उन्नाव रेप केस: एसआईटी कर रही सिर्फ मारपीट के आरोपों की जांच, बलात्कार के आरोप पर अब भी कोई कार्रवाई नहीं
उन्नाव रेप केस में उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावा किया है कि वह बिना किसी दबाव के काम कर रही है, लेकिन जिस बीजेपी विधायक पर बलात्कार का आरोप लगा है उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने उन्नाव रेप केस और बलात्कार पीड़िता की हिरासत में मौत की जांच शुरु कर दी है। इस सिलसिले में एसआईटी की टीम ने बुधवार को पीड़िता के गांव जाकर उससे और उसके परिवार वालों से पूछताछ की। लेकिन पूछताछ सिर्फ पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत से संबंधित केस को लेकर ही की गई और इसमें बलात्कार की बात नहीं की गई। पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो चुकी है।
लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्णा की अगुवाई में पहुंची टीम काफी देर पीड़ित परिवार के साथ रही। बाद में एडीजी राजीव कृष्णा ने कहा कि, “हम हर पहलू पर जांच कर रहे हैं। शाम तक राज्य सरकार को अंतरिम रिपोर्ट भेज देंगे।”
उन्होंने कहा कि एसआईटी पर कोई दबाव नहीं है, यह स्वतंत्र रूप से काम कर रही है। एडीजी ने कहा कि पीड़ित परिवार को पूरी सुरक्षा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि परिवार का एक रिश्तेदार दिल्ली में रहता है, अब ये परिवार का फैसला है कि ये सभी यहीं उन्नाव में रहते हैं या दिल्ली में रहना चाहते हैं।
लेकिन बलात्कार पीड़ित ने कहा है कि सुरक्षा के नाम पर उसे बंदी जैसा बनाकर रखा गया है। पीड़िता ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। इससे पहले भी पीड़िता ने कहा था कि उन्नाव जिला प्रशासन ने उसे एक होटल में नजरबंद करके रखा है, जहां उसे किसी से मिलने-जुलने की इजाजत नहीं है और पानी तक को नहीं पूछा जा रहा है।
इस बीच बुधवार को ही कांग्रेस की पूर्व सांसद अन्नू टंडन ने भी पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। उन्होंने पीड़ित परिवार के आरोपों और उसकी जांच की मांग को उचित बताते हुए निष्पक्ष कार्रवाई की मांग उठाई।
उधर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वंय संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 12 अप्रैल को करने का फैसला किया है, साथ ही इस केस के सिलसिले में एक न्याय मित्र (एमिकसक्यूरी) भी नियुक्त किया है।
गौरतलब है कि बलात्कार पीड़िता ने न्याय की गुहार लगाते हुए रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर खुदकुशी करने की कोशिश की थी। उसका आरोप था कि बीजेपी विधायक और उसके साथियों ने उसका बलात्कार किया। शिकायत करने पर उसके पिता की बेरहमी से पिटाई की गई। लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई के बजाय उसके पिता को ही गिरफ्तार कर लिया था। जहां पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम में उसको बेरहमी से पीटने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट में सामने आया था कि पिटाई से उसकी आंत फट गई थी और अंदरूनी खून रिसने के बाद हुए इंफेक्शन से उसकी मौत हुई थी। इसके बाद हड़बड़ाई उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस ने आनन-फानन कार्रवाई करते हुए बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके खिलाफ पहले 323 और 504 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में इसमें हत्या की धारा 302 जोड़ दी गई। इस मामले में चार लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। अतुल सेंगर के पिछले रिकॉर्ड को भी खंगाला जा रहा है। यह भी पता किया जा रहा है कि आखिर पुलिस ने किस दबाव में विधायक के भाई का नाम तहरीर से हटाया था।
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