यूपी ईपीएफ घोटाला: गिरफ्तारी पर प्रियंका बोलीं- छोटी मछलियों को अरेस्ट कर न भटकाएं ध्यान, असली दोषियों को पकड़ें
प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जिंदगी भर की कमाई बीजेपी सरकार में डीएचएफएल में निवेश करके फंसा दी। चुनाव के दौरान मुझे तमाम सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर नई पेंशन स्कीम को लेकर अपनी चिंता बताई थी।
उतर प्रदेश में हुए ईपीएफ घोटाले में दो अधिकारियों की गिरफ्तारी पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि छोटी मछलियों को पकड़कर ध्यान भटकाने से नहीं, असली गुनाहगारों को सामने लाना होगा।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, “पैसा कर्मचारियों का और संदिग्ध जगह निवेश का फैसला सरकार का। गुनाहगार कौन? जिस व्यक्ति ने ईमानदारी से अपनी जिंदगी भर की कमाई आपके हाथों में भरोसे से डाली उसके लिए आपका क्या जवाब है? और कितने विभागों के कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई ऐसी संदिग्ध कंपनियों में लगाई गई है?”
उन्होंने आगे लिखा, “उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जिंदगी भर की कमाई बीजेपी सरकार में डीएचएफएल में निवेश करके फंसा दी। चुनाव के दौरान मुझे तमाम सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर नई पेंशन स्कीम को लेकर अपनी चिंता बताई थी। आज उनके शक जायज साबित हो रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) घोटाले में एक प्राथमिकी दर्ज कर दो पूर्व अधिकारियों को शनिवार शाम को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार के गए दोनों अधिकारी ईपीएफ की धनराशि को निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फायनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंसाने के आरोपी हैं। इस कंपनी का संबंध माफिया डान दाऊद इब्राहिम के सहयोगी मृत इकबाल मिर्ची से है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कार्रवाई इस घोटाले से संबंधित जारी एक रिपोर्ट के बाद की है।
गिरफ्तार अधिकारियों की पहचान पॉवर सेक्टर इम्प्लाईस ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और उप्र विद्युत निगम के तत्कालीन निदेशक (फायनेंस) सुधांशु द्विवेदी के रूप में हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित की जाएगी। हालांकि तब तक यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) मामले की जांच जारी रखेगी।
प्राथमिकी के मुताबिक, पुलिस द्वारा गिरफ्तार दोनों अधिकारियों ने डीएचएफएल को निधि हस्तांतरित करने से पहले सरकार के शीर्ष अधिकारियों से लिखित अनुमति नहीं ली थी। डीएचएफएल के प्रमोटरों कपिल वधावन और धीरज वधावन से हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ की थी। उनकी कंपनियों का संबंध दाऊद गिरोह से होने का आरोप है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार के स्वामित्व वाले यूपी पॉवर सेक्टर इम्प्लाईस ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई वित्तीय अनियिमितता को गंभीरता से लिया है, जिसने ट्रस्ट के 2631 करोड़ रुपये को एक विवादास्पद कंपनी के साथ निवेश करते समय नियमों का उल्लंघन किया।
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Published: 03 Nov 2019, 11:31 AM