शिवाजी पर महाराष्ट्र राज्यपाल की टिप्पणी पर लोकसभा में बवाल, शिवसेना के दोनों गुट के सांसद आए एक साथ
शिवसेना गुटों के हंगामे के कारण सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का भाषण सुनाई नहीं दिया, जो चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठा रहे थे। हंगामे के जारी रहने पर अध्यक्ष पद पर मौजूद राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के छत्रपति शिवाजी को पुराने जमाने का प्रतीक बताने वाले बयान के खिलाफ आज लोकसभा में शिवसेना के दोनों गुटों ने जमकर हंगामा किया। इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के सांसद और एनसीपी के सदस्य एक साथ नजर आए।
गुरुवार को निचले सदन में जैसे ही शून्यकाल शुरू हुआ, शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के सांसद खड़े हो गए और छत्रपति शिवाजी के नारे लगाने लगे। उन्हें विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए एनसीपी सांसदों को इशारा करते देखा गया। इशारे पाते ही वह भी उनके साथ शामिल हो गए। धीरे-धीरे शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के सांसद भी खड़े हुए और जय भवानी और छत्रपति शिवाजी महाराज की जय के नारे लगाते देखे गए।
औरंगाबाद से एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील भी विरोध में खड़े नजर आए, जबकि अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने अपनी सीट पर बैठकर विरोध का समर्थन किया।
महाराष्ट्र के पड़ोसी इलाकों से कर्नाटक के कुछ बीजेपी सांसद भी अपनी सीटों के पास मराठी बोलते हुए खड़े देखे गए।
रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से शिवसेना के ठाकरे गुट के सांसद, विनायक राउत ने कोश्यारी की (उनका नाम लिए बिना) शिवाजी पर टिप्पणी पर आपत्ति जताई। उनके विचारों को एनसीपी के शिरूर सांसद अमोल कोल्हे ने प्रतिध्वनित किया, जिन्होंने कहा कि शिवाजी महाराष्ट्र के लोगों के लिए भगवान की तरह थे। बाद में अरविंद सावंत के नेतृत्व में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद सदन के बीच में आ गए और शिवाजी के नारे लगाने लगे।
हंगामे के कारण सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का भाषण सुनाई नहीं दिया, जो चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठा रहे थे। हंगामे के जारी रहने पर अध्यक्ष पद पर मौजूद राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। महाराष्ट्र में पिछले कई हफ्तों से कोश्यारी के हालिया बयान कि 'छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने समय के प्रतीक थे' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है।
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