक राजनीति को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘अब लोग समझ गए हैं कि बीजेपी सरकार के रहते कुछ भी नहीं होने वाला। बीजेपी के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। बीजेपी और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब बीजेपी जाएगी, तभी नौकरी आएगी।’’
अखिलेश ने कहा, ‘‘अब क्या बीजेपी सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोजर चलाएगी। भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफी का बुलडोजर चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर अपने घरों में छिपकर नहीं बैठना पड़ता। आंदोलनकारियों के गुस्से से घबराकर भाजपाइयों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और गाड़ियों से बीजेपी के झंडे उतर गए हैं।’’
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पीसीएस-प्री (राज्य सिविल सेवा-प्रारंभिक) परीक्षा और आरओ..एआरओ की परीक्षा दो दिन में संपन्न कराने के निर्णय के विरोध में जारी छात्रों के आंदोलन के प्रति समर्थन जताते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने मंगलवार को पूछा कि ‘‘क्या यूपी के पास एक समय में परीक्षा कराने की बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव है कि पीसीएस समेत अन्य विशिष्ट परीक्षाएं दो दिन में करानी पड़ रही हैं।’’
मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस तथा आरओ-एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा-2024 एक समय में कराने में विफलता को लेकर आक्रोशित छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से उत्पन्न स्थिति संबंधी खबर का व्यापक चर्चा में रहना स्वाभाविक है।’’
मायावती ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक पर रोक व परीक्षाओं की विश्वसनीयता अहम मुद्दा है, जिसके लिए एक बार में ही परीक्षा कराने की व्यवस्था करना जरूरी है, इसलिए सरकार इस ओर ध्यान दे।
मायावती ने कहा कि गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई आदि की गहरी मार झेल रहे छात्रों के प्रति सरकार का रवैया क्रूर नहीं बल्कि सहयोग एवं सहानुभूति का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार रिक्त पड़े बैकलाग के सभी पदों पर जितनी जल्दी भर्ती की प्रक्रिया पूरी करे, उतना ही बेहतर होगा।
उन्होंने कहा कि लोगों को रोजी-रोजगार की सख्त जरूरत है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस-प्री परीक्षा और आरओ-एआरओ परीक्षा दो दिन में संपन्न कराने के निर्णय के विरोध में सोमवार से शुरू हुआ छात्र आंदोलन प्रयागराज में यूपीपीएससी मुख्यालय के सामने आज दूसरे दिन भी जारी रहा।
देर रात जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त ने आयोग में बैठक की जो बेनतीजा रही। आंदोलनकारी छात्रों ने रात खुले आसमान के नीचे गुजारी और मंगलवार की सुबह फिर से धरना प्रदर्शन में जुट गए। जो छात्र-छात्राएं रात में अपने घर चली गई थीं, वे मंगलवार की सुबह आयोग के मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर पुन: एकत्रित हो गए और आंदोलन शुरू कर दिया।
प्रतियोगी छात्रों ने सोमवार सुबह से यहां लोक सेवा आयोग के प्रवेश द्वार पर धरना प्रदर्शन शुरू किया। दिन ढलने के साथ हजारों की संख्या में छात्रों ने मोबाइल फोन की टार्च जलाकर एकता दिखाई।
आयोग ने पिछले मंगलवार को इन परीक्षाओं की तिथियों की घोषणा की। जहां पीसीएस-प्री परीक्षा के लिए सात और आठ दिसंबर की तिथि घोषित की गई है, वहीं समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) प्री परीक्षा के लिए 22 और 23 दिसंबर की तिथि घोषित की गई है।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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