UP: सवालों के घेरे में योगी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था! महाराजगंज में भ्रूण को मुंह में दबाकर ले जाते दिखा कुत्ता

अब महाराजगंज से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। महाराजगंज जिला अस्पताल में एक कुत्ता अपने मुंह में मानव के मृत भ्रूण को ले जाता दिखा। इस घटना के बाद से ही योगी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर से सवाल उठने लगे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिला अस्पताल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक कुत्ता अपने मुंह में मानव के मृत भ्रूण को ले जा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. एके द्विवेदी ने तीन सफाई कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और एक ऑन-ड्यूटी नर्स और डॉक्टर सहित अस्पताल के छह कर्मचारियों को नोटिस दिया है। घटना की जांच भी शुरू कर दी गई है।

जानिए क्या है पूरा मामला


खबरों के मुताबिक, अस्पताल की गैलरी में मौजूद लोगों ने कुत्ते को देखा। शिकायत के बाद अस्पताल के कर्मचारियों ने तुरंत कुत्ते को पकड़ लिया और भ्रूण को बरामद कर लिया। अस्पताल प्रमुख ने कहा कि मृत पैदा हुए दो बच्चों का जन्म उसी दिन हुआ था और दोनों बच्चों के शव उनके परिजनों को दे दिए गए थे। कथित तौर पर परिवार एक शव को लेने के लिए अनिच्छुक था और उसे कूड़ेदान के पास छोड़ दिया, जिसे कुत्ते ने उठा लिया था।


फिरोजाबाद में भी मानवीय संवेदनाएं हुई थी तार-तार

इससे पहले फिरोजाबाद में मानवीय संवेदनाएं तार-तार करने वाली घटना सामने आई थी। जब एचआईवी पॉजिटिव प्रसूता 6 घंटे से ज्यादा स्ट्रेचर पर प्रसव पीड़ा से कराहती रही। मगर, स्टाफ ने प्रसव कराना तो दूर छह घंटों तक उसको छूआ तक नहीं।

इतना ही नहीं 20 वर्षीय एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला को डॉक्टरों द्वारा इलाज करने से मना कर दिया गया था। प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसकी कुछ घंटो बाद ही मौत हो गई थी। हालांकि इस मामले में बवाल बढ़ता देख फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ संगीता अनेजा ने कहा था, 'महिला के परिवार से मिली शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दे दिए गए थे।'

चूड़ी बनाने के उद्योग में काम करने वाली महिला के पिता ने कहा था, निजी अस्पताल सामान्य प्रसव के लिए 20 हजार रुपये मांग रहा था। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) के जिला क्षेत्र अधिकारी से परामर्श करने के बाद मैं अपनी बेटी को मेडिकल कॉलेज ले गया, जहां वह एक स्ट्रेचर पर लेटी रही और छह घंटे तक दर्द से कराहती रही। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कोई डॉक्टर उसकी मदद के लिए नहीं आया।'

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