यूपी: 14 बच्चों की मौत से भी नहीं जागी योगी सरकार, अब हरदोई अस्पताल में मरीजों के बीच नजर आए कुत्ते
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिला अस्पताल के वार्डों में मरीजों के बीच कुत्तों के आराम फरमाने का नजारा यहां आम है। अस्पताल में कुत्तों के साम्राज्य से यहां इलाज कराने आने वाले मरीज काफी परेशान हैं।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के सीतापुर में आवार कुत्तों के काटने से 14 बच्चों की मौत की खबरें आयी थीं। उसके बाद अलीगढ़ के जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए आए एक लाश को आवारा कुत्ते के द्वारा नोंचने का वीडियो वायरल हुआ था। इन घटनाओं पर स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुयी थी, जिसके बाद सरकार की तरफ से डैमेज कंट्रोल के लिये बड़े-बड़े बयान दिये गये थे। लेकिन लगता है कि सीतापुर के 14 बच्चों की मौत के बाद भी राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की नींद नहीं खुली है।
सीतापुर और अलीगढ़ की घटना को लेकर योगी सरकार कितनी गंभीर हुयी है, इसकी बानगी हरदोई के जिला अस्पताल के वार्डों में देखने को मिलती है। यहां के अस्पताल के वार्डों में मरीजों के बीच आवारा कुत्तों को आराम फरमाते और टहलते देखा जा सकता है। अस्पताल की हालत ये है कि डॉक्टर भी इन्हीं कुत्तों के बीच मरीजों का इलाज करते हैं। अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों के परीजनों का कहना है कि कई बार अस्पताल में कुत्तों के आतंक की शिकायत करने के बावजूद अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, शनिवार को अस्पताल के वार्ड में आराम से बैठे कुत्तों की तस्वीरें मीडिया में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसकी जांच कराने की बात कही है।
अस्पताल में भर्ती मरीजों का कहना है कि अक्सर आवारा कुत्ते वॉर्ड में आकर बैठ जाते हैं, जिसकी वजह से वहां भर्ती मरीजों और उनके परिवार वालों के बीच डर बना रहता है। मरीजों ने आरोप लगाया कि कई बार अस्पताल के अधिकारियों से भी इसकी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
दूसरी तरफ, जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने कहा कि इस मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मामला सामने आने के बाद अस्पताल में वॉर्ड की निगरानी के लिए कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जिससे कि आगे ऐसी घटना न हो सके।
लोगों के बीच नरभक्षी कुत्तों का डर होना लाजिमी है। कुछ दिनों पहले सीतापुर में नरभक्षी कुत्तों के आंतक के बाद हरदोई में भी आदमखोर कुत्ते ने एक मासूम बच्ची को शिकार बनाया था। इस कुत्ते ने मासूम बच्ची को इतनी बुरी तरह काटा था कि बच्ची के चेहरे पर 11 टांके लगाने पड़े थे।
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इतना ही नहीं अलीगढ़ में तो कुत्तों के आतंक के बीच इंसानियत को भी शर्मसार करने वाली घटना सामने आयी थी। पिछले महीने जिले के सरकारी अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के मुर्दाघर के बाहर रखे एक शव को एक आवारा कुत्ते के द्वारा नोंचने का मामला सामने आया था। इन घटनाओं ने राज्य में आवारा कुत्तों के बढ़ रहे आतंक के साथ ही प्रशासन की लापरवाही और असंवेदनशीलता की भी पोल खोलकर रख दी है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 2 करोड़ आवारा कुत्ते हैं। ये कुत्ते हर साल लगभग 1.7 करोड़ लोगों को काटते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 20 हजार लोग रेबीज की वजह से मर जाते हैं। ऐसे में अगर जल्द ही उत्तर प्रदेश की सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाती है तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह हो सकती है।
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