नूंह हिंसा पर हरियाणा विधानसभा में हंगामा, विपक्ष ने घेरा तो सरकार ने जवाबदेही से बचने के लिए कोर्ट का लिया सहारा
विधानसभा में विपक्ष किसी भी हालत में नूंह हिंसा पर चर्चा चाह रहा था, लेकिन सरकार की मंशा कुछ और थी। नूंह पर फंसी सरकार की मंशा किसी भी स्थिति में चर्चा नहीं करवाने की थी।
नूंह हिंसा और संदीप सिंह पर हरियाणा विधानसभा में बवाल जारी है। यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे मंत्री संदीप सिंह के इस्तीफे पर विपक्ष अड़ा था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का जवाब पिछले सत्र की तरह ही था। सीएम ने 3 बार कहा कि इस्तीफा नहीं लिया जाएगा। वहीं, विपक्ष के लॉ एंड आर्डर पर चर्चा के लिए दिए प्रस्ताव को सरकार ने स्वीकार ही नहीं किया। विपक्ष किसी भी हालत में नूंह हिंसा पर चर्चा चाह रहा था, लेकिन सरकार की मंशा कुछ और थी। नूंह पर फंसी सरकार की मंशा किसी भी स्थिति में चर्चा नहीं करवाने की थी। दोनों मसलों से बच निकलने के लिए सरकार ने न्यायालय का सहारा लिया। दोनों मामलों में उसका एक ही तर्क था कि मामला सब-जुडिस है। लिहाजा, विधान सभा में जमकर हंगामा बरपा। हालत ऐसी हो गई कि दो बार विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन पहले से ही इस बात की उम्मीद थी कि खट्टर सरकार आज मुश्किल में होगी। यह अंदाजा था कि नूंह हिंसा पर बुरी तरह फंसी सरकार को विपक्ष के जवाब देने मुश्किल होंगे। राष्ट्रीय राजधानी के नाक तले हुई हिंसा की गूंज बहुत दूर तक सुनी गई है, लिहाजा यह बड़ा मसला था। लेकिन सरकार की मंशा कुछ और थी। राज्य में लॉ एंड आर्डर पर चर्चा के लिए दिए गए विपक्ष के प्रस्ताव को ही उसने नकार दिया। इससे पहले शुक्रवार को मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष नूंह हिंसा पर चर्चा चाहता था। विपक्ष के सवाल करने पर विस के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने जवाब दिया था कि चर्चा के लिए दिया गया उनका प्रस्ताव सरकार के कमेंट के लिए उन्होंने भेजा है। आज वही हुआ जिसका अंदेशा था। सरकार ने चर्चा से बच निकलने के लिए न्यायालय का सहारा लिया। स्पीकर ने कहा कि मामला सब-जुडिस होने के चलते इस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती है। लिहाजा, आपका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया है। विपक्ष के सवाल करने पर स्पीकर और सीएम एक ही लाइन पर बोल रहे थे। दोनों ने कहा कि नूंह का मामला सब-जुडिस है। लिहाजा, इस पर चर्चा नहीं हो सकती।
इस पर नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि लॉ एंड आर्डर सब-जुडिस नहीं है। इस पर चर्चा से हमें कोई नहीं रोकता। पूर्व विस अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक डा. रघुवीर कादियान का कहना था कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम राज्य में सभी की सुरक्षा नहीं कर सकते। गृह मंत्री ने कहा था कि उनके पास नूंह में हालात खराब होने का कोई इनपुट नहीं था। सरकार वहां फेल हो गई है, इसलिए चर्चा जरूरी है। हुड्डा ने कहा कि सीएम ने कहा था कि नूंह में साजिश हुई है। हम यही तो चाहते हैं कि इस साजिश का खुलासा हो। सरकार कहे कि हम हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच करवाएंगे। नूंह में बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाते हुए हुड्डा ने कहा कि नोटिस दिखाई जा रही हैं 2009 और 2013 की और बुल्डोजर वहां आज चलाया जा रहा है। विपक्ष नूंह हिंसा पर चर्चा के लिए अडिग था। इस बीच सदन में जमकर हंगामा और नारेबाजी हो रही थी। सदन में तकरीबन आधे घंटे हंगामे के हालात रहे। भारी शोर-शराबे के बीच स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने अंतत: सदन को स्थगित कर दिया। भारी हंगामें के बीच लगाए गए कुछ गंभीर आरोपों को स्पीकर ने सदन की कार्यवाही से डिलीट करने का फरमान सुनाया। जब स्पीकर दोबारा सदन में आए तो शून्यकाल आरंभ कर दिया, लेकिन कांग्रेस विधायक नूंह हिंसा पर चर्चा पर अड़े थे। लिहाजा, एक बार फिर हंगामा शुरू हो गया।
कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने मणिपुर में हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि उस पर भी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी, जबकि मामला अदालत में था। फिर यहां चर्चा क्यों नहीं हो सकती। हुड्डा ने स्पीकर से कहा कि आप इस पर रूलिंग दो। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर बुल्डोजर एक्शन पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने सुओ मोटो संज्ञान लिया है, इसलिए चर्चा पर कोई रोक नहीं है। इतने तर्कों के बावजूद स्पीकर बार-बार मामला सब-जुडिस होने का ही आधार दे रहे थे। इस पर हुड्डा ने कहा कि गुरुग्राम और नूंह हिंसा का कोर्ट ने सिर्फ रेफरेंस दिया है। सदन में चर्चा पर कोई रोक नहीं है। कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कहा कि सब-जुडिस मामला एक स्पेसिफिक इश्यू है और यह कानून-व्यवस्था का मामला है। सब-जुडिस के नाम पर आप चर्चा नहीं रोक सकते। स्पीकर के फिर भी नहीं मानने पर हुड्डा ने कहा कि सरकार इस पर एक्सपोज हो गई है, इसलिए वह सदन में चर्चा नहीं चाहती। लॉ एंड आर्डर सब-जुडिस नहीं है। कोर्ट में जो मामला है वह सिर्फ एक पक्ष है। हुड्डा ने फिर मांग की सरकार कहे कि हम हाईकोर्ट के जज से जांच करवाएंगे। बीबी बत्रा ने कहा कि मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ चार्जशीट फाइल हो गई और फैसला नहीं आया है तो चलो वहां तो हम मान लेते हैं कि मामला सब-जुडिस है और चर्चा नहीं करेंगे, लेकिन यहां तो ऐसा नहीं है। लेकिन सरकार किसी भी हालत में नूंह हिंसा पर चर्चा के लिए तैयार नहीं थी। सदन में एक बार फिर भारी हंगामे की स्थिति थी। यह देखा गया कि सीएम भी अपने विधायकों की तरफ शोर करने का इशारा कर रहे थे। अंतत: स्पीकर ने एक बार फिर लंच तक के लिए सदन को स्थगित कर दिया।
इससे पहले मानसून सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विश्व एथलेटिक चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाने पर एथलीट नीरज चोपड़ा को बधाई दी। इसके बाद जूनियर महिला कोच के साथ सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपों से घिरे संदीप सिंह के इस्तीफे को लेकर सदन में विपक्षी विधायकों ने हंगामा कर दिया। स्पीकर के चेतावनी देने के बावजूद कांग्रेस के कुछ विधायक वेल तक पहुंच गए। कांग्रेस की महिला विधायक गीता भुक्कल और शंकुतला खटक इस पर अधिक आक्रामक थीं। विपक्ष के विधायक मंत्री संदीप सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता इस पर भी मामला सब-जुडिस होने का तर्क दे रहे थे। विपक्ष के विधायकों ने बीजेपी हटाओ और मुर्दाबाद के भी नारे लगाए। बीजेपी के विधायक भी संदीप के समर्थन में खड़े हो गए। संदीप सिंह भी उस वक्त सदन में मौजूद थे। हुड्डा ने मांग की कि संदीप सिंह नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें या सीएम उनसे इस्तीफा लें। इस पर सीएम ने कहा कि विपक्ष के लोग उन्हें कोई एक्शन लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। हुड्डा और सीएम के बीच इस विषय पर काफी बहस भी हुई। सीएम कहने लगे कि मैंने बोलना शुरू किया तो धज्जियां उड़ जाएंगी। इस पर हुड्डा ने कहा कि सीएम की यह लोकतांत्रिक भाषा नहीं है। विपक्ष के गंभीर आपत्ति जताने पर स्पीकर ने कहा कि यदि धज्जियां शब्द हमारी अलोकतांत्रिक शब्दों की सूची में होगा तो इसे डिलीट कर दिया जाएगा। सदन में इस दौरान भी हंगामे की स्थिति थी। कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि उस महिला कोच को तो नौकरी से भी संस्पेंड कर दिया गया है और मंत्री संदीप सिंह को प्रोटेक्ट किया जा रहा है। इस दौरान सदन ने एक फिर सीएम का वह रूप देखा, जो पिछले सत्र में दिखा था। संदीप सिंह के इस्तीफा मांगने पर पिछले सत्र में मुख्यमंत्री ने तीन बार कहा था कि संदीप सिंह का इस्तीफा नहीं लेंगे...नहीं लेंगे...नहीं लेंगे। आज फिर सीएम उसी अंदाज में बोले कि इस्तीफा नहीं लिया जाएगा...नहीं लिया जाएगा...नहीं लिया जाएगा। सीएम को इस तरह देखकर सभी हैरान थे। सीएम की इस भाषा पर कांग्रेस विधायक एक बार फिर बिफर गए। कांग्रेस विधायकों ने कहा कि सदन में बात कहने से रोक कर उनका गला घोंटा जा रहा है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia