यूपी: ‘करोड़पति फर्जीवाड़े’ के खेल में कई और हो सकती हैं ‘अनामिका’, जांच हुए तो होंगे चौंकाने वाले खुलासे

अनामिका को शनिवार को कासगंज जिले से गिरफ्तार किया गया था जब वह बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अंजलि अग्रवाल द्वारा कारण बताओ नोटिस भेजे जाने के बाद अपना इस्तीफा सौंपने गई थीं।

फोटो: सोशल मीडिया
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आईएएनएस

अनामिका शुक्ला से लेकर अनामिका सिंह और आखिरकार प्रिया। यह प्राथमिक विद्यालय की वह शिक्षिका है, जो एक साथ 25 स्कूलों में पढ़ाती हुई पकड़ी गई है और इस काम के लिए वह अपनी अलग-अलग पहचान भी बनाई हुई थी। अनामिका को शनिवार को कासगंज जिले से गिरफ्तार किया गया था जब वह बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अंजलि अग्रवाल द्वारा कारण बताओ नोटिस भेजे जाने के बाद अपना इस्तीफा सौंपने गई थीं। अग्रवाल ने पुलिस को सूचित किया और अनामिका को गिरफ्तार कर लिया गया।

कासगंज बीएसए के मुताबिक, मूल रूप से फरुखाबाद के कायमगंज की रहने वाली अनामिका शुक्ला वर्तमान में गोंडा के रघुकुल डिग्री कॉलेज से बीएड कर रही हैं। उसके अन्य दस्तावेज भी उसी कॉलेज के हैं।पूछताछ के दौरान अनामिका शुक्ला ने कहा कि वह वास्तव में अनामिका सिंह ही है, लेकिन जैसे-जैसे बात और सवाल-जवाब की प्रक्रिया आगे बढ़ती गई, तब पता चला कि वह प्रिया है, जो फरुर्खाबाद से है। उसे आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना), 467 (मूल्यवान मूल्यवान प्रतिभूति को बनाने या हस्तांतरण की कूटरचना) और 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य के लिए जालसाजी) के तहत हिरासत में लिया गया है।


पुलिस के अनुसार, महिला ने दावा किया है कि उसने यह नौकरी पाने के लिए मैनपुरी के एक व्यक्ति को पांच लाख रुपये का भुगतान किया था। उसने नौकरी पाने के लिए अनामिका शुक्ला के पहचान पत्र का इस्तेमाल किया, जबकि उसका असली नाम प्रिया है, जो फरुर्खाबाद जिले में कायमगंज पुलिस सर्कल के लखनपुर गांव के रहने वाले महिपाल की बेटी है।

सोरों स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) रिपुदमन सिंह ने कहा, “पूछताछ के दौरान आरोपी ने शुरूआत में सुभास सिंह की बेटी अनामिका सिंह होने का दावा किया। हालांकि उसके दस्तावेज सुभाष चंद्र शुक्ला की बेटी अनामिका शुक्ला के नाम पर हैं।” आरोपी ने दावा किया है कि उसने नौकरी के लिए मैनपुरी के रहने वाले राज को मोटी रकम का भुगतान किया था और अगस्त 2018 से फरीदपुर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में कार्यरत थी। पुलिस अब उस आदमी की तलाश कर रही है, जिसने उसे नौकरी दी थी।


पुलिस का यह भी मानना है कि यह हो सकता है कि ऐसे और भी कई उम्मीदवार हो, जो अनामिका शुक्ला की पहचान और योग्यता का इस्तेमाल करते हो - हालांकि वास्तविक अनामिका के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, अंबेडकर नगर, बागपत, अलीगढ़, सहारनपुर और प्रयागराज जिलों में पांच और अनामिका शुक्ला को केजीबीवी में काम करते हुए पाया गया है। कथित तौर पर उसने पिछले एक साल में करीब एक करोड़ रुपये का संयुक्त वेतन निकाला है।

केजीबीवी में शिक्षक अनुबंध पर नियुक्त किए जाते हैं और उन्हें प्रति माह लगभग 30,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में एक कस्तूरबा गांधी विद्यालय है, जो समाज के कमजोर वर्गों से ताल्लुक रखने वाली लड़कियों के लिए एक आवासीय शिक्षण संस्थान हसे

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