वाह री यूपी पुलिस....जो जूता कांड पूरी दुनिया ने देखा था, पुलिस को नहीं मिले उसके कोई सबूत और गवाह, मामला खत्म

उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में आज से करीब 9 महीने पहले सांसद शरद त्रिपाठी द्वारा विधायक पर किया गया जो जूताकांड पूरी दुनिया ने देखा उस मामले में पुलिस को एक भी गवाह नहीं मिला है। नतीजा ये रहा कि अब कोर्ट ने पुलिस की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामले को खत्म कर दिया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

तारीख 6 मार्च साल 2019 और जगह थी देश के सबसे बड़े राज्य (जहां के मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं) उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर। जहां कलेक्ट्रेट सभागार में विकास कार्यों के लिए आयोजित की गई बैठक में तत्कालीन सांसद शरद त्रिपाठी ने अपने ही दल के विधायक राकेश सिंह बघेल पर जूते की बरसात कर दी। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर एक साल पुरानी खबर आपको हम दोबारा क्यों बता रहे हैं। तो सुनिए खबर भले ही पुरानी है लेकिन इसमें हाल ही में आया फैसला नया है। जी हां जिस 'सर्जिकल स्ट्राइक' को देश ने ही नहीं बल्कि दुनिया ने देखा था वो मामला अब खत्म हो गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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हैरानी की बात ये है कि इस मामले में पुलिस को एक भी गवाह नहीं मिला। नतीजा, पुलिस को फाइनल रिपोर्ट लगानी पड़ी। अब हाईकोर्ट ने भी पुलिस की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामले पर पूर्ण विराम लगा दिया है। आपको बता दें, संतकबीर नगर से पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी और मेहदावल से बीजेपी विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच कलेक्ट्रेट सभागार में हो रही बैठक के दौरान कहासुनी हो गई थी। इसके बाद नाराज सांसद ने अपने ही पार्टी के विधायक की ताबड़तोड़ जूतों से पिटाई कर दी थी। जिसके बाद वायरल वीडियो देश की प्रमुख खबर बनी थी। बीजेपी के अंदर ब्राह्मण-ठाकुर सियासत को केन्द्र बनाते हुए सियासी भूचाल आ गया था। शरद त्रिपाठी का टिकट काटा गया।

मुआवजे में उनके पिता डॉ.रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया से लोकसभा का टिकट दिया गया। वे जीत भी गए। लेकिन कानून की नजर में सियासी भूचाल लाने वाला ‘जूताकांड’ खत्म हो गया है। जूता कांड में पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी और भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। लंबी जद्दोजहद के बाद का हाईकोर्ट ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामले को खत्म कर दिया है। वहीं दोनों नेताओं के विरुद्ध जारी वारंट भी निरस्त कर दिया है। आपको बता दें, दो साल पहले संतकबीर नगर कलेक्ट्रेट में हुए जूताकांड के बाद कलेक्ट्रेट सदर नाजिर सैयद नफीसउल हसन ने तत्कालीन सांसद, मेंहदावल विधायक तथा कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। मामले में पुलिस द्वारा विवेचना के बाद अंतिम रिपोर्ट लगाई गई थी। पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में मामले को खत्म करने की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया था।

पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि घटना के दिन कलेक्ट्रेट का सीसीटीवी खराब था। जिससे फुटेज नहीं मिला। जिसे विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए दीपकांत मणि ने अस्वीकार करते हुए अग्रिम विवेचना कराए जाने का आदेश दिया। अग्रिम विवेचना में भी पुलिस द्वारा कोई साक्ष्य न पाए जाने पर न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दोबारा भेजी गई। विशेष न्यायाधीश ने पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट को दूसरी बार भी अस्वीकार कर दिया था। और अपनी टिप्पणी के साथ तत्कालीन सांसद शरद त्रिपाठी व मेंहदावल के विधायक राकेश सिंह बघेल को तलब कर लिया। सांसद और विधायक के प्रस्तुत न होने पर न्यायालय ने दोनों नेताओं के विरुद्ध गैर जमानती वारंट भी जारी किया। इसके बाद दोनों नेता हाईकोर्ट में पहुंच गए।

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उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम आदेश तक स्टे कर दिया गया था। उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अंतिम बहस के बाद न्यायाधीश ने विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए दीप कांत मणि द्वारा दोनों नेताओं को तलब किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। विधायक राकेश सिंह बघेल के अधिवक्ता रवीश श्रीवास्तव ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश में दोनों नेताओं के विरुद्ध हुए तलबी आदेश को निरस्त कर दिया गया है। पुलिस द्वारा लगाये गए अंतिम रिपोर्ट स्वीकार कर लिया गया है।

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