केंद्रीय मंत्रियों, पत्रकारों और सुप्रीम कोर्ट के जज के फोन की हो रही थी जासूसी, 'पेगासस प्रोजेक्ट' में खुलासा
पेगासस सॉफ्टवेयर से देश के करीब 300 वेरिफाइड मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई। इनमें केंद्र सरकार के मंत्री, बड़े नेता और वकीलों के साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के नाम भी शामिल हैं। साथ ही देश के कम से कम 40 पत्रकारों के नाम इसमें शामिल हैं।
केंद्र के दो मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज और कम से कम 40 पत्रकारों के फोन की जासूसी हुई है। यह दावा कई अखबारों और वेबसाइट के साझा जांच के बाद किया गया है। इनमें वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन समेत 16 मीडिया संस्थान है। भारत में द वायर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश के कम से कम 40 पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक्ड सूची में पाए गए हैं और फोरेंसिक जांच से जिनकी पुष्टि हुई है कि या तो इन नंबरों की जासूसी हुई या इन्हें टारगेट किया गया। इसके लिए इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया।
द वायर ने कहा है कि जिन पत्रकारों के नंबर इस सूची में पाए गए हैं उनमें हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18 और द हिंदू के पत्रकार शामिल हैं।
रिपोर्ट कहती है कि पेगासस सॉफ्टवेयर से देश के करीब 300 वेरिफाइड मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई। इनमें केंद्र सरकार के मंत्री, बड़े नेता और वकीलों के साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के नाम भी शामिल हैं। हालांकि पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ने इन दावों का खंडन किया है। उसका कहना है कि इस हैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सिर्फ अपराधियों और आतंकवादियों के खिलाफ किया जाता है।
उधर केंद्र सरकार ने भी इन दावों को खारिज कर दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि देश में किसी का भी फोन गैरकानूनी रूप से हैक नहीं किया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी चिट्ठी में कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर तयशुदा कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही किसी का फोन टेप करने की इजाजत दी जा सकती है।
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में पिगासस सॉफ्टवेयर का लगातार और बड़े स्तर पर दुरुपयोग होने का दावा किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हैकिंग सॉफ्टवेयर से दुनिया भर में कई सरकारों ने जासूसी कराई, जिनमें 300 से अधिक वेरिफाइड भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं। इन फोन नंबरों का इस्तेमाल, मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, वैज्ञानिकों, विपक्षी नेताओं, व्यापारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत अन्य कर रहे थे। दावा है कि इन नंबरों से संबंधित कुछ फोन की फॉरेंसिक जांच में साफ संकेत मिले कि 37 फोन पिगासस सॉफ्टवेयर के जरिए निशाना बनाए गए। इनमें से 10 भारतीय थे। माना जाता है कि इस्राइली कंपनी एनएसओ ने यह सॉफ्टवेयर दुनिया की 36 सरकारों को बेचा, लेकिन उसने अपने ग्राहकों की पहचान उजागर नहीं की।
इस लीक डाटाबेस को पेरिस के नॉन प्रॉफिट मीडिया 'फॉरबिडेन स्टोरीज' और 'एम्नेस्टी इंटरनेशनल' ने एक्सेस किया। उन्होंने ही यह डाटा अन्य मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया। इस पड़ताल को 'प्रोजेक्ट पिगासस' नाम दिया गया। फॉरबिडेन स्टोरीज के मुताबिक, इस रिपोर्ट में एनएसओ के ग्राहकों द्वारा चुने गए फोन नंबरों के रिकॉर्ड हैं। इस सूची में पहचाने गए अधिकतर फोन नंबर 10 देशों के हैं। इन देशों में भारत, अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
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