आखिर लखनऊ से उम्मीदवारों का ऐलान क्यों नहीं कर पा रही बीजेपी, 4 मंत्री और एक डिप्टी सीएम का क्या कटेगा टिकट!
उत्तर प्रदेश के सियासी हालात पर नजर रखकर विश्लेषण करने वालों का कहना है कि कुछ कद्दावर नेताओं के मूड और पार्टी में जारी उठापटक के चलते बीजेपी आलाकमान ने राजधानी लखनऊ के पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सभी 9 विधानसभा सीटों पर चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है। नामांकन भरने का काम शुरु हो चुका है। शुक्रवार को बीजेपी ने 91 उम्मीदवारों की नई सूची जारी की, लेकिन इसमें लखनऊ की किसी भी सीट से प्रत्याशी का नाम नहीं है। आखिर क्यों? क्या कारण यह है कि लखनऊ की 9 में से 8 सीटों से बीजेपी विधायक हैं जिनमें से एक डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और 4 मंत्री हैं?
राजधानी से बीजेपी के उम्मीदवारों के नामों का ऐलनान न होने को लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। जिस तरह बीजेपी की हर लिस्ट में 20 से 25 फीसदी विधायकों के टिकट कट रहे हैं, उनमें चर्चा यह भी है कि किसी मंत्री का भी तो पत्ता साफ नहीं हो रहा है। यह भी सरगोशियां हैं कि किसी सांसद की प्रतिष्ठा भी दांव पर वगी है, तो कहीं बातें हो रही हैं कि पार्टी का कोई बड़ा नेता अपने ही दम पर मैदान में उतरने की तैयारी में है।
सियासी हालात पर नजर रखकर विश्लेषण करने वालों का कहना है कि कुछ कद्दावर नेताओं के मूड और पार्टी में जारी उठापटक के चलते बीजेपी आलाकमान ने राजधानी के पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं।
याद दिला दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 9 में से 8 सीटें जीती थीं। इनमें से चार विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। जिन्हें मंत्री पद मिला था उनमें लखनऊ कैंट से रीता बहुगुणा जोशी, सरोजनी नगर से स्वाति सिंह, लखनऊ ईस्ट से आशुतोष टंडन गोपाल जी और लखनऊ सेंट्रल से बृजेश पाठक शामिल थे। इसके अलावा लखनऊ के मेयर रहे दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया। इतना ही नहीं लखनऊ के ही रहने वाले विधान परिषद सदस्य डॉ महेंद्र सिंह को भी मंत्री पद मिला। इस तरह प्रदेश की राजधानी से 5 मंत्री और एक डिप्टी सीएम सरकार में शामिल हुए। विश्लेषकों का कहना है कि यही हाई फाई पोर्टफोलियो अब टिकट बंटवारे में बीजेपी आलाकमान के लिए असमंजस का कारण बने हुए हैं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक एक चर्चा यह है कि आशुतोष टंडन और बृजेश पाठक की सीटों को बदला जाए। दोनों ही पार्टी के कद्दावर नेता हैं ऐसे में सारे समीकरण एकदम दुरुस्त करने के बाद ही पार्टी कोई अंतिम निर्णय लेगी। दूसरी चर्चा यह है कि सरोजनी नगर से विधायक और मंत्री स्वाति सिंह की सीट पर उनके पति और बीजेपी उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की आपस में दावेदारी है। इस सीट को लेकर कोई बड़ा फैसला होने की भी चर्चाएं हैं।
इसके अलावा लखनऊ कैंट सीट का मुद्दा भी फंसा ही हुआ है। 2017 के चुनाव में इस सीट से रीता बहुगुणा जोशी ने जीत हासिल की थी और मंत्री बनी थीं। बाद में वह प्रयागराज से लोकसभा सांसद चुनी गईं। सार्वजनिक तौर पर चर्चा है कि इस सीट से उन्होंने अपने बेटे मयंक जोशी के नाम का दावा रखा है। राजनीतिक हलकों में तो चर्चा यह भी है कि रीता बहुगुणा जोशी यहां तक कह चुकी हैं कि अगर उनके बेटे को टिकट लखनऊ कैंट से मिल जाता है तो वह आगे कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस बात की पुष्टि रीता बहुगुणा जोशी ने खुद कर चुकी हैं।
बीजेपी के नजदीकी एक राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि वीआईपी या बड़ी सीटों पर उम्मीदवार का ऐलान कुछ देर से ही किया जाता है। उनका कहना है कि लखनऊ में एक सीट से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र नीरज सिंह की भी दावेदारी है, वहीं विधानसपरिषद सदस्य और योगी सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह के भी लखनऊ की ही किसी सीट से लड़ने की संभावना है। वहीं हाल में बीजेपी में शामिल हुई मुलायम सिंह यादव की बहु अपर्णा यादव के भी लखनऊ से ही चुनाव लड़ने की चर्चा है, ऐसे में सारा पेंच फंसा हुआ है।
अब बीजेपी काबिल उम्मीदवार को उतारेगी या फिर परिवारवाद को बढ़ावा देगी, दो चार दिन में यह सबके सामने आ ही जाने वाला है।
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