सवर्ण आरक्षण: नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से मांगा जवाब, सभी याचिकाओं पर एक साथ होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर केन्द्र से शुक्रवार को जवाब मांगा है।
सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मोदी सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली एक नयी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। हालांकि सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने आरक्षण के इस फैसले पर तत्काल स्टे लगाने से इनकार कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट इस तरह की सभी पुरानी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले इसी प्रकार की याचिकाओं पर मोदी सरकार को नोटिस जारी कर चुका है।
कोर्ट ने तहसीन पूनावाला की ओर से दाखिल नयी याचिका को लंबित याचिकाओं में जोड़ने का आदेश दिया। पूनावाला की ओर से दाखिल नयी याचिका में विधेयक को रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया है कि आरक्षण के लिए पिछड़ेपन को केवल आर्थिक स्थिति से परिभाषित नहीं किया जा सकता। सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं ‘जनहित अभियान’ और एनजीओ ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ सहित अनेक पक्षकारों ने दाखिल की हैं।
यूथ फॉर इक्वालिटी नाम के एनजीओ ने 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सवर्ण आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि यह आरक्षण संशोधन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तय किए गए 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन करता है। ऐसे में इस आरक्षण को इजाजत नहीं दी जा सकती है। याचिका में सवर्ण आरक्षण को रद्द किए जाने की मांग की गई थी।
एनजीओं ने अपनी याचिका में ये दलीलें दी हैं:
- सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर रोक के फैसले का उल्लंघन है
- आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता
- संसद ने 103वें संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल पास किया
- इसमें आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान है
- ये समानता के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है
- आरक्षण के दायरे में उन प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं को शामिल किया गया है, जिन्हें सरकार से अनुदान नहीं मिलता, ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है
बता दें कि सवर्ण आरक्षण बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सरकारी नौकरियों और शैक्षाणिक संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। कुछ राज्यों ने इसे लागू भी कर दिया है।
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Published: 08 Feb 2019, 3:32 PM