यूपी की 9 विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार समाप्त, 20 नवंबर को पड़ेंगे वोट, BJP-SP में सीधा मुकाबला
अम्बेडकर नगर की कटेहरी, मैनपुरी की करहल, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर नगर की सीसामऊ, अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट के उपचुनावों में कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं।
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार सोमवार शाम 6 बजे थम गया। इन सभी सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा। इस उपचुनाव में वैसे तो बीएसपी, चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम), ओवैसी की एआईएमआईएम, आरएलडी ने भी उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है। कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है और सपा का समर्थन कर रही है।
उपचुनाव के प्रचार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक समेत सत्तारूढ़ बीजेपी के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी उम्मीदवारों के लिए व्यापक प्रचार किया। वहीं, विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव और मैनपुरी से पार्टी की सांसद डिंपल यादव समेत वरिष्ठ नेताओं ने अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की ओर से पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। कांग्रेस ने उपचुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं और सपा को समर्थन दिया है।
अम्बेडकर नगर में कटेहरी, मैनपुरी में करहल, मुजफ्फरनगर में मीरापुर, गाजियाबाद, मिर्जापुर में मझवां, कानपुर नगर में सीसामऊ, अलीगढ़ में खैर, प्रयागराज में फूलपुर और मुरादाबाद में कुंदरकी सीट के उपचुनावों में कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं। सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। वहीं, सबसे कम पांच-पांच उम्मीदवार खैर (सुरक्षित) और सीसामऊ सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सीट पर आगामी 20 नवंबर को मतदान होगा। मतों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी।
प्रचार के आखिरी दिन यानी सोमवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी, सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे।
प्रदेश में जिन नौ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से आठ के विधायकों ने इस साल आम चुनाव में लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था जबकि सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने की वजह से खाली हुई है।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी सीट पर सपा ने जीत हासिल की थी जबकि बीजेपी ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर पर जीत हासिल की थी। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोक दल के पास थी, जो अब बीजेपी की सहयोगी है। कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है और ‘इंडिया’ गठबंधन की अपनी सहयोगी सपा का समर्थन कर रही है। बहुजन समाज पार्टी अपने दम पर सभी नौ सीट पर चुनाव लड़ रही है। ओवैसी की एआईएमआईएम ने गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सीसामऊ को छोड़कर सभी सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान 10 नवंबर को समाजवादी पार्टी के नारे 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की नई परिभाषा देते हुए इसे 'दंगाइयों और अपराधियों का प्रोडक्शन हाउस' करार दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि इस प्रोडक्शन हाउस के 'सीईओ' अखिलेश यादव और इसके 'ट्रेनर' शिवपाल यादव हैं, जबकि सभी अपराधी पार्टी में 'बिजनेस पार्टनर' हैं।
इस पर पलटवार करते हुए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने किसानों को खाद की आपूर्ति पर सरकार से जवाब मांगते हुए उस पर जमकर निशाना साधा। कटेहरी में रविवार को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीट पर उपचुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की कुर्सी छीन ली जाएगी। अखिलेश ने यह भी आरोप लगाया, “आदित्यनाथ 'समाज में नफरत फैला रहे हैं। उनकी अपनी पार्टी के लोग उन्हें हटाने के लिए उनकी (योगी आदित्यनाथ की) कुर्सी तक 'सुरंग' खोद रहे हैं।”
इस बीच, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' के नारे के बारे में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को इसे एकता का आह्वान बताया और पूछा कि नारे को लेकर विपक्ष के पेट में दर्द क्यों हो रहा है। आदित्यनाथ द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले इस नारे को लेकर विपक्ष उन पर खासा हमलावर है। सपा और कांग्रेस इसे साम्प्रदायिक बयान बता रही हैं। वहीं दूसरे राज्यों के कई बीजेपी नेता भी योगी के नारे से किनारा करते नजर आए।
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