एससी-एसटी एक्ट मामले पर आखिर किस सरकार की बात कर रहे हैं राम विलास पासवान!
एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पीएम मोदी से मुलाकात के बाद पासवान ने कहा कि पीएम ने कोई आश्वासन नहीं दिया है। इसके बावजूद उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार का रुख सकारात्मक है।
एससी-एसटी एक्ट पर हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पीएम मोदी से मुलाकात करने के बाद केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने जो कहा, उससे एक बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि आखिर सरकार है कौन?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के फैसले को लेकर 28 मार्च को केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के नेतृत्व में दलित मंत्रियों और सासंदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में पासवान के साथ केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी मौजूद थे। पीएम से मुलाकात के बाद पासवान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “पीएम ये नहीं बताएंगे कि पूनरीक्षण याचिका दाखिल की जाएगी या नहीं। ये काम सरकार का है और जब सरकार कह रही है कि हम इस मामले को देख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि सरकार इसके बारे में सकारात्मक है।”
पासवान के इस बयान से सरकार कौन है, इसको लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। पासवान कहते हैं कि पीएम नहीं बताएंगे कि पूनरीक्षण याचिका दाखिल होगी या नहीं, ये काम सरकार के द्वारा होगा। यहीं पर सवाल खड़ा होता है कि क्या पीएम सरकार में नहीं हैं? क्या पीएम सरकार के बाहर हैं?
इसके बाद पासवान कहते हैं कि जब सरकार कह रही है कि वो इसको देख रही है तो इसका मतलब है कि इसको लेकर सरकार का रुख सकारात्मक है। यहां सवाल उठता है कि जब पीएम मोदी सरकार नहीं हैं, खुद केंद्रीय मंत्री होकर भी पासवान सरकार में नहीं हैं तो आखिर वो सरकार है कौन और कहां है?
यही नहीं दलित मंत्रियों और सांसदों का प्रतिनिधिमंडल लेकर पीएम से पासवान के मुलाकात को लेकर भी सवाल खड़े होते हैं कि पासवान इस सरकार में हैं भी या नहीं। पासवान के नेतृत्व में पीएम मोदी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, जुआल ओरांव, अर्जुन मेघवाल समेत कई सांसद शामिल थे। यहां सवाल उठता है कि जब पासवान,अठावले, ओरांव और मेघवाल खुद कैबिनेट मंत्री हैं और इस नाते इस सरकार का हिस्सा हैं, तो फिर आखिर वे किस सरकार से एससी-एसटी एक्ट पर मांग करने गए थे।
पासवान और अठावले खुद मंत्री हैं, कायदे से उन्हें इस मुद्दे को मंत्रिमंडल में उठाना चाहिए था। उन्हें एक मंत्री की हैसियत से कैबिनेट की बैठक में ये मुद्दा रखना चाहिए था, क्योंकि वे खुद सरकार में हैं। इस तरह किसी मुद्दे पर प्रतिनिधिमंडल लेकर पीएम से मुलाकात कर सरकार के कार्यक्षेत्र से संबंधित कोई मांग करना विपक्ष का काम होता है, ना कि सरकार के मंत्री का। इसके अलावा पासवान को पता होना चाहिए कि पीएम अपनी सरकार का मुखिया होता है, सभी मंत्रियों और विभागों की जिम्मेदारी उसी पर होती है। ऐसे में उनका ये कहना कि ये पीएम का काम नहीं है, उन्हें हास्यास्पद स्थिति में ले आता है। और ये सवाल भी खड़े करता है कि इतने सालों से केंद्र की सरकारों में मंत्री रहने वाले पासवान को क्या पीएम के बारे में ये बात पहले से नहीं पता थी, जो वे मुलाकात के बाद अब कह रहे हैं।
दरअसल पासवान के बयान से मोदी सरकार को लेकर दो बातें बिल्कुल स्पष्ट हो जाती हैं। पहली ये कि इस सरकार में कौन क्या है, किसका क्या कार्यक्षेत्र और अधिकार है, ये किसी को नहीं मालूम। दूसरी बात ये कि एससी-एसटी एक्ट को लेकर इस सरकार का रुख बिल्कुल गुमराह करने वाला और टालने वाला है। दरअसल ये सरकार खासकर बीजेपी भी यही चाहती रही है, क्योंकि खुद इसका पितृ संगठन इसी विचार का समर्थन करता रहा है।
पासवान के बयान से जो सबसे अहम बात साफ हो जाती है, वो ये कि बीजेपी की अगुवाई वाली इस एनडीए सरकार में घटक दलों की एक नहीं चलती। यही नहीं किसी मुद्दे पर उन्हें भी किसी आम आदमी की जिंदगी की तरह इस टेबल से उस टेबल, इस दरवाजे से उस दरवाजे तक चक्कर कटवाया जाता है, फिर भी कहीं से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलता।
अब आज की मुलाकात के बाद पासवान को एक और प्रतिनिधिमंडल के साथ पीएम से मुलाकात करनी चाहिए और उनसे ये पता करना चाहिए कि इस देश में आखिर सरकार है कौन?
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia