जब देश के लोगों से पूछा गया, क्या ‘अच्छे दिन’ आए, दो तिहाई का जवाब था- नहीं: इंडिया टुडे का सर्वे
देश के दो-तिहाई लोग मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने अच्छे दिनों का वादा पूरा नहीं किया और देश के या आम लोगों के अच्छे दिन नहीं आए। यह आंकड़े सामने आए हैं इंडिया टुडे के एक सर्वे में जिसे कार्वीइनसाइट्स ने किया है।
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का चुनाव अच्छे दिनों के वादे के साथ लड़ा था। बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अपनी हर रैली, हर जनसभा में नारा लगवाते थे, ‘अच्छे दिन आएंगे’। इसी वादे और नारे से आकर्षित हो देश ने बीजेपी और मोदी को स्पष्ट बहुमत दिया और देश में 30 साल बाद किसी एक दल को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ। इस तरह 11 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के बाद नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए देश की बागडोर संभाली।
अब नरेंद्र मोदी का कार्यकाल खत्म होने वाला है, तीन महीने में चुनाव होने वाले हैं, लेकिन देश के लोगों को अच्छे दिनों का अभी तक इंतज़ार है। 2019 के आम चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी बीजेपी के लिए वोट मांगने मैदान में उतरेंगे तो आम लोग और विपक्षी दल उनसे कामकाज के साथ ही वादों और दावों का हिसाब भी मांगेगे।
इंडिया टुडे-कार्वी इनसाइट्स ने जो सर्वे कराया उसमें लोगों से सवाल पूछा गया कि क्या अच्छे दिन का वादा पूरा हुआ? क्या अच्छे दिन आ गए? इस सवाल का जवाब सुनकर बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो सकती हैं।
देश के करीब दो तिहाई यानी 63 फीसदी लोगों का साफ कहना है कि अच्छे दिन नहीं आए। सिर्फ 33 फीसदी लोग ही मानते हैं कि अच्छे दिन आए हैं। बाकी ने कोई राय नही दी। पिछले साल अगस्त में भी यह सवाल पूछा गया था, तब भी 59 फीसदी लोगों ने कहा था कि अच्छे दिन नहीं आए और 35 फीसदी मानते थे कि अच्छे दिन आ गए हैं। वहीं एक साल पहले यानी जनवरी 2018 में इस सवाल के जवाब में 54 फीसदी लोग मानते थे कि अच्छे दिन नहीं आए हैं और 39 फीसदी का मानना था कि अच्छे दिन आ चुके हैं।
इन तीनों सर्वे से एक बात स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री के वादों पर लोगों का भरोसा टूट चुका है। सिर्फ एक साल के अंतराल में अच्छे दिन न आने की बात कहने वालों की तादाद भी बढ़ी है और इसमें करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। जाहिर है ताजा सर्वे के आंकड़ों से पीएम मोदी और बीजेपी की चिंता बढ़ जाएगी।
इंडिया टुडे का दावा है कि कार्वी इनसाइट्स ने यह सर्वे देश के 19 राज्यों में किया, जिसमें 18 राज्यों के 194 लोकसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया था। साथ ही सर्वे में जिन लोगों से बात की गई उनमें 69 फीसदी ग्रामीण और 31 फीसदी शहरी लोग शामिल थे।
इस आंकड़े से यह भी साफ होता है कि ग्रामीण भारत की उम्मीदों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी अगुवाई वाली सरकार खरी नहीं उतरी है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia