अमेरिका ने सपाट शब्दों में भारत से कहा- कश्मीर से पाबंदियां हटें और स्थानीय नेताओं को रिहा कर पाक से शुरु हो बातचीत
‘हाऊडी मोडी’ में भले ही ट्रंप पीएम मोदी का हाथ पकड़े स्टेडियम का चक्कर लगा रहे थे, लेकिन यूएनजीए से इतर अमेरिका ने साफ शब्दों में कहा कि कश्मीर से पाबंदियां हटें, नेताओं को रिहा किया जाए, वादे के मुताबिक जल्द चुनाव हों और पाकिस्तान से बातचीत शुरु की जाए।
देश भर का मीडिया भले ही कुछ भी दिखाए-पढ़ाए, लेकिन हकीकत यह है कि अमेरिका ने असल में भारत से कश्मीर में जारी प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के इतर दोनों देशों के बीच हुई बैठक में अमेरिका ने कहा कि भारत को कश्मीर घाटी में संचार और आवागमन पर लगाई गई पाबंदियों को हटाने के लिए त्वरित कदम उठाना चाहिए। साथ ही अमेरिका ने भारत को अमेरिका के साथ बातचीत शुरु करने, घाटी में नजरबंद या हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने का भी आग्रह किया है।
हैरानी की बात यह है कि इस बारे में किसी भी भारतीय मीडिया संस्थान या चैनल ने इस खबर को न तो दिखाया और न ही प्रकाशित किया, जबकि अमेरिका द्वारा चीन के मुसलमानों के बारे में पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाया जाना खूब सुर्खियां बना। ह्यूस्टन में ‘हाऊडी मोडी’ कार्यक्रम के तुरंत बाद अमेरिका द्वारा भारत को कश्मीर के हालात पर ऐसा बयान देना कूटनीतिक नाकामी ही माना जाएगा।
अमेरिकी विदेश विभाग की दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने पत्रकारों से कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही पाबंदियां हटाई जाएंगी और जिन्हें हिरासत में लिया गया है उन्हें रिहा किया जाएगा।” (https://www.state.gov/acting-assistant-secretary-for-the-bureau-of-south-and-central-asian-affairs-alice-wells-at-the-74th-session-of-the-united-nations-general-assembly/)
उन्होंने कहा कि, “हमें उम्मीद है कि भारत सरकार (कश्मीर के) नेताओं के साथ बातचीत शुरु करेगी और वादे के मुताबिक वहां चुनाव कराएगी। राष्ट्रपति ट्रंप ने भी इस पर जोर दिया है और प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया है कि कश्मीर की स्थिति में हुए बदलाव से कश्मीर के लोगों के जीवन में बेहतर बदलाव होगा। हम उम्मीद करते हैं कि वे वादा निभाएंगे।”
एलिस वेल्स ने दोहराया कि अगर भारत और पाकिस्तान तैयार हों तो अमेरिका कश्मीर मामले पर मध्यस्थता के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “हम इस बात का इंतजार करेंगे कि बातचीत शुरु करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति का संदेश इस बारे में बहुत स्पष्ट है। उनके भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ मजबूत रिश्ते हैं। अगर ये दोनों देश आपस में बातचीत करते हैं तो इससे विश्व का भला होगा और तनाव कम होगा। इन बातों के मद्देनजर राष्ट्रपति मध्यस्थता करने को तैयार हैं बशर्ते इसके लिए दोनों तैयार हों।”
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