बिहार के अपराध पर कश्मीर के राज्यपाल का यू-टर्नः पहले कहा बिहार में अपराध का बोलबाला, अब कर रहे हैं तारीफ

बिहार में लगातार बढ़ रही अपराध की घटनाओं के बीच राज्य के पूर्व और जम्मू-कश्मीर के वर्तमान गवर्नर सत्यपाल मलिक ने यू-टर्न की हद पार कर दी है। कुछ दिन पहले बिहार को अपराध में आगे बताने वाले मलिक ने कहा है कि नीतीश के आने के बाद बिहार में अपराध खत्म हो गया।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार के राज्यपाल रह चुके जम्मू-कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तारीफ में जमकर कसीदे गढ़े हैं। उन्होंने बिहार की सड़कों पर रोज बहते खूनों को नजरअंदाज करते हुए पीड़ितों के जख्म पर नमक मलते हुए कहा है कि नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद बिहार में अपराध लगभग खत्म हो गया है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि नेताओं को राजनीति में ईमानदारी और नैतिकता नीतीश कुमार से सीखनी चाहिए।

सत्यपाल मलिक का ये बयान ऐसे समय आया है, जब बिहार में बेलगाम हो रहे अपराध को लेकर नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल खड़े होने लगे हैं। बिहार के लोग इसे जंगलराज की वापसी करार दे रहे हैं। ये सवाल उठने लाजिमी भी हैं क्योंकि पिछले दो महीनों में राज्य में कई हाई प्रोफाईल लोगों समेत अनगिनत हत्याएं हुई हैं। इसके अलावा कई डकैती की घटनाएं भी हुई हैं। राजधानी पटना से लेकर दूरदराज के गांव में हत्या, अपहरण और डकैती की घटनाएं जैसे रूटीन बन गई हैं।

हाल ही में 9 जनवरी को लखीसराय में कानून-व्यवस्था को धत्ता बताते हुए 15 नकाबपोश अपराधियों ने चलती ट्रेन में बंदूक की नोक पर करीब 200 यात्रियों से लूटपाट की। इस दौरान विरोध करने पर उनके साथ मारपीट भी की गई। यह कोई पहली घटना नहीं है जिस पर हाय तौब्बा मचा हुआ है। आंकड़ों को देखें तो पिछले महीने बेलगाम अपराधी कई हत्याओं को अंजाम दे चुके हैं। अब सिलसिलेवार बात करते हैं पिछले दिनों राज्य में हुई हत्याओं और अपराध की घटनाओं की।

3 जनवरी: समस्तीपुर जिले के सरायरंजन थाना इलाके में बदमाशों ने घर में घुसकर भारतीय जीवन बीमा निगम के एक एजेंट की गोली मारकर हत्या कर दी थी और मौके से फरार हो गए थे। हत्या के कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है।

2 जनवरी: नालंदा के दीपनगर पुलिस थाना इलाके में आरजेडी के एक स्थानीय नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद स्थानीय लोग भड़क गए थे और आरोपी के घर को आग के हवाले कर दिया था।

30 दिसंबर: औरंगाबाद जिले के देव थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने देर रात जमकर उत्पात मचाया था। इस दौरान सशस्त्र नक्सलियों ने कम से कम 6 वाहनों को फूंक दिया था और एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इतना ही नक्सलियों ने एक सामुदायिक भवन को भी विस्फोट कर उड़ा दिया था। इसके बावजूद अब तक नीतीश सरकार की पुलिस अब तक उन्हें पकड़ नहीं पायी है।

27 दिसंबर: वैशाली के जंदाहा थाना क्षेत्र में बदमाशों ने पूर्व सरपंच की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना में व्यवसायी के चाचा भी घायल हो गए थे।

25 दिसंबर: देर रात पटना के ट्रांसपोर्टर दीनानाथ की भी बदमाशों ने हाजीपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

22 दिसंबर: दरभंगा में राष्ट्रीय राजमार्ग-57 निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार केपी शाही की हत्या कर दी गई थी।

20 दिसंबर: अपराधियों ने बीजेपी नेता और पटना के बड़े कारोबारी गुंजन खेमका को मार दिया था।

21 दिसंबर: मुजफ्फरपुर में अपराधियों ने ठेकेदार लड्डू सिंह को मौत के घाट उतार दिया था। इसी दिन बेगूसराय में महेश सिंह नाम के एक प्रॉपर्टी डीलर की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

5 दिसंबर: राजधानी पटना में अपराधियों ने पटना हाईकोर्ट के वकील जितेंद्र कुमार मार दिया था।

28 अक्टूबर: नालंदा के बागन बिगहा में पीएमएस कॉलेज के प्रोफेसर अरविंद कुमार की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सबुह प्रोफेसर टहलने के लिए निकले थे। इसी दौरान बदमाशों ने उन्हें एलीट होटल के पास गोली मार दी थी, जिसमें उनकी मौत हो गई थी।

लगातार हुई अपराध की इन घटनाओं को देखकर यही लगता है कि शायद बिहार छोड़ने के बाद सत्यपाल मलिक राज्य की खबरों से भी दूर हो गए हैं। इसीलिए राज्य से बाहर निकलकर देश में सुर्खियां बटोरने वाली बिहार के अपराध की खबरों की जानकारी उन्हें नहीं है।

खास बात ये है कि इससे पहले मलिक ने जम्मू-कश्मीर के आपराधिक वारदातों की तुलना बिहार की राजधानी पटना से करते हुए कहा था कि पटना में एक दिन में जितनी हत्याएं हो जाती हैं, उतनी हत्याएं कश्मीर में एक सप्ताह में होती हैं। उनके इस बयान पर बिहार में सियासी बवाल मच गया था। लेकिन अब वही सत्यपाल मलिक ने यूटर्न लेते हुए नीतीश कुमार की तारीफ में कसीदे गढ़ते हुए बिहार के लोगों के जख्म पर नमक छिड़क दिया है।

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